Medical Students : मेडिकल छात्रों का काली पट्टी प्रदर्शन…! 50% पीजी कोटा बहाली की मांग…नाराज छात्रों ने अस्पताल के बाहर किया शांतिपूर्ण विरोध
कैंटल जलाकर और तख्तियां लेकर मेडिकल छात्रों ने किया सरकार के फैसले का विरोध
रायपुर, 09 दिसंबर। Medical Students : भीमराव अंबेडकर अस्पताल के बाहर सोमवार को मेडिकल छात्रों ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पीजी सीटों में राज्य कोटा 50% से घटाकर 25% करने के फैसले के खिलाफ काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने हाथों में तख्तियां लेकर सरकार तक अपनी मांगें पहुंचाई और राज्य विधानसभा में इस मुद्दे को तत्काल उठाने की अपील की।
भविष्य सुरक्षित करने की गुहार
छात्रों ने अस्पताल के मुख्य द्वार पर काली पट्टी बांधकर और तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। तख्तियों पर लिखा था, पीजी में छत्तीसगढ़ का हक लौटाओ। 50% राज्य कोटा बहाल करो। हमारे भविष्य से खिलवाड़ मत करो।
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल सीटों की नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ में मेडिकल शिक्षा के अधिकारों और स्थानीय छात्रों के भविष्य की सुरक्षा की लड़ाई है। इस दौरान छात्रों ने कैंडल जलाकर विरोध दर्ज कराया।
2 साल ग्रामीण बॉन्ड पूरा करने के बावजूद कटौती
छात्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के MBBS डॉक्टर पहले ही दो साल का अनिवार्य ग्रामीण सेवा बॉन्ड पूरा करते हैं। इसके बावजूद पीजी सीटों में कटौती करना दोहरी मार जैसा है। उनका कहना है कि इस फैसले से राज्य के छात्रों की प्रतिस्पर्धा अन्य राज्यों के उम्मीदवारों के साथ और असमान हो जाएगी।
‘बंधुआ मजदूरी जैसा व्यवहार का आरोप
छात्र नेताओं का कहना है कि जब सरकार उनसे ग्रामीण सेवा करवा रही है, तो उनके करियर के अवसरों की सुरक्षा भी सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य कोटा घटाकर सरकार उन्हें बंधुआ मजदूर जैसी स्थिति में ला रही है।
विधानसभा में मुद्दा उठाने की अपील
छात्रों ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा विधानसभा के आगामी सत्र में प्राथमिकता के साथ उठाया जाए। उन्होंने विधायकों से अपील की कि मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के भविष्य को देखते हुए 50% राज्य कोटा तत्काल बहाल किया जाए। यदि इस पर चर्चा नहीं हुई, तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्वरूप देने की चेतावनी दी गई।
आंदोलन कड़ा करने की चेतावनी
छात्रों ने सरकार की लगातार चुप्पी पर नाराजगी जताई और चेतावनी दी कि यदि जल्द ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो वे अस्पतालों, कॉलेजों और राजधानी में बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि यह मुद्दा केवल उनका नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था के भविष्य से जुड़ा हुआ है।



