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मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर निकला ‘करोड़पति बाबू’, 44 प्लॉट, सोना-चांदी और कैश से भरी अलमारी ने उड़ाए होश

भुवनेश्वर | ओडिशा में भ्रष्टाचार के खिलाफ विजिलेंस की एक बड़ी कार्रवाई ने सरकारी तंत्र में व्याप्त काले धन की चौंकाने वाली सच्चाई उजागर कर दी है। राज्य सरकार के मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (MVI) गोलाप चंद्र हंसदाह के खिलाफ की गई छापेमारी में करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ है, जिसे देखकर विजिलेंस अफसरों की आंखें भी चौंक गईं।

छापेमारी में मिला खजाना

  • 44 प्लॉट – जिनमें से 43 मयूरभंज के बारिपदा व आसपास और एक बालेश्वर के बाहरी इलाके में स्थित
  • 1 किलो सोना, जिसमें 50-50 ग्राम के दो बिस्किट शामिल
  • 2.126 किलो चांदी
  • 1.34 करोड़ रुपये के बैंक और बीमा डिपॉजिट
  • 2.38 लाख रुपये नगद
  • एक गुप्त डायरी, जिसमें बेनामी लेन-देन और कालाधन का विवरण
  • 3300 वर्गफुट का डबल स्टोरी भवन, जिसकी रजिस्ट्री वैल्यू लगभग 1.49 करोड़ रुपये
  • हुंडई क्रेटा और तीन दोपहिया वाहन
  • 16.06 लाख रुपये के घरेलू कीमती सामान

बेटी की मेडिकल शिक्षा में खर्च किए गए लगभग 40 लाख रुपये

कहां-कहां हुई छापेमारी?

छापेमारी की यह कार्यवाही ओडिशा विजिलेंस की 6 टीमों द्वारा राज्य के छह अलग-अलग ठिकानों पर एक साथ की गई, जिनमें शामिल हैं:

  • बौद्ध जिले में किराए का घर
  • मयूरभंज के बारिपदा स्थित निजी मकान
  • भुवनेश्वर के पांडरा इलाके में बेटी का किराए का फ्लैट
  • खूंटा थाना क्षेत्र का पैतृक निवास
  • बाघदिहा स्थित करीबी सहयोगी का घर
  • बौद्ध आरटीओ कार्यालय में उनका ऑफिस चैंबर
  • यह छापेमारी स्पेशल विजिलेंस कोर्ट, बारिपदा के आदेश पर की गई, जिसमें 4 डीएसपी, 7 इंस्पेक्टर समेत दर्जनों अधिकारी शामिल थे।

कौन है हंसदाह 

गोलाप चंद्र हंसदाह ने 2003 में जूनियर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के तौर पर सेवा में प्रवेश किया था। उन्होंने सुंदरगढ़, संबलपुर, मयूरभंज और बरगढ़ में विभिन्न चेक गेट्स और आरटीओ दफ्तरों में कार्य किया। वर्ष 2020 में उन्हें प्रमोशन देकर MVI बनाया गया और वर्तमान में वह बौद्ध RTO में तैनात हैं। उनकी मासिक वेतन ₹1.08 लाख है, जो उनकी कुल संपत्ति के मुकाबले बौनी प्रतीत होती है।

विजिलेंस अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ प्रारंभिक जांच है और आगे की छानबीन में और भी संपत्ति और बेनामी निवेश सामने आने की पूरी संभावना है।

एक अधिकारी ने बताया:

“जिस स्तर की संपत्ति अब तक सामने आई है, वह एक सरकारी अफसर की आमदनी से कहीं परे है। डायरी और दस्तावेजों की जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।”

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