कोरबा

Korba : खेत के पास प्लास्टिक की थैली में मिला नवजात, ग्रामीणों में आक्रोश…देखे वीडियो

खेत के पास प्लास्टिक की थैली में मिला नवजात

कोरबा, 01 सितंबर। Korba : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में इंसानियत को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। पाली थाना क्षेत्र के डोंगनाला गांव में एक किसान की बाड़ी से सटे खेत में प्लास्टिक की थैली में लिपटा हुआ नवजात शिशु मिला। उसकी उम्र महज कुछ घंटे बताई जा रही है। शिशु के शरीर पर कीड़ों और चींटियों के काटने के निशान मिले हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि उसे जन्म के तुरंत बाद खेत में फेंक दिया गया था।

खेत में रोने की आवाज से हुआ खुलासा

गांव के किसान सत्ते सिंह मरकाम की बाड़ी के पास काम कर रहे किसानों को सुबह करीब 11 बजे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। जब वे आवाज की दिशा में पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि एक प्लास्टिक की थैली में एक नवजात बालक जोर-जोर से रो रहा था। यह दृश्य देखकर ग्रामीण स्तब्ध रह गए। कुछ ही समय में वहां भीड़ जमा हो गई।

तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया नवजात

ग्रामीणों ने फौरन 108 एंबुलेंस और पाली थाना पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची एंबुलेंस टीम ने नवजात को प्राथमिक उपचार के लिए पाली के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

विकासखंड स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिल सराफ के मुताबिक, नवजात का वजन करीब 1.7 किलोग्राम है और उसकी हालत फिलहाल स्थिर है। उसे बेहतर देखभाल के लिए जिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है।

इस अमानवीय घटना को लेकर गांव में गहरा आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि यह कृत्य बेहद क्रूरता और निर्दयता का उदाहरण है। उन्होंने दोषियों की जल्द गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि गांव में इस तरह की घटना पहली बार हुई है, जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया है।

पाली थाना प्रभारी जितेंद्र यादव ने बताया कि मामले में अज्ञात आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस आसपास के क्षेत्रों में पूछताछ कर रही है, ताकि इस घृणित कृत्य को अंजाम देने वाले आरोपियों को पकड़ा जा सके।

यह घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था बल्कि सामाजिक चेतना पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है। यदि किसी को नवजात को पालने की जिम्मेदारी उठाने में कठिनाई हो रही हो, तो सरकार द्वारा चलाई जा रही गोद लेने की योजनाओं या शिशु गृह जैसी व्यवस्थाओं का सहारा लिया जा सकता है। एक नवजीवन को यूं मरने के लिए छोड़ देना किसी भी समाज के लिए शर्मनाक है।

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