कटाक्ष

Lord of the earth and : IPL की तर्ज पर कोयला तस्करी का ऑक्शन,माटी के काम में जनप्रतिनिधि लेते ..बानी का “बा ण ” हुआ फेल इनका चल रहा खेल,जोगी जी वाह….

IPL की तर्ज पर कोयला तस्करी का ऑक्शन

इंडियन प्रीमियर लीग में खिलाड़ियों की लगने वाली बोली कि तरह कोल माइंस में भी कोयला तस्करी के लिए बोली लग रही है। खबरीलाल की माने तो पूर्व में डीजल कारोबार का सरगना यानी “शागिर्द “पुष्पा द राइज मूवी के सीनू का किरदार निभा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है पुष्पा मूवी के सारे पात्र रात में कोयला खदान के इर्द गिर्द नजर आते हैं।

ये बात अलग है यहां कोंडा रेड्डी ,जॉली रेड्डी औऱ सीनू चंदन तस्करी नहीं बल्कि कोयला तस्करी करने के लिए प्लानिंग करते हैं। वैसे तो इनका काम दिन के उजाले में भी बिना डरे बिना रुके भी चलता है लेकिन, कोयला तस्कर सीनू के इशारे पर रात के अंधेरे में कोयला लोड को ठिकाने पर भेजा जाता है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि जिस काले हीरे की तस्करी का वीडियो वायरल होने के बाद सेंट्रल एजेंसियों ने दबिश दी उसके बाद बड़े बड़े अधिकारियों के रातों की नींद उड़ गई है। बाउजूद इसके कोयला का काम” न बाबा रे ना” ! वैसे अवैध कारोबार की दुनिया में इस बात का भी जिक्र किया जा रहा है। “दिल्ली है दिलवालों की ” तो “कोरबा है कोयला वालों की”! इन सब के बीच एक बात की चर्चा ने जोर पकड़ी है की करोड़ों की कोयला चोरी पर एसईसीएल की चुप्पी..!

माटी के काम में जनप्रतिनिधि लेते दाम तो कैसे न हो बदनाम..

छत्तीसगढ़ी में एक गाना है “चोला माटी के हे राम एखर का भरोसा चोला माटी के हे न..!” इस गीत की राह चलकर उर्जानगरी के ऊर्जावान पब्लिक, प्रशासन दोनों को गुमराह कर रहे हैं। जी हां नगर निगम क्षेत्र के पार्षद अपने-अपने क्षेत्र की सरकारी जमीन यानी माटी का मोल को तोलते है बोली लगा रहे है।

कहा तो यह भी जा रहा है की जनसेवा तो नाम का है असल में सरकारी जमीन बेचना ही इनका काम है । ऐसा भी नहीं है इस खेल में सिर्फ एक पार्षद है। गिनती के एक दो पार्षदों को छोड़ दें तो सभी के हाथ जमीन दलाली में रंगे हुए हैं।

एक कांग्रेसी पार्षद तो बकायदा इन दिनों विपक्षी नेताओं के निशाने पर हैं। पर ये निशाना लगाने वाले नेता अपनी गिरेबां पर नही झांक पा रहे हैं। क्योंकि उनके भी नेता का एक ही काम है जमीन चाहे सरकारी हो या आदिवासी सब में पैसा लगाना ही उनका मुख्य काम है। मतलब माटी के काम की वजह से सभी जनप्रतिनिधि बदनाम हैं। वैसे भी देखा जाए तो जितने भी अवैध निर्माण होते हैं वो सब पार्षदों की सहमति और जानकारी के बिना हो ही नहीं सकते।

बानी का “बा ण ” हुआ फेल इनका चल रहा खेल

जिले के एक चर्चित विभाग में निर्माण कार्यों के सुपरविजन के लिए एक मानचित्रकार को बाण के साथ लाया गया था लेकिन, उनका कलम-बाण फेल हो गया है। अब विभाग में पदस्थ एक छोटे कद के महाराज का खेल चल रहा है। वैसे तो ये महाराज विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। हारे हुए दांव को जीत में पलटने में इनका दिमाग तेजी से चलता है। तभी तो साहब कोई भी हो सिक्का इन्हीं का चलता है।

अब वे सुनहरा अवसर कैसे गंवाते.. अवसर मिलते ही फिर से हुंकार भरते हुए कह रहे हैं ” मैं ही राजा और मैं ही साहब..!”.उनके रुतबे को देख विभागीय ठेकेदार ए सी की परिक्रमा कम उनकी ज्यादा कर रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि बड़े साहब इनके हाथों की कठपुतली बनकर रह गए हैं।

रही बात मानचित्रकार की तो उनकी क्या बिसात जो महाराज की अलौकिक शक्ति के सामने अपनी बात रख पाए। लिहाजा वे कम हाइट में ज्यादा फाइट वाले साहब के इर्द गिर्द ही मंडरा रहे हैं। मतलब साफ है बानी का बाण फेल हो गया है और बाबू का खेल शुरू..!

धरती के भगवान और ”बे”दम किसान….

बचपन से हम अपने बुर्जुगों से सुनते आ रहे हैं, का वर्षा जब कृषि सुखानी….लेकिन, मौसम बदला तो कहावत के अर्थ भी बदल गए। फरवरी से लेकर अप्रैल आ गया मगर आसमान में मौसम बेरहम बना हुआ और छत्तीसगढ़ का अन्नदाता किसान ”बे”दम होता जा रहा है। बेमौसम बारिश उस वक्त हो रही है जब खेतों में रबी फसल पककर कटने को तैयार है। बारिश की वजह से रबी फसल के अलावा बागवानी पेशे से जुड़े किसानों की सब्जी फसल भी चौपट हो गई हैं।

चुनावी साल में अभी सरकार बेरोजगारी भत्ता, ओबीसी आरक्षण, ईडी छापा में उलझी हुई है। ऐसे में किसान भी भगवान भरोसे हो गए हैं। सरकार को चाहिए कि वो बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से हुए किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए भी सोचे….। किसान धरती के भगवान कहे जाते हैं अगर धरती के भगवान ही रूठ गए तो तो ये बात सरकार के लिए परेशानी बढ़ने वाली साबित हो सकती है।

जोगी जी वाह….

भोजपुरी फिल्म नदिया के पार का ये गाना जोगीजी धीरे धीरे नदिया के तीरे तीरे…जोगीजी वाह…अपने समय में जमकर हिट हुआ था। 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में ये गाना छत्तीसगढ़ जमकर बजा जब कांग्रेस से अलग होकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जोगी कांग्रेस का गठन किया। नतीजा ये हुआ कि 2013 में कांग्रेस के हाथ सत्ता फिसल गई। 2018 आते आते इस गाने की लोकप्रियता कुछ हद तक कम हो गई, राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का डंका बजता ही रहा। अब वे हमारे बीच नहीं रहे।

अब पार्टी की कमान छोटे जोगी के हाथ में हैं। पार्टी अपनी विरासत बचाने की परेशानी से जूझ रही है। ऐसे में छोटे जोगी के एक ट्वीवट ने पार्टी कार्यकर्ताओं की बेचैनी बढ़ाने वाली है। अमित जोगी ने इशारा दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने से परहेज कर सकती है। इसके लिए उन्होंने अपनी मां की कमजोर होती तबीयत का हवाला ​दिया है। खैर जो भी हो चुनाव अभी दूर है….और राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता….तो इंतजार कीजिए इस बार जोगी जी वाह…वाला गाना बजेगा या …!

 

     ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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