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कोरबा: हितानंद को जिताने में कहां मात खा गए पार्टी के रणनीतिकार, पहले से तैयार थी स्क्रिप्ट, जानें किसने निभाया कौन सा किरदार

कोरबा। कोरबा नगर निगम में सभापति चुनाव में बीजेपी के बागी उम्मीदवार नूतन सिंह की जीत पर बवाल मचा हुआ है। प्रदेश बीजेपी ने नूतन सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है और उन्हें जीत की बधाई देने वाले स्थानीय विधायक और प्रदेश सरकार के उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

पार्टी में इस बात की भी चर्चा हो रही है कि सभापति चुनाव के लिए उनके अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ रची गई इस साजिश में कौन कौन शामिल रहे और उनका किरदार क्या था। लेकिन कोरबा की स्थानीय राजनीति कई चौंकाने वाली बात सामने निकलकर आई है।

0.पहले से तैयार थी स्क्रिप्ट

असल में पार्षदों की बैठक में भाजपा के सभापति प्रत्याशी घोषित होने पर जिले के बड़े नेताओं के करीबी 4-5 पार्षदों ने अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग से सभापति घोषित करने की मांग करने लगे साथ नदी पार तथा महिला सभापति की मांग करने लगे जो क्षेत्रवाद, जातिवाद और लिंगवाद की चिंगारी में घी डालने का काम है। इसे पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार हितानंद के खिलाफ असंतोष की वजह बता कर पार्षदों को लामबंद करने प्रयास किया गया।

0.कहां मात खा गए बीजेपी के रणनीतिकार

सभापति चुनाव में क्रास वोटिंग की भनक पार्टी के रणनीतिकारों को न हो इसके लिए नवीन सिंह के समर्थक और प्रस्तावक भाजपा से निष्काषित पार्षद बहत्तर सिंह कंवर और सीता पटेल को बनाया गया। अगर बीजेपी पार्षदों को समर्थक और प्रस्तावक बनाया जाता तो पार्टी के रणनीतिकारों को क्रास वोटिंग की भनक लग जाती…चुनाव के नतीजें आने तक पार्टी के पर्यवेक्षक को इसकी भनक तक नहीं लगने दी, और ​आखिरी वक्त पर खेल हो गया।

0.मैदान के बाहर और अंदर दोनों तरफ हो रही थी फील्डिंग

बैठक में कुछ पार्षदों द्वारा भाजपा के पार्षदों को जबरन कार्यालय में बंद करके रखा था, पार्षदों को लघुशंका के लिए जाने तक नहीं दिया जा रहा था साथ ही पार्षदों के फ़ोन पर कॉल आने पर उनका मोबाइल भी छीन लिया जा रहा था। बागी को जिताने के लिए जिले के वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्षदों को बरगलाया गया कि प्रदेश नेतृत्व से बात हो गई है।

पार्षदों को बताया जा रहा था कि भाजपा का प्रत्याशी नूतन ठाकुर है जिसके कारण भ्रम की स्थिति निर्मित हुई, मतदान स्थल पर नूतन ठाकुर भाजपा का गमछा लगाकर मत अपील कर रहा था जिसपर पर्यवेक्षक पुरंदर मिश्रा ने संज्ञान में लेते हुए जिले के नेताओं को निर्देशित किया कि उसके गले से भाजपा का गमछा हटवाया जाए। लेकिन, जिले के किसी भी नेता ने इस पर ध्यान नहीं दिया जो हार की कारण बना और पार्षदों को लगा कि भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी नूतन सिंह हैं।

आखिरकार वहीं हुआ जो वो जिसकी पटकथा पहले तैयार की जा चुकी थी, पार्टी के अधिकृत उम्मीवार हितानंद को पूर्व बहुमत के बाद भी हार का सामना करना पड़ा।

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