कोरबा। बीते दिनों सरकारी स्कूल में भृत्य के पद पर कार्य कर रहे एक पहाड़ी कोरवा कर्मी से उसकी नौकरी पर खतरा बताकर उसी स्कूल के टीचर ने लाखों रुपये हड़प लिए। इसके लिए टीचर लगातार भयादोहन करता रहा और कोरवा के पास रकम नहीं होने पर दो बार उसके नाम पर बैंक से लोन तक निकलवाकर वसूली की। मामला उजागर होने पर कलेक्टर ने संज्ञान में लेकर आदिवासी विकास विभाग को जांच के आदेश दिए।
सहायक आयुक्त आदिवासी ने 20 मार्च को एक चुटका जारी कर बताया है कि पहाड़ी कोरवा से हड़पी गई राशि उसे संबंधित टीचर से वापस दिलवाते हुए न्याय दिलाया गया है। पर सवाल यह उठता है कि ये कैसा न्याय है, जिसमें कोरवा की आर्थिक और मानसिक रुप से क्षति पहुंचाते हुए लगातार ब्लैक मेल कर उगाही करते रहे उस टीचर के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। कोरवा की लिखित शिकायत में कहा गया था कि टीचर ने बड़े अधिकारियों को खुश करने की बात कहते हुए रकम मांगी थी। ऐसे में इस आधी-अधूरी कार्यवाही को न्याय बताकर खुद विभागीय अधिकारी सवालों के कटघरे में नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय होगा कि संरक्षित आदिवासियों में शामिल पहाड़ी कोरवा के भयादोहन कर लाखों रुपए ठगने का यह मामला शासकीय माध्यमिक शाला देवपहरी से सामने आया था। यहां रहने वाले सुंदर साय पहाडी कोरवा पिता जग्गू राम कोरवा मिडिल स्कूल देवपहरी मे भृत्य है। उसने कलेक्टर के समक्ष लिखित में शिकायत की थी कि बीच-बीच में स्कूल नहीं जाने के कारण स्कूल में पदस्थ करम गुरुजी ने उसके खिलाफ अधिकारियों से बड़ी शिकायत होने का डर दिखाया।
शिक्षक ने कोरवा की नौकरी जाने का डर दिखाककर उसकी शिकायत को दबवा देने के बदले पैसे की मांग की। आर्थिक दशा ठीक न होने की बात कहने पर शिक्षक उसे बैंक ले गया और 4 लाख 50000 रुपये का लोन निकलवाया। इन रुपयों से भृत्य को 2 लाख 10000 रुपये देकर बाकी रकम यानी 2 लाख 40000 रुपये लोन वाले साहेब को देने में खर्च हो गया कहकर खुद रख लिया। इसके 2-4 माह बाद शिक्षक ने कहा कि मामला रफा दफा करने बडे़ अधिकारी और पैसा मांग रहे है। यह कहकर फिर पैसे मांगे। कोरवा ने पैसा नही होने की बात कही तो शिक्षक ने अपनी जेब से साहब के लिए दे देने और बाद में पूरी रकम ब्याज सहित वापस करने का प्रस्ताव दिया। नौकरी बच जाने की उम्मीद पर भृत्य मान गया।
इसके कुछ दिन बाद से शिक्षक सुंदर साय से बार-बार रुपये मांगने लगा और उस पर यह कहकर दबाव डालने लगा कि मेरा पैसा दे नही तो तुझे नौकरी से निकलवा दूंगा। शिक्षक ने फिर से बैंक से लोन की बात कही और 25 मार्च 2021 को 6 लाख 50000 लोन निकलवाया गया। इस पैसे में सुंदर साय को 1 लाख 60000 रूपए देकर शिक्षक ने उस से 4 कोरा चेक में दस्तखत कराकर रख लिए। सुंदर साय का कहना है कि बाद में जब वह रकम निकालने बैंक गया तो पता चला कि उसका खाता खाली है। जानकारी लेने बैंक प्रबंधन ने बताया कि चेक से एक बार 140000 फिर 83500 फिर 100000 कुल तीन बार में पूरी रकम उन्हीं कोरे चेक से पहले ही निकाली जा चुकी थी, जिसके लिए उन्हीं दस्तखत वाले कोरे चेक का इस्तेमाल किया गया था। मामले की शिकायत के बाद कलेक्टर ने इसे गंभीरता से लेते हुए आदिवासी विकास विभाग को मामले के निपटारे का जिम्मा सौंपा था। इस पर आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ने शिक्षक करम गुरुजी से और बैंक चेक के माध्यम से पहाड़ी कोरवा को रकम लौटाने की जानकारी जारी की है।
दोनो पक्षों के मध्य गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर में कलमबद्ध कार्यवाही
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त की ओर से जारी जानकारी में बताया गया है कि 19 मार्च को मीडिया में प्रकाशित शीर्षक पहाड़ी कोरवा को नौकरी जाने का भय दिखाकर 7.30 लाख हड़प गए गुरूजी, को कोरबा कलेक्टर द्वारा संज्ञान में लेते हुये पीड़ित सुंदरसाय कोरवा को न्याय दिलाते हुए हड़प किए गए राशि को वापस कराया गया। गुरूजी करमलाल चौहान से चेक के माध्यम से राशि 3 लाख 61760 रूपये एवं फायनेंस कम्पनी के कर्मचारी सुरभवन सिंह और संतोष पाण्डेय से चेक के माध्यम से राशि 3 लाख 72000 रूपये दिलवाया गया है। यह पूरी कार्यवाही 20 मार्च को दोनो पक्षों के मध्य गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर में कलमबद्ध करते हुए की गई है।