CM Tirtha Darshan Yojana : तीर्थ योजना में विधायक की दो पत्नियों के नाम…! कांग्रेस ने उठाए पारदर्शिता पर सवाल
प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल

राजगढ़/भोपाल, 15 सितंबर। CM Tirtha Darshan Yojana : मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। राजगढ़ जिले के खिलचीपुर से बीजेपी विधायक हजारीलाल दांगी की दोनों पत्नियों के नाम तीर्थ दर्शन यात्रियों की सूची में शामिल किए जाने पर कांग्रेस ने सवालों की बौछार कर दी है।
कांग्रेस का आरोप- गरीबों की योजना में विधायक की पत्नियां?”
पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता प्रियव्रत सिंह ने तीखा बयान देते हुए कहा, विधायक स्वयं आयकरदाता हैं, क्या ऐसे में उनकी पत्नी का नाम गरीबों की योजना में शामिल होना उचित है?
उन्होंने इसे योजनाओं के दुरुपयोग का उदाहरण बताते हुए कहा कि विधायक की यह हरकत बताती है कि न तो नैतिक जिम्मेदारी निभाई जा रही है, और न ही सामाजिक जवाबदेही।
जमीर गवाही दे रही है क्या : प्रियव्रत सिंह
प्रियव्रत सिंह ने एक भावनात्मक सवाल उठाते हुए कहा, क्या विधायक की जमीर गवाही देती है कि वे गरीबों की योजना में अपनी पत्नियों के नाम शामिल करें? उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका इरादा किसी की निजी आलोचना करना नहीं है, बल्कि वे केवल योजनाओं के न्यायसंगत और पारदर्शी उपयोग की बात कर रहे हैं।
क्या विधायक की जमीर गवाही देती है कि वे गरीबों की योजना में अपनी पत्नियों के नाम शामिल करें? उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका इरादा किसी की निजी आलोचना करना नहीं है, बल्कि वे केवल योजनाओं के न्यायसंगत और पारदर्शी उपयोग की बात कर रहे हैं।
प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल
कांग्रेस नेता ने जिला प्रशासन और कलेक्टर से भी जवाब माँगा है। उनका कहना है, क्या प्रशासन की नजर में विधायक की पत्नी सबसे गरीब हैं? अगर सब कुछ नियमों के अनुसार हुआ है तो ठीक, वरना जवाबदेही तय होनी चाहिए।
तीर्थ यात्रा के लिए जत्था रवाना
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत सोमवार को राजगढ़ जिले से श्रद्धालुओं का जत्था असम के प्रसिद्ध कामाख्या देवी मंदिर के दर्शन के लिए रवाना हो रहा है। इसी सूची में विधायक की दोनों पत्नियों के नाम सामने आने से विवाद खड़ा हो गया।
योजना का उद्देश्य क्या है?
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना राज्य सरकार की एक फ्लैगशिप योजना है, जिसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और जरूरतमंदों को मुफ्त तीर्थ यात्रा कराना है। इस योजना के तहत आवेदकों की आय सीमा, उम्र और सामाजिक स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है।
राजनीतिक और सामाजिक असर
यह मामला अब केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि सामाजिक न्याय और नीति की पारदर्शिता का मुद्दा बनता जा रहा है। कांग्रेस इसे सत्तारूढ़ दल के नैतिक पतन का उदाहरण बता रही है, जबकि अब तक बीजेपी या विधायक की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
