
कोरबा । जिले में प्रशासनिक कार्यों में कसावट और पारदर्शिता लाने तथा अनियमिताओं पर नियंत्रण करने के लिए कलेक्टर अजीत वसंत के द्वारा लगातार कार्यवाही की जा रही है। जोगेश्वर कंवर, तत्कालीन पटवारी कोरबा (वर्तमान में तहसील कटघोरा में सलंग्न) द्वारा ग्राम कोहड़िया स्थित शासकीय भूमि (बड़े झाड़ का जंगल मद की भूमि) खसरा नंबर 625/1 रकबा 3.845 हेक्टेयर एवं खसरा नंबर 761/2 क रकबा 4.124 हेक्टेयर भूमि को बालको के नाम पर बिना किसी सक्षम प्राधिकारी के आदेश के नामांतरण कर दिया गया था।अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोरबा एवं तहसीलदार कोरबा के जांच उपरांत उक्त भूमि को छत्तीसगढ़ शासन के पक्ष में पुनः दर्ज किया गया है। कलेक्टर कोरबा द्वारा संबंधित पटवारी की 2 वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने की कार्यवाही की गयी है।
अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्राम कोहड़िया, प.ह.नं. 16 अंतर्गत खसरा नंबर 625/1 (रकबा 3.845 हे.) और 761/2क (रकबा 4.124 हे.) की भूमि पूर्व में बड़े झाड़ के जंगल मद में दर्ज थी। यह भूमि बालको के नाम कैसे दर्ज हुई, इसकी जांच कलेक्टर कोरबा के आदेश पर तहसीलदार कोरबा से कराई गई। जांच में यह तथ्य सामने आया कि 25 अक्टूबर 2022 एवं 19 नवंबर 2022 को भूमि रकबा और स्वामी विवरण में संशोधन किया गया था। यह संशोधन तत्कालीन हल्का पटवारी श्री जोगेश्वर कंवर द्वारा भुइंया पोर्टल में बिना सक्षम प्राधिकारी के आदेश के किया गया, जो उनके कार्यक्षेत्र से बाहर था और प्रशासनिक नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
तथ्य सामने आने पर तहसील कार्यालय ने मामले में राजस्व प्रकरण क्रमांक 202502050600021/अ-6अ/2024-25 दर्ज कर बालको के नाम से दर्ज भूमि को विलोपित कर दिया और 19 नवंबर 2022 के पूर्व की स्थिति बहाल करते हुए उक्त भूमि को पुनः छत्तीसगढ़ शासन के नाम पर जंगल मद में दर्ज कर दिया गया। यह आदेश दिनांक 13 मार्च 2025 को पारित किया गया और संबंधित ऑनलाइन अभिलेखों को अद्यतन कर लिया गया है।
तहसीलदार कोरबा द्वारा तत्कालीन पटवारी जोगेश्वर कंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। उन्होंने सक्षम अधिकारी के आदेश का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया। जवाब में बस संशोधन को “अभिलेख शुद्धता“ के आधार पर किया गया बताया गया, जिसे प्रशासन ने तर्कहीन माना। तहसीलदार की अनुशंसा पर श्री कंवर के विरुद्ध छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत कलेक्टर कोरबा द्वारा पटवारी जोगेश्वर कंवर की दो वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकी गई है। संपूर्ण प्रतिवेदन शासन को मूल रूप से प्रेषित कर दिया गया है।