जानें, क्याें सौरव यादव केस का सुप्रीम कोर्ट ने दिया हवाला
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में पुराने मामले का हवाला दिया। कोर्ट ने सौरव यादव और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के केस का संदर्भ दिया। यह मामला मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस दाखिले से जुड़ा था। हाईकोर्ट ने आरक्षण नीति के तहत आरक्षित श्रेणी के मेधावी छात्रों को सामान्य श्रेणी में प्रवेश देने से मना कर दिया गया था। इस फैसले के बाद अब आरक्षित वर्ग के मेधावी छात्रों को उनके योग्यता के आधार पर सामान्य सीटों पर भी प्रवेश मिल सकेगा।
मध्य प्रदेश में एमबीबीएस सीटों को लेकर है विवाद
यह मामला मध्य प्रदेश में एमबीबीएस सीटों के आवंटन से जुड़ा है। एमपी के शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के नियमों के मुताबिक 5 प्रतिशत सीटें सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए आरक्षित थीं। 2018 के मध्य प्रदेश शिक्षा प्रवेश नियमों के अनुसार, कई सीटें खाली रह गईं, जिन्हें सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया गया। इस विवाद में आरक्षित श्रेणी के मेधावी छात्रों के लिए सामान्य सीटों पर प्रवेश की मांग की गई थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला छात्रों के पक्ष में
इस फैसले से छात्रों को बड़ा लाभ मिलेगा, खासकर उन मेधावी छात्रों को जो आरक्षित श्रेणी में आते हैं, लेकिन उनकी योग्यता उन्हें सामान्य सीटों पर भी प्रवेश दिला सकती है। राम नरेश कुशवाहा और दूसरे वादियों ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, और अंततः उनके पक्ष में फैसला आया। इस फैसले ने शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम की है।
आरक्षण प्रणाली में होगा बदलाव
इस फैसले के बाद, आरक्षण प्रणाली में एक नया आयाम जुड़ गया है। अब आरक्षित श्रेणी के मेधावी छात्रों को उनकी योग्यता के आधार पर सामान्य सीटों पर भी प्रवेश मिलेगा इससे इन छात्रों की प्रतिभा का सही मूल्यांकन हो सकेगा। यह फैसला न केवल आरक्षित श्रेणी के छात्रों के लिए, बल्कि पूरे शिक्षा प्रणाली के लिए एक अहम कदम साबित होगा।