कोरबा

Municipal Council : कोरबा नगर निगम टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप…! नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू ने उठाए सवाल

निगम प्रशासन पर "चहेते ठेकेदार" को लाभ पहुंचाने का आरोप

कोरबा, 16 जुलाई। Municipal Council : नगर निगम कोरबा की निविदा प्रक्रिया एक बार फिर विवादों में घिर गई है। वार्ड क्रमांक 14 अमरैय्यापारा में पावर टावर के पास नाला एवं सीसी सड़क निर्माण कार्य से संबंधित ई-निविदा क्रमांक 168445, दिनांक 09.07.2025 को लेकर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं।

नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू ने इस मामले में महापौर संजू देवी राजपूत पर सीधा निशाना साधते हुए प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री एवं जिला प्रभारी मंत्री अरुण साव को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने निगम प्रशासन पर “चहेते ठेकेदार” को लाभ पहुंचाने के लिए निविदा प्रक्रिया में सुनियोजित तरीके से अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है।

आरोपों के मुख्य बिंदु 

  • निविदा में भाग लेने वाले कुल 18 ठेकेदारों में से 16 को नियमों के खिलाफ अयोग्य घोषित कर सिर्फ 2 ठेकेदारों के नाम से टेंडर खोला गया।

  • साहू का दावा है कि जिन 16 ठेकेदारों को बाहर किया गया, उनके दस्तावेज भी उन्हीं मानकों पर खरे थे, जितने की पात्र ठेकेदारों के।

  • स्वस्थ प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए कम से कम तीन निविदाकारों को प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए था।

  • निविदा महज 3% की बिलो रेट में स्वीकृत की गई, जबकि नगर निगम की अन्य समान प्रकृति की परियोजनाओं में 20% बिलो रेट तक कार्य प्रगति पर हैं, जिससे सरकारी नुकसान की आशंका जताई गई है।

  • पहले भी इस कार्य का टेंडर तकनीकी कारणों से रद्द किया गया था, लेकिन उसे ‘प्रथम निविदा’ न मानते हुए दूसरी निविदा बताकर जल्दबाज़ी में वर्क ऑर्डर जारी करने की तैयारी की जा रही है।

राजनीतिक हमला 

साहू ने महापौर संजू देवी राजपूत पर आरोप लगाया कि वह अपने करीबी ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रख रही हैं। उन्होंने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। इस गंभीर आरोप पर अब तक नगर निगम प्रशासन या महापौर की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

साहू ने अपने पत्र में आगे कहा कि इसका टेंडर पहले भी हुआ था लेकिन तकनीकी त्रुटि के कारण टेंडर को बिना खोले ही निरस्त कर दिया गया और दूसरा टेंडर जारी कर दिया गया। जब पहला टेंडर निरस्त हुआ था तो इस टेंडर को पहला टेंडर माना जाना चाहिए था लेकिन इसे दूसरा टेंडर मानकर आनन-फानन में वर्क ऑर्डर जारी करने की तैयारी की जा रही है। मेयर संजू देवी राजपूत के चहेते ठेकेदार को काम दिलाने के लिए नियम-कानूनों को ताक पर रखकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

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