
कोरबा। शनिवार को पाली में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आयोजित रेशम कृषि मेला सह मेरा रेशम, मेरा अभिमान कार्यक्रम का शुभारंभ उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने किया।
मंच पर उपमुख्यमंत्री के साथ विधायक और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। प्रथम पंक्ति में कलेक्टर, एसपी, डीएफओ सहित प्रशासनिक अधिकारी बैठे थे, जबकि जिले की निर्वाचित सर्वोच्च संस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष पवन सिंह को पीछे की पंक्ति में स्थान दिया गया। यह दृश्य कई स्थानीय नेताओं और आमजन को खटका।
जिला पंचायत अध्यक्ष स्वयं भी नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि यह केवल उनकी व्यक्तिगत उपेक्षा नहीं है, बल्कि प्रोटोकॉल का सीधा उल्लंघन है। खासकर कोरबा जैसे अनुसूचित क्षेत्र में, जहां जिला पंचायत अध्यक्ष का पद केवल आदिवासी को ही मिलता है, उनकी अनदेखी प्रशासन के हावी होने का उदाहरण माना जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री ने रेशम उत्पादन से जुड़े किसानों को चेक और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। सम्मान वितरण के समय भी जिला पंचायत अध्यक्ष को मंच पर आगे बुलाने की बजाय पीछे ही बैठे रखा गया, जबकि अधिकारी उपमुख्यमंत्री के साथ मंच साझा कर रहे थे।
अपने उद्बोधन में उपमुख्यमंत्री साव ने किसानों से कहा कि “मेरा रेशम, मेरा अभिमान” केवल जानकारी देने का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि किसानों को प्रशिक्षण, आय बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प है। उन्होंने भाजपा सरकार की उपलब्धियों और जनकल्याणकारी योजनाओं का बखान किया। मगर इसी दौरान उनकी ही पार्टी से निर्वाचित जनप्रतिनिधि, जिला पंचायत अध्यक्ष, मंच पर पीछे बैठे रहे।
अध्यक्ष का पद और महत्व
भारत में पंचायती राज अधिनियम, 73वें संविधान संशोधन (1992) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था की गई है। त्रिस्तरीय व्यवस्था में जिला पंचायत सर्वोच्च संस्था है। जिला पंचायत अध्यक्ष योजना समिति का अध्यक्ष होता है और जिले की विकास योजनाओं की देखरेख करता है। ऐसे में इस पद की उपेक्षा गंभीर मानी जाती है।
अध्यक्ष का बयान
कार्यक्रम के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पवन सिंह ने कहा, “मुझे कार्यक्रम में उपेक्षित महसूस हुआ। यदि यह कोई सामाजिक आयोजन होता तो बात और थी, लेकिन यह प्रशासनिक कार्यक्रम था, जहां अधिकारियों को हर हाल में प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। कलेक्टर, एसपी और अन्य अधिकारी सामने की पंक्ति में बैठे थे जबकि मुझे पीछे की कुर्सी दी गई। यह पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है और साफ तौर पर प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।”