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कोरबा LS जीता अब निकाय की बारी….लोकल लीडर को संगठन में मिले जिम्मेदारी और तब होंगे शहर में भाजपा पर भारी

कोरबा। मरवाही, रामपुर और पाली-तानाखार की बदौलत लोकसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस की नैया पार हो गई हो, पर सनद रहे कि पिक्चर अभी बाकी है। अगले छह महीनों में निकाय चुनाव भी आने वाला है पर दिक्कत यह है कि कोरबा शहर में 10 या 20 नहीं, बल्कि पूरे 50 हजार का गड्ढा है। इस अहम बिंदू पर पार्टी के लिए विचार-मंथन की जरुरत है। इस मामले में राजनीति के तजुर्बेकार कहते हैं कि नगरीय निकाय के लिए कोरबा में कांग्रेस को शहरी संगठन में बड़े फेरबदल की जरूरत नजर आ रही है। बेहतर होगा कि आला कमान अपने अनुभवी कर्णधारों की राय पर अब पार्टी के पुराने, लोकल और समर्पित सेवकों को भी जिम्मेदारी से नवाजे। मुमकिन है कि संगठन में उन्हें जब अहम जवाबदारी से विश्वास में लिया जाएगा तो निश्चित तौर पर कांग्रेस आने वाले चुनाव में कोरबा शहर में भी भाजपा पर भारी पड़ेगा।

 

लोकसभा चुनाव-2024 में कोरबा लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती ज्योत्सना महंत ने दूसरी बार विजय श्री हासिल की। वह ऐसी जीतीं हैं, जैसा पहले कभी नहीं हुआ और उन्होंने अपना ही रिकार्ड भी ब्रेक कर इस सीट पर दोबारा कब्जा भी जमाया। उन्होंने कोरबा लोकसभा के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्र में से सात विधानसभा में बड़ी बढ़त जुटाई पर कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले कोरबा विधानसभा से बुरी तरह पिछड़ती रहीं। यहां तक कि ग्राफ इतना कम हो गया कि कोरबा शहर में लगभग 50 हजार वोटो से कांग्रेस प्रत्याशी पीछे रहीं और यही बात कांग्रेस पार्टी के लिए चिंता का बड़ा महत्वपूर्ण विषय भी है। सोचना होगा कि आखिर क्या ऐसा कारण रहा, जो विधानसभा चुनाव-2023 में यहां से पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की हार हुई और लोकसभा चुनाव-2024 में कांग्रेस प्रत्याशी को अच्छा खासा नुकसान हुआ। जीत के बाद मीडिया से मुखातिब होकर सांसद ज्योत्सना महंत ने भी कोरबा विधानसभा से कांग्रेस को कम वोट मिलने पर चिंता जाहिर की और इसकी समीक्षा करने की बात कही थी।

निष्ठावानों की कमी नहीं, बस महत्व देकर महत्वपूर्ण बनाना होगा

कांग्रेस संगठन में व्यापक बदलाव कर सक्रिय कार्यकर्ताओं को आगे लाने की जरुरत है। पार्टी की जरुरत के लिए जमीनी स्तर से जुड़े पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को महत्व देकर महत्वपूर्ण बनाना होगा। लगातार क्षेत्र से मिल रही हार कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने वाली है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के पश्चात कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने बदलाव के संकेत दिए थे परंतु किसी करणवश उस समय संगठन में बदलाव नहीं हो सका। पर कांग्रेस पार्टी को अब जरूर है इस क्षेत्र से मिली हार की समीक्षा कर संगठन में उचित बदलाव करते हुए आने वाले दिनों में होने वाली नगर निगम चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी जाए, जिससे नगरीय निकाय चुनावों में भी अपेक्षित जीत हासिल की जा सके।

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