Stock Market Ban : छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला…! सरकारी कर्मचारियों पर शेयर ट्रेडिंग, F&O और क्रिप्टो निवेश पर रोक…अधिसूचना जारी
ड्यूटी समय में अधिकारी और कर्मचारी कर रहे थे ऑनलाइन ट्रेडिंग

रायपुर, 02 जुलाई। Stock Market Ban : छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों को लेकर एक अहम फैसला लिया है। सरकार ने शेयर बाजार, F&O (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस) और क्रिप्टोकरेंसी में निजी निवेश करने पर रोक लगा दी है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने अधिसूचना जारी कर दी है, जो तुरंत प्रभाव से लागू मानी जाएगी।
क्या कहती है अधिसूचना?
अधिसूचना के अनुसार, “राज्य सरकार के किसी भी नियमित, संविदा, स्थायी अथवा अस्थायी सेवा में कार्यरत अधिकारी या कर्मचारी अब बिना पूर्व अनुमति के शेयर बाजार, डेरिवेटिव्स (F&O), म्युचुअल फंड की उच्च जोखिम योजनाएं अथवा क्रिप्टोकरेंसी जैसी डिजिटल संपत्तियों में निवेश नहीं कर सकेंगे।”
यह आदेश अधिकारिक गोपनीयता, हितों के टकराव और संभावित भ्रष्टाचार को रोकने के उद्देश्य से लागू किया गया है।
सरकार ने क्यों लिया यह फैसला?
सरकार का कहना है कि, कुछ अधिकारी व कर्मचारी ड्यूटी टाइम में ऑनलाइन ट्रेडिंग कर रहे थे। निवेश गतिविधियां कई बार गोपनीय सरकारी सूचनाओं के दुरुपयोग की संभावना बढ़ा देती हैं। क्रिप्टोकरेंसी और डेरिवेटिव्स जैसे जोखिमपूर्ण निवेश माध्यम में शामिल होने से आर्थिक अनियमितता और ग़ैरकानूनी गतिविधियों का खतरा है।
कहां-कहां लागू होगा प्रतिबंध?
यह प्रतिबंध निम्नलिखित वर्गों पर लागू होगा:
सभी विभागों में कार्यरत राज्य अधिकारी / कर्मचारी
संविदा कर्मी, स्थायी और अस्थायी पदस्थापित कर्मचारी
राज्य सरकार द्वारा नियुक्त निगम-मंडल कर्मी, जिन्हें सेवा शर्तें सरकारी कर्मियों जैसी प्राप्त हैं
क्या होंगे उल्लंघन के परिणाम?
अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी इस आदेश का उल्लंघन करते पाया गया तो:
विभागीय जांच की जा सकती है
निलंबन या अनुशासनात्मक कार्रवाई संभव है
वित्तीय गतिविधियों पर गंभीर निगरानी रखी जाएगी
विशेष अनुमति का प्रावधान
हालांकि, अधिसूचना में यह भी उल्लेख है कि कोई भी कर्मचारी यदि निजी कारणों से निवेश करना चाहता है, तो उसे पहले संबंधित विभाग प्रमुख या सक्षम प्राधिकारी से लिखित अनुमति लेनी होगी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम सरकारी सेवा की नैतिकता और पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में अहम है। हालांकि कुछ कर्मचारी संघ इसे आर्थिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मान सकते हैं, लेकिन सरकार का रुख स्पष्ट है, “जनहित पहले।”