कटाक्ष

Return of Mahant era in Congress: याद आए CSP संजीव और,रेत से तेल और सज्जाद का खेल…ब्यूरोक्रेसी में सेटिंग और वेटिंग का खेल,राख से खाक हो रही साख…

 

याद आए CSP संजीव और ..

कड़क कप्तान के ट्रांसफर लिस्ट के बाद दर्री क्षेत्र के लोग सीएसपी रहे संजीव शुक्ला की याद ताजा कर रहे हैं। दरअसल ट्रांसफर में दर्री थाना पदस्थ हुए 6 फिट 2 इंच वाले टीआई साहब को देखकर लोग पुराने दिन याद कर रहे हैं। 1997 सें 2000 के दौर में दर्री सर्किल में सीएसपी रहे संजीव शुक्ला भी 6 फिट 3 इंच थे और उनकी पुलिसिंग भी हाइट के माफिक टाइट थी। उनके कार्यकाल को नजदीक से समझने वाले कहते है उनके आवाज और हाइट देखकर अच्छे अच्छे की पतलून ढीली हो जाती थी।

खैर पुराने दौर की बात ही कुछ और थी। दरोगा जब निकलता था सड़कों को सांप सूंघ जाता था और अबके थानेदारों का तो पूछिये मत थानेदार के चेम्बर में बैठकर अपराधी मारपीट तक कर लेते हैं। ताजा मामला कुसमुण्डा थाना का ही ले लिजिये जहां एक कोयला ट्रांसपोर्ट थानेदार के चेम्बर में मारपीट कर दिया।

हालांकि कुछ थानेदार अभी भी हाइट के हिसाब से फील्ड में फाइट कर लेते हैं। बात अगर दर्री थाना के नए थानेदार की जाए तो साहब लंबी कद काठी के होने के साथ मधुर मुस्कान के धनी है और नाम तो पूछिये मत रूपक अर्थात विशेष गुण के धनी। साहब शालीनता के धनी होने की वहज से कोतवाली में बैगर किसी विवाद के डेढ़ साल गुजार लिए। लिहाजा दर्री तो गुजर ही जाएगा…!

 

रेत से तेल और सज्जाद का खेल…

 

सरकार बदलने के बाद भी रेत से तेल निकालने सज्जाद गिरोह का खेल जारी है। सीतामणी रेत घाट से दिनभर निकल रही अवैध रेत से माइनिंग डिपार्टमेंट के अफसरों के साथ साथ पुलिस की छवि भी खराब हो रही है। दिन भर फर्राटे भरते ट्रैक्टर और सिंडिकेट गिरोह की दबंगई से ऐसा लगता है सरकार भले ही भाजपा की है लेकिन, राज अभी भी रेत तस्करों का ही चल रहा है।

जिस अंदाज में पुलिस और प्रशासन को सेट कर रेत निकालने का खेल खेला जा रहा है उससे नियमों की भी धज्जियां उड़ रही हैं। कहा तो यह भी जा रहा कि रेत तस्करी करने वाले तस्करों का हौसला इसलिए बुलंद है क्योंकि माइनिंग डिपार्टमेंट के दो नगर सैनिक तस्करों के साथ है। जो ऑफिस और साहब के पल -पल की अपडेट सेवा शुल्क वसूल कर बताते हैं।

सूत्र बताते हैं कि माइनिंग डिपार्टमेंट में बैठे दिलीप और माखन के इशारों पर रेत का अवैध कारोबार फल फूल रहा है। खनिज विभाग के जानकारों की माने तो गोपनीय जानकारी लीक न हो इसके लिए हर महीने नगर सैनिकों की ड्यूटी को चेंज किया जाता था, लेकिन पिछले 3 महीने से यह नियम भी शिथिल है और यही दो नगर सैनिक अवैध तस्करों को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं।

यही नहीं सड़क में फर्राटे भरने वाले ट्रैक्टर मालिक कोतवाली को भी एक फिक्स उपहार प्रतिदिन के हिसाब से देते हैं। जिससे बिना रोक टोक के रेत की गाड़ियां फर्राटे भर रही हैं। तभी तो रेत लोड ट्रैक्टर को बाकायदा कुछ ट्रैफिक के सिपाही सड़क पार कराते सड़कों पर दिख जाते हैं। मतलब यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा रेत से तेल निकालने में सज्जाद गैंग के खेल में पुलिस और माइनिंग डिपार्टमेंट का भी अहम रोल है।

 

 

नेता जी खोज रहे राख से खाक हो रही साख बचाने के उपाय

 

सरकार बदलते ही शहर के एक नेता जी जगह- जगह डंप हो रहे राख से साख बचाने की तरकीब खोज रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि शहर को राख मुक्त कराने का वादा तो जनता से कर दिये हैं, पर राख से मुक्ति मिलेगी कैसे ..! नेता जी मन मे कौंध रहे तमाम सवालों के उत्तर तलाशने अध्ययन में जुटे हैं।

सूत्रों की मानें तो नेता जी कहते फिर रहे हैं कि राख डंप करने की अनुमति न तो एसडीएम दे सकता है और न ही पर्यावरण अधिकारी! अब उन्हें कौन बताए कि बिना नियम के सब काम चलता है। क्योंकि इतवारी बाजार बने पक्का दुकान भी तो बिना नियम के बने है तो राखड़ में नियम खोजकर साबित क्या करना चाहते हैं।

वैसे भी नेता के वादे राजकुमार के हिट “बातों के तलवार से गर्दन नहीं कटते” संवाद जैसे हैं। राजनीति में कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है। शहर को राखड़ मुक्त करना वैसी है जैसे जगी आंखों से सपना तो देख लिया जाता है लेकिन, साकार कर पाना मुश्किल काम है। ये बात अलग है राख मुक्त शहर की कल्पना आसान है। लेकिन, अगर नेता जी सच्चे मन से चाह ले तो नामुमकिन भी नहीं है..!

 

ब्यूरोक्रेसी में सेटिंग और वेटिंग का खेल

छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनते ही मंत्रालय महानदी भवन की ब्यूरोक्रेसी में अफसरों के बीच आज कल सेटिंग और वेटिंग का खेल जमकर खेला जा रहा है। पांच साल की वेटिंग वाले के कई अफसर नई सरकार में लंबी पारी खेलने के लिए जमकर पसीना बहा रहे हैं। वहीं कांग्रेस सरकार में मंत्रालय के मलाईदार पदों पर रहे अफसर सेटिंग में लगे हैं।

हालांकि की मोदी के विकसित भारत वाले वाले फ्रेम में उन्हीं अफसरों को जगह मिल सकती है जो रिजल्ट ओरिएंटेट होंगे। इसकी लिस्ट भी तैयार हो चुकी है। इसकी सुगबुगाहट मंत्रालय से लेकर अफसरों तक भी पहुंच रही है। मगर वो कोई मौका गंवाना नहीं चाहते। अफसरों को भी मालूम है कि अभी नहीं तो कभी नहीं…अगले साल मई जून तक लोकसभा इलेक्शन होना है।

नई सरकार के सामने किसानों को बोनस, पीएम आवास, महतारी वंदन योजना, रसोई गैस जैसी गांरटी को पूरी करने की जिम्मेदारी है। प्रदेश की वित्तीय हालत कांग्रेस राज में दिवालिया होने की कगार में है। ऐसे में अगर वो कोई ठीक योजना लेकर आए तो सरकार के गुड बुक में आने में देर नहीं लगेगी। इस लिहाज से सेटिंग और वेटिंग का खेल…रिजल्ट देने वाला साबित हो सकता है।

कांग्रेस में महंत युग की वापसी 

 

कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के अपने पूर्व मंत्री चरणदास महंत को नेता प्रतिपक्ष बनाकर ये संकेत दे दिया है कि अब प्रदेश में महंत ही पार्टी के भरोसे वाला चेहरा होंगे। इससे पहले पार्टी का भूपेश है तो भरोसा है…वाला जुमला पार्टी हाईकमान के लिए नुकसान पहुंचाने वाला साबित हुआ। 75 प्लस का नारा लगाने वाली कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी।

लेकिन, चरणदास महंत ने सक्ति सीट पर अपनी ताकत दिखाकर आलाकमान तक से संदेश जरूर पहुंचा दिया कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अभी कमजोर नहीं हुई है। बल्कि दिल्ली के वफादार नेताओं को बड़े सलीके से किनारे करने की कोशिश हुई जिसका नतीजा विधानसभा चुनाव के नतीजों में सामने आया।

सीटिंग विधायकों की टिकट काटने और पैसे लेकर उम्मीदवार बनाने की आरोप से कांग्रेस सिरफुटव्व मची हुई है। रायपुर से लेकर दिल्ली तक आरोप लगाएं जा रहे हैं। कुछ नोटिस और कुछ तो बाहर का रास्ता दिखाकर असंतोष का कम करने का प्रयास जरूर किया जा रहा है। मगर छत्तीसगढ़ में पांच साल तक भरोसे की सरकार ने क्या किया इसकी जानकारी आलाकमान तक पहुंच चुकी है। जो बड़े बदलाव का संकेत है।

  ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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