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पं. प्रदीप मिश्रा बोले-क्रिसमस पर बच्चों को जोकर न बनाएं, शिवालयों में मनाइए नया साल

रायपुर। Pt. Pradeep Mishra: कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने क्रिसमस को लेकर कहा कि अपने बच्चों को लाल ड्रेस और टोपी पहनाकर जोकर मत बनाइए, जिससे उनका मजाक उड़ाया जाए। अपना धर्म छोड़कर किसी दूसरे धर्म में जाकर जूठन मत खाइए। अपने बच्चों को वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप और झांसी की रानी के कपड़े पहनाइए।

Pt. Pradeep Mishra: उन्होंने सनातनियों से अपील की है कि, वे नया साल शराब की दुकानों पर नहीं, बल्कि शिव मंदिरों में मनाएं। अंग्रेजी नए वर्ष थर्टी फर्स्ट को लोग पी-पीकर गटर में मिलते हैं। कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने ये बातें रायपुर के सेजबहार में कही है। यहां 24 से 30 दिसंबर तक कथा का आयोजन किया गया है। आज दूसरा दिन है।

Pt. Pradeep Mishra: सनातन से बड़ा कुछ नहीं

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, अपने सनातन धर्म को प्रबल और मजबूत करने का प्रयास करिए। अपने यहां रूखा-सूखा जो मिल रहा वो खाइए। तुम दुनिया की थोड़ी चमक-धमक देखकर सनातन धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म की ओर चले जाते हो। सनातन धर्म से बड़ा कुछ नहीं है।

Pt. Pradeep Mishra: पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, गुरु नानक देव जी ने सनातन को बचाने और रक्षा के लिए अपने बाल तक बढ़ा लिए थे। जटा तक बांध ली थी। धर्म रक्षा सनातन की रक्षा बहुत जरूरी है। आप लोग कहां भटक रहे हो।

Pt. Pradeep Mishra: पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, अभी लोग 31 फर्स्ट मनाएंगे। ऐसा कुछ नहीं हुआ है, केवल कैलेंडर बदलता है। आप जैसे थे वैसे के वैसे ही रह गए। इन सब का क्या मतलब। जब बसंत बदले मेरे भारत की भूमि की हरियाली बदले, आपके चेहरे की रौनक बदले। आपका दिल प्रफुल्लित हो। उन्होंने कहा कि 31 फर्स्ट को शराब की बोतल खुलती है, जबकि चैत्र नव वर्ष में गंगाजल खुलता है। सनातनी चैत्र नव वर्ष में लोग मंदिर और शिवालय में मिलते हैं।

Pt. Pradeep Mishra: शिवालयों में मनाएं थर्टी फर्स्ट

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, मेरा सनातनियों से निवेदन है। आप 31 दिसंबर मना रहे हो मनाओ, हमारी तरफ से छूट है, लेकिन यह याद रखना थर्टी फर्स्ट के दिन भी शराब की दुकान पर नहीं बल्कि कुबरेश्वर धाम और महाकाल की भूमि पर जाइए।

Pt. Pradeep Mishra: हमारे रायपुर में शिवालय, राम मंदिर, चंपारण का चंपेश्व महादेव है। छत्तीसगढ़ के प्राचीन शिवालय में जाइए। अगर न्यू ईयर मनाना है, तो भगवान शंकर की शरण में जाकर मनाओ।

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