
थानेदारो के सिद्धांत पर प्रश्नचिन्ह…
केंद्रीय कोयला मंत्री ने कोयला चोरी का सारा ठिकरा स्थानीय पुलिस पर फोड़कर थानेदारों के सिद्धांत पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
दरअसल एशिया की सबसे बड़े खान में हो रहे कोयले की चोरी से पुलिस का सिद्धांत डगमगा गया है। पुलिस के वरदहस्त में चल रहे कोयला चोरी के खेल से खदान में हुई हत्या की बात ऊर्जाधानी से लेकर केंद्र सरकार में हिलोरे मारने लगी है। पुलिस के सिद्धांत को सत्य सिद्ध करने लिए भले ही कप्तान बार -बार लॉ एंड ऑर्डर की बात कर रहे हो लेकिन थानेदारों को कड़क विधि से अधिक हरे हरे कड़कड़ाते निधि की बात समझ आ रही है। पाली कोयला खदान में हुए हत्या पर तो सत्ता पक्ष के नेता हर महीने नजराना वसूलने की बात भी कह चुके है। रही सही कसर केंद्रीय कोयला मंत्री ने पूरी करते हुए कह दिया कि कोयला चोरी और खदानो में होने वाले गैंगवार पर स्थानीय पुलिस जिम्मेदार है। मंत्री के बयान के बाद खाकी के वीर जवान कलबलाये हुए हैं और तर्क देते हुए कह रहे कि ये कलयुग है साहब यहां उल्टा चोर कोतवाल को डांटने की परंपरा है। खदान से चोरी रोकने करोड़ो खर्च कर त्रिपुरा राइफल और सीआईएसएफ की थ्री लेयर सिक्युरिटी के बाद भी कोयला चोरी हो तो स्थानीय पुलिस पर ठिकरा फोड़ना अपनी जिम्मेदारी से बचना है। पब्लिक कोयला मंत्री के बयान पर बात करते हुए कह रहे स्टेट और सेंट्रल एजेंसी के फेर में कोयला तस्करो की चांदी है साहब ! जिनके एक हाथ मे कोयला और दूसरे में डीजल की कहानी है।
यहां कोई नही सगा, स्वहित में रोहित ने …
यहाँ कोई नही सगा रोहित ने साहब को ठगा…! ये बात सुनने में भले अटपटी लग रही है पर यह सच है कि सीएसईबी के चालबाज अधिकारियों ने चेयरमैन को ठगने का प्रयास किया, लेकिन साहब की पारखी नजर से अफसरो की चाल बूमरेंग बन उल्टे चोट कर गई।
बात छत्तीसगढ पॉवर कंपनी के अफसरो की है। कंपनी के चेयरमैन दौरे पर थे तो उन्हे उलझाने और सच्चाई छुपाने का फुलप्रूफ प्लान तैयार बनाया गया था। साहब ने राखड़ डैम निरीक्षण करने की बात कही तो राख को कोकीन की तरह उपयोग करने वाले अफसरों ने बंद राखड़ डैम लोतलोता को दिखाकर ठगने का प्रयास किया। सूत्रधार की माने तो चैयरमैन भी ठहरे इंटेलीजेंट, सो उन्होंने अफसरो की चाल को एक पल में ही भांप लिया और चालू राखड़ डैम दिखाने का निर्देश दिया। फिर क्या था अफसर टेंशन में टिमटिमाते और गंजे सिर पर उंगली फेरते हुए चालू राखड डैम डिंडोल भांठा को दिखाने तैयार हुए। साहब की नजर जब राखड़ डैम से उड़ रही राख पर पड़ी तो सीएसईबी के अधीक्षण अभियंता और कार्यपालन अभियंता को सस्पेंड करने की बात कहते हुए उपस्थित अफसरों को लताड़ा। कहा तो यह भी जा रहा है कि टीम की अगुवाई स्मार्ट अफसर रोहित कर रहे थे जिन्होंने अपने हमनाम को ही सीएसईबी के अफसरो के बातों पर विश्वास कराके ठगने का प्रयास किया। पॉवर कंपनी के अफसर के दौरे के बाद सीएसईबी के अधिकारी कहने लगे है भैया यहां कोई नही सगा रोहित ने साहब को ही ठगा..!
“कोल बम” से गूंज रही उर्जाधानी..
उर्जाधानी की सभी दिशाएं “कोल बम” की गूंज में गुंजायमान है। चौक चौराहे से लेकर चाय की दुकान और पान ठेलों में लोग पूर्व गृह मंत्री के बयान को चटखारे ले रहे हैं। ले भी क्यों न क्योंकि अभी भी केजीएफ-2 का खुमार लोगो को चढ़ा हुआ है और अब ऊपर से कोयला खान से 50 ट्रेलर चोरी की बात हो तो लोग तो मौका का फायदा उठाएंगे ही ! खैर कोयले की खान में कोयला चोरी कोई नई बात नही है, पूर्व में भी प्रबंधन के इशारे पर करोड़ो का कोयला निकलता रहा है जिसमें कोयलांचल के कुछ मंझे हुए खिलाड़ी शामिल थे और छत्तीसगढ़ियों के अमीर धरती को लूट कर देश के अलग-अलग राज्य में भोग विलास के महल खड़ा कर लिए। तो कुल मिलाकर कोयले के इस खेल में कुछ नया नहीं है।
कोयले की चर्चा को लेकर राजेश खन्ना की फ़िल्म अमर प्रेम का एक गीत याद आ रहा है…”कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना…” इस गीत की गहराई में जाये तो एक बात सामने आती है और वह यह कि…”कुछ रीत जगत की ऐसी है हर एक सुबह की शाम हुई”… कहने का मतलब यह है कि कोयला के काले व्यापार का विषय कुछ इस तरह से उलझा हुआ है जैसे साफ पानी में बादल फटने से बाढ़ आई हो और अचानक ही पानी मटमैला हो गया हो, सो कारोबार से जुड़े लोग
शान्त बैठकर अफसरो के इशारे का इंतजार कर रहे है। यानी मिट्टी का गर्दा कब बैठ जाये और कारोबार को फिर से गति मिले।
आईपीएल, कलेक्टर और सेंचूरी
सरकार सुशासन तिहार मना रही है..। इस बार तिहार आईपीएल के क्रिकेट फार्मेट पर हो रहा .यानी 5 सीरीज मैच खेले जाएंगे। सीरीज का पहला मैच समाधान पेटी के मैदान पर खेला गया..। तीन दिन के इस खेल में जनता की टीम ने जमकर बालिंग की..गुगली से लेकर बाउंस तक सब फेंके .और अफसरों की टीम बैटिंग करती रही। सीरीज के पहले मैच में सीएम और उनके मंत्री दोनों छोर पर एंपायर की तरह हर बॉल और हर रन को ताड़ रहे थे। पहले मैच इतना मजेदार रहा कि समाधान पेटी का मैदान पूरा लबालब भरा गया और अफसर पसीना पसीना होने लगे।
इसी सीरीज में गरियाबंद कलेक्टर ने पहली पारी में सेंचूरी बना डाला, अपनी ही टीम के 24 अफसरों को हिट विकेट करा दिया. तीन SDM आउट होने से बचे गए। इन कलेक्टर साहेब की चर्चा पूरे ब्यूरोक्रेसी में चल रही है। मंत्रालय के क्रिकेट प्रेमियों को उनमें कोहली और तेंदूलकर नजर आने लगे हैं..। चर्चा है कि साबेह की शतकीय पारी सरकार को पसंद आ गई है उन्हें किसी बड़े जिले की कप्तानी सौंपी जा सकती है।
खैर, सुशासन तिहार के चार मैच अभी बाकी हैं..केवल पहली पारी से किसी की कप्तानी पर फैसला लेना थोड़ा मुश्किल होता है। बाकी के 4 मैच में अगर नंबर गेम ठीकठाक रहा तो आगे के मैच में कप्तानी की उम्मीद की जा सकती है। यानि बाकी के चार मैच भी और रोमांचक होने वाले हैं। और ये कलेक्टर साहेब तो फुलफार्म में नजर आ रहे हैं।
काली बिल्ली और यात्रा
नुक्कड़ वाली चाय की गुमठी में आज सुबह से मजमा लगा हुआ था..चिल्लपों करने वाली पुरानी कुर्सी या यूं कहे खूंटे के दो सिरों को जोड़कर बनाई गई कुर्सी में बैठने तो दूर खड़े होने तक की जगह नहीं थी। दूर से ही समझ आ रहा था मसला कुछ गंभीर है..।
रेडियो में खबर चल रही थी…फला.फला यात्रा में लोगों पर पत्थर बरसाए..फला जगह लोगों ने अपनी खुन्नस निकाली..पुलिस वालों को भी हाथ साफ का मौका मिला। हर तरफ यात्रा निकाली जा रही थी..कहीं रामनवमीं पर कहीं हनुमान जंयती पर…और जिन्हें कुछ नहीं मिला वो लोग न्याय यात्रा निकालने पर तुले थे। भरी गर्मी यात्रा.यात्रा के शोर से सुबह का चढ़ता सूरज और गर्म मालूम पड़ने लगा ।
तभी पतली गली से शर्माजी तेजी से निकले और जब तक कोई कुछ कहता वो गली की छोर में पहुंचकर गायब हो गए..पर शर्माजी को क्या पता गुमठी वाले पहले से उन्हीं की ताक में थे। भीड़ के कुछ लोग तेजी से गली की ओर लपके, हद तो कल्लू पहलवान ने की दी वो भीड़ से पहले दौड़कर गली के दूसरे छोर में पहुंचकर शर्माजी के आगे निकल आया..।
अब गली में जोर.जोर से बड़बड़ाने की आवाज आने लगीं..कुछ देर बाद गली से शर्माजी वापस आते दिखे भीड़ भी उनके पीछे पीछे चल पड़ी..सबके आगे आगे शर्माजी ऐसे चल रहे थे जैसे कोई नेता पदयात्रा पर निकला हो। सबसे पीछे कल्लू पहलवान रूआंसा चला जैसे पार्टी का कोई कार्यकर्ता हो.। लोग समझ नहीं पा रहे थे कि जो दौड़ में सबसे आगे था वो पिछड़ कैसे गया और गली में कौन बड़बड़ा था।
तभी भीड़ देखकर किसी ने हांक लगाई..कहां चल दिए शर्माजी किसी यात्रा पर तो नहीं निकले हैं..। शर्माजी माथे पर आए पसीने को पोछते हुए बोले..यात्रा पर जाना तो था मगर कल्लू पहलवान ने सब तेल कर दिया..वो कैसे..शर्माजी बोले, क्या बताए कल्लू पहलवान को भी आज ही काले कपड़े पहनना था..यात्रा शुरु हो इससे पहले रास्ता काट कर अपशकुन कर दिया।
पहले से रूआंसा कल्लू पहलवान कुछ हिम्मत जुटाकर बोला..यात्रा में निकलते समय अगर काली बिल्ली रास्ता काटे तब अपशकुन होता है..। और शर्माजी शुभ अशुभ के भी अपने कायदे हैं..अगर बिल्ली दाएं से बाएं तरफ़ रास्ता काट दे, तो यह शुभ संकेत होता है। अगर बिल्ली बाएं से दाएं तरफ़ रास्ता काट दे, तो इसे अशुभ माना जाता है..मेरे पास तो यही एक जोड़ी काले कपड़े हैं। मैं तो रोज आपके समाने से गुजरता हूं तो आज अपशकुन कैसे हुआ..बड़ा वाजिब सवाल था..।
शर्माजी बोले सुनो कल्लू पहलवान ये रोजवाली बात नहीं है..आज विशेष यात्रा के मकसद से निकला था लेकिन, काले कपड़े पहनकर तुम सामने पड़ गए वो भी सुबह सुबह..। अब कल्लू पहलवान को लगा भीड़ में कुछ लोग उसकी बात भी सुन रहे हैं। कल्लू पहलवान बोला..शर्माजी गोल मोल बात मत बनाइये…क्या सुबह क्या शाम, यात्रा तो कभी निकल सकती है, लगता है आपने आज का अखबार नहीं पढ़ा.. हमारे ही शहर में विपक्षी दल के नेता शाम को न्याय यात्रा निकालने वाले हैं जो 5 बजे शुरु होगी और 8 बजे खत्म। और, आप हैं कि सुबह शाम की बात कर रहे हैं।
इससे पहले कि भीड़ शर्माजी के खिलाफ हो जाती शर्माजी बोले..अरे भाई कल्लू पहलवान नाहक परेशान न हो.. वो क्या है कि गर्मी बहुत पड़ रही है। इसलिए सुबह की यात्रा छोड़कर शाम को यात्रा निकलने का विचार मन में आ गया तुम तो बेवजह मेरी बात को दिल पर ले बैठे हो..। अब बिल्ली के रास्ता काटने से भी भला कोई यात्रा रूकी है..उल्टे इसके और भी फायदे हैं, अगर किसी यात्रा में काले झंडे दिखे तो समझो कि अखबार के पहले पन्ने में छपने का जुगाड़ मुफ्त में हो गया। इससे पहले कि कल्लू पहलवान कुछ कहता गुमठी वाले ने रेडियो के कान जोर से मरोड़ दिए और रेडियो चीखने लगा….फला.फला यात्रा में लोगों पर पत्थर बरसाए..।