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नीतीश फिर पलटे तो लालू खेल सकते हैं ‘महाराष्ट्र’ वाला दांव, तरकश में मौजूद ये विकल्प

न्यूज डेस्क। बिहार में इस वक्त राजनीतिक माहौल पूरी गरमाया हुआ है. आरजेडी और जेडीयू में एक बार फिर से तलाक होने की जमकर चर्चा है, हालांकि दोनों में से किसी भी पार्टी ने अब तक इस बारे में खुलकर कोई बयान नहीं दिया है. ऐसे में सबकी नजरें अब सीएम नीतीश कुमार के अगले कदम को लेकर लगी हुई हैं. वहीं अगर आरजेडी की बात करें तो वह भी अपनी जवाबी रणनीति बनाने में लगी है. राजनीति के धुरंधर सूरमा कहे जाने वाले लालू यादव के पास कई ऐसे राजनीतिक विकल्प मौजूद हैं, जिनके दम पर वे महाराष्ट्र वाला चमत्कार कर सकते हैं.

लालू यादव के पास तुरुप का इक्का

राजनीतिक एक्सपर्टों के मुताबिक लालू यादव के पास जो इस वक्त तुरुप का इक्का है, वे असेंबली के स्पीकर अवध बिहारी चौधरी हैं. अवध बिहार चौधरी आरजेडी के विधायक हैं, जिन्हें जेडीयू के साथ हुए गठबंधन के तहत असेंबली का स्पीकर बनाया गया था. अगर परिस्थितियां उनके हिसाब से ठीक रहती हैं तो उनके बल पर लालू यादव अपने किसी भी राजनीतिक प्लान को अमलीजामा पहनाकर बेटे तेजस्वी यादव को बिहार का सीएम बना सकते हैं.

जानिए बिहार का दलीय समीकरण

सबसे पहले हम आपको बिहार असेंबली में सीटों का समीकरण समझाते हैं. असेंबली में कुल सीटों की संख्या 243 और सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 122 है. वर्ष 2020 में हुए असेंबली चुनाव में 79 सीटें जीतकर आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि 78 सीटों के साथ बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी. उस चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 45, कांग्रेस ने 19, लेफ्ट ने 16, जीतनराम मांझी की हम पार्टी ने 5 और एक निर्दलीय ने सीट जीती थी. इसके बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ तालमेल करके अपनी सरकार बना ली थी और खुद राज्य के सीएम बन गए.

लालू यादव के पास मौजूद विकल्प

सूत्रों के मुताबिक लालू यादव के हाथ में इस वक्त बड़े विकल्प मौजूद हैं. पहला विकल्प ये है कि वे खुद तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राज्य में आरजेडी की सरकार बनाएं. इसके लिए वे मौजूदा सरकार से समर्थन वापस लेने का पत्र राज्यपाल को देकर सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते आरजेडी की सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं. अपने दावे के समर्थन में वे आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19, कम्युनिस्ट पार्टियों के 16 और निर्दलीय विधायक के समर्थन वाला पत्र पेश कर सकते हैं. ऐसा करने से उनके विधायकों की संख्या 115 तक पहुंच सकती है, जो बहुमत से 7 कम होगी.

 

महाराष्ट्र का तरीका आजमा सकती है आरजेडी

इस दिक्कत को दूर करने के लिए जेडीयू में तोड़फोड़ करवाकर उसके विधायकों को अपने पाले में ला सकते हैं. चूंकि असेंबली के स्पीकर आरजेडी कोटे से हैं, ऐसे में वे जेडीयू के टूटने वाले विधायकों को अलग गुट का दर्जा दे सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो तेजस्वी यादव की सरकार बिहार में आसानी से बन सकती है. महाराष्ट्र में स्पीकर राहुल नार्वेकर इसी तरीके से उद्धव गुट से अलग हुए शिंदे गुट की सरकार बनवा चुके हैं.

फ्लोर टेस्ट में ये दांव चल सकते हैं लालू यादव

अगर जेडीयू से पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं टूट पाते हैं तो फिर बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए लालू यादव जेडीयू के कुछ विधायकों को फ्लोर टेस्ट वाले दिन गैर-हाजिर होने के लिए राजी कर सकते हैं. ऐसा करने से बहुमत का आंकड़ा घट जाएगा और तेजस्वी की सरकार बन जाएगी. अगर लालू चाहें तो जेडीयू के कुछ विधायकों से इस्तीफे करवाकर भी विपक्षी सदस्यों की संख्या असेंबली में घटा सकते हैं, जिसके बाद आरजेडी की सरकार बनने का सपना पूरा हो जाएगा.

सामने है ये सबसे बड़ी अड़चन

लालू यादव के पास विकल्पों की भरमार तो है लेकिन एक बड़ी अड़चन भी उनके सामने खड़ी हुई है और वह अड़चन कोई और नहीं बल्कि राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर हैं. आरजेडी सुप्रीमो के ये प्लान तभी सफल हो सकते हैं, जब राज्यपाल उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करें. अगर गवर्नर उनके दावे को स्वीकार ही न करें और नीतीश को फिर से सीएम बनाने के लिए आमंत्रित कर लें तो लालू यादव चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएंगे.

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