कटाक्ष

Transfer Season and Months: थानेदारों की बढ़ी टेंशन,हाथ में डंडा और सड़क पर पुलिस..ईडी का साहब को बुलावा और डीएमएफ, त्रिफला और हाजमा,

थानेदारों की बढ़ी टेंशन…

फ़िल्म का राजा का ये सुपरहिट सॉन्ग “चोट लगे तुझको तो दर्द मुझे होता है भाई भाई में अक्सर यह होता है, होता है…जिले के कुछ थानेदारों पर फिट बैठ रहा है

हुआ यूं कि सेंट्रल एजेंसी के छापे और आईएएस की गिरफ्तारी के बाद थानेदारों की टेंशन बढ़ गई है और कोयलांचल के थानेदार ईडी तुझे छेड़े तो दर्द मुझे होता है उल्टे पुल्टे कमाई में अक्सर ये होता है… का गाना गुनगुना रहे हैं।

खबरीलाल की माने तो पुलिस की नजर देर रात तक ईडी की कार्यवाही पर टिकी रही। जब 8.10 मिनट में सेंट्रल एजेंसी की गाड़ी वापस गई तो डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने राहत की सांस ली। कहा तो यह भी जा रहा कि काले हीरे से जुड़े कुछ थानदारों पर ईडी की नजर है, जो पूर्व के कार्यकाल में मलाई काटे हैं।

वैसे तो कई  थानेदार जिला से बाहर भी चले गए हैं। लेकिन, उससे क्या जब बही खाता खुलेगा तो कुंडली तो बाछेंगे ही..! चर्चा तो इस बात की है कि खाकी के खिलाड़ियों पर कार्रवाई के लिए एजेंसी की टीम ने पटकथा लिख ली है और कभी भी फील्ड पर इसे रिलीज किया जा सकता है।

पुलिस के खुफिया तंत्र की रिपोर्ट के बाद थानेदार छुट्टी की अर्जी से लेकर अपनी मर्जी से शहर छोड़ने की तैयारी में है। सबसे बड़ा खतरा नदी उस पार यानी कोयलांचल के थानेदारों को है जो ध्रुव स्वर्ण से लेकर काले हीरे के कारोबार में शामिल हैं। खैर जो भी हो थानेदारों के डर को देखकर लग रहा है कि कुछ बड़ा होने वाला है.. !

हाथ में डंडा और सड़क पर पुलिस..

अमूमन पुलिस हाथ मे डंडा लेकर तब खड़ी होती है जब लॉ एंड ऑर्डर का कोई संवेदनशील विषय हो। लेकिन, शनिवार को पुलिस हाथ मे डंडा लेकर सड़क पर किसी क्रिमनल को पकड़ने नहीं बल्कि सड़क में बैठे मवेशियों को हांकने के लिए हाथ में डंडा लिए भिड़ी थी।

बात वीवीआईपी के शुभ आगमन की थी तो पुलिस को गाय क्या गोबर उठाना स्वीकार था। सो पाली हाइवे मार्ग के पुलिस बल हाइवे में बैठे मवेशियों को भगाने में लगे थे। पुलिस के इस नेक काम को देखने वाले कहते फिर रहे हैं आप कब आओगे अतिथि..!

दरसअल जब सड़क मार्ग से नेता,अभिनेता या सरकार का आगमन होता है तो सड़को पैर बैठे मवेशियों को हांकने की जिम्मेदारी सम्बंधित थाना क्षेत्र की हो जाती है। ऐसा ही वाक्या दो दिन पहले पाली मुख्य मार्ग पर देखने को मिला।

दो पहले जब वीवीआईपी रूट से निकलने वाले थे। लिहाजा पाली पुलिस हाथ मे डंडा लेकर सड़क पर मवेशी हांक रही थी। पुलिस के जवानों की मवेशियों के प्रति संवेदनशीलता को देखकर राहगीर मुंह फाड़े चकित थे।

क्योंकि अब तक हाइवे मार्ग पर सफर करने वालो को वाहन से ज्यादा मवेशियों को बचकर चलना पड़ता था। कहा तो यह भी जा रहा कि हाइवे में बैठे मवेशियों की वजह से सड़क में लोग रफ्तार का मजा नहीं ले पा रहे है। यही नहीं दुर्घटना का भय अलग बना रहता है।

हालांकि हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद हाइवे के अधिकारियों की मुसीबत बढ़ गई है। अब वे सोच रहे है कि सड़क बनाए या मवेशी भगाए..! खैर जो भी लेकिन, पुलिस का मवेशी भगाने वाला अवतार अद्भुत है..!

ईडी का साहब को बुलावा और डीएमएफ…

अक्षय कुमार की गब्बर इज बैक की तरह ईडी भी बैक हो चुकी है और उन्हीं की स्टाइल में कार्रवाई करते “सीधी तरह बता दे, वरना चाबी वाला ताला नहीं, सील वाला ताला लगाऊंगा…!” का  डायलॉग सुनाते हुए साहब को दफ्तर बुलाया गया है।

ईडी के बुलावे के बाद अकड़ में चलने वाले साहब दुविधा में फंस गए हैं और मन ही मन सोचने लगे हैं बता दिया तो बॉस लपेट देंगे और नहीं बताया तो ईडी वाले..! खबरीलाल की माने तो साहब को ईडी के छापे की सूचना पहले ही मिल गई थी। तभी तो छापे से पहले सारा करप्ट काम अपडेट था।

हालांकि दिन भर के छापे में कुछ अहम सुराग मिलने की बात कही जा रही है। कहा तो यह भी जा रहा है साहब नए डीएमएफ सत्र में कलेक्शन के मुख्य सूत्रधार थे। जिसकी वजह से वे ईडी के रडार पर है। चर्चा इस बात की भी है कि साहब अपने को खास बताने के लिए इश्क करने से ज्यादा रिस्क ले लिए थे और हर आड़े तिरछे कामों पर नजराना के साथ साथ जबराना भी वसूल रहे थे।

ईडी रिटर्न के बाद डीएमएफ मद के कार्यों की चर्चा छिड़ गई है। जनचर्चा है कि फर्जी खरीदी करने अधिकारियों पर ऊपर वाले का डंडा चला है। क्योंकि, डीएमएफ के कार्यों की स्वीकृति महज आपसी बंटवारे के लिए हो रही थी। सो कार्रवाई तो होना ही था। खैर ईडी की रेड और साहब को दफ्तर बुलाने की सूचना से जिला लेबल अधिकारियों की छाती में सांप लोट गया है।

त्रिफला और हाजमा

आयुर्वेद में पुरातन भारतीय मनीषियों ने अपने अनुभव से अनेक चमत्कारी नुस्खे लोग को दिए हैं, जिनमें त्रिफला की महिमा तो अपरमंपार बताई गई है। जो सभी व्यधियों को दूर करने की ताकत रखता है। छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले कांग्रेस अपना हजमा सुधारने आयुर्वेद के इसी फार्मूला को प्रयोग में ला रही है। जीहां हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के त्रिफला…भूपेश बघेल, डॉ चरणदास महंत और टीएस सिंहदेव की जो पिछले चुनाव में 15 से बीमार पार्टी को सत्ता की संजीवनी देकर दोबारा कुर्सी पर विराजमान कराने में सफल रही है।

इस बार भी यही त्रिफला की जोड़ी को मैदान में उतरने वाली है। रविवार को कांग्रेस की चुनाव समिति बना दी गई। समिति में सभी 22 नेताओं को जगह दी गई है। इसके चेयरमेन दीपक बैज को बनाया गया है मगर इसके पीछे त्रिफला चूर्ण का चमत्कारी नुस्खा की काम करने वाला है। यानि बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में अगर ये चमत्कारी नुस्खा अपना असर दिखा दिया तो इस बार भी विपक्ष को अपना हाजमा ठीक करने के लिए किसी नए फार्मेूले की तलाश करने की जरूरत पड़ सकती है।

ट्रांसफर का मौसम और अधिकमास

वैसे तो हर साल जून जुलाई में ट्रांसफर वाला महीना आता है। मगर इसका असर आईएएस और आईपीएस अफसर पर नहीं पड़ता है। इस बार जुलाई का महीना अधिकमास में आया है, यानि इस बार ट्रांसफर वाला महीना छोटे अफसरों से ज्यादा आला अफसरों पर भारी पड़ने जा रहा है। वाले भी राजधानी रायपुर में होने वाले आईएएस कांक्लेव में आपसी चर्चा से ज्यादा इस बात की चर्चा हो रही है कि अब किसकी बारी है, और किसकी लाटरी लगने वाली है।

चुनाव आयोग के ऐलान के मुताबिक 2 अगस्त से मतदाता सूची का काम प्रारंभ होने जा रहा है। उसके बाद कलेक्टरों के तबादला करने से पहले चुनाव आयोग की अनुमति लेना होगा। इसलिए जिन्हें जिम्मेदारी देनी है, उसकी लिस्ट तैयार हो चुकी है। 2 अगस्त से पहले कलेक्टरों की एक तबादला लिस्ट निकलने वाली है।

इनमें डीएमएफ फंड वाले जिलों के कुछ कलेक्टर बदले जाने की चर्चा है। कलेक्टरों के साथ तीन-चार जिलों के पुलिस अधीक्षकों के भी बदले जाने की चर्चा है। अब देखने वाली बात ये होगी कि अब ट्रांसफर वाला अधिकमास किस पर भारी पड़ने वाला है। चर्चा है कि जिन्होंने अधिक माल बनया है ये अधिकमास उन्हीं को प्रभावित करने वाला है।

   

     ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

Related Articles

Back to top button