कोरबा

Korba : कोयले की कालिख में रंगे है अफसरो के हाथ.. रोड सेल के अधिकारी और ट्रांसपोर्टर कर रहे फिफ्टी फिफ्टी की बात…

कोरबा। Korba : देश की शान कहे जाने वाले एसईसीएल की खदानो से हो रही कोयला चोरी में अफसरों के हाथ रंगे है। ट्रांसपोर्टरों को हाई लेबल की सिक्यूरिटी देने वाले रोड सेल के अधिकारी फिफ्टी फिफ्टी की बात करते है।

बताते चले कि छत्तीसगढ़ का केजीएफ कहे जाने वाले कोयला खदान मे बाहुबली बाहरी प्रांत के ट्रांसपोर्टरों का कब्जा है। सूत्रधार कहते है कि खदान के भीतर एक अलग दुनिया है जहां सिर्फ कोयलांचल के बाहुबलियों का राज चलता है। यही वजह है कोयला चोरी का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। जिस कोल स्कैम को भाजपा सरकार ने भुनाया उससे बड़े स्तर पर संगठित कोयला चोरी खदानो से की जा रही है।

चोरी का कोयला लोड चार गाड़ी

कोयला चोरी के खेल में शामिल ट्रांसपोर्टरों का आज पर्दाफाश हो गया है। कुसमुंडा थाना से मिली जानकारी के अनुसार SECL रोड सेल के अफसर आज निरीक्षण करने निकले थे। इस दौरान खाटू श्याम ट्रांसपोर्टर के 4 गाड़ियों पर उनकी नजर पड़ी। ड्राइवर से रॉयल्टी पर्ची मांगने पर रॉयल्टी कम और गाड़ी ने कोयला ज्यादा लोड मिला। गाड़ी में पर्ची कम और कोयला अधिक मिलने पर अफसरो ने कुसमुंडा पुलिस को शिकायत करते हुए चार गाड़ियों को जब्त किया है।

कौन है खाटू श्याम के मालिक

सूत्रधार की माने तो खाटू श्याम ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक सत्यम गोयल है जो बिलासपुर में रहकर कोयला चोरी का खेल करा रहे है। चार गाड़ियों से 84 टन चोरी का कोयला जब्त होने के बाद कई और चौंकाने वाले खुलासे होने की चर्चा की जा रही है।

कैसे हो रहा खदान से कोयला चोरी

सूत्रधार बताते है कि सरकार बदलने के बाद कोयला चोरी की तरीके भी बदल गए है। रोड सेल से कोयला उठाने वाले ट्रांसपोर्टर सड़क खराब का बहना बनकर 35 टन के पासिंग वाले ट्रैकों में 20 टन कोयला लोड करता है। उसके बाद फिर से 15 टन चोरी का कोयला लोड कराकर खदान से बाहर निकलता है। मतलब 20 टन एक नंबर और प्रति ट्रक15 चोरी का कोयला खदान से बाहर निकलता है। चूंकि ट्रक की पासिंग 35 टन है और ट्रक फुल लोड निकलती है सुरक्षा गार्ड ट्रक को चेक नही करता। जिससे आसानी से ट्रांसपोर्टर चोरी का कोयला बेचकर रातों रात करोड़पति बन रहे है। कहा तो यह भी जा रहा कि इस खेल में एसईसीएल के अफसर भी शामिल है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button