Featuredछत्तीसगढ़देश

जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार का राज ..जाने तहखानों का तिलिस्म और 12 वीं सदी का खजाना…

न्यूज डेस्क। पुरी का जगन्नाथ मंदिर प्राचीनकाल से ही हजारों हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. यह भारत के चार धामों में से एक है. भगवान विष्णु के इस धाम में भगवान जगन्नाथ के साथ उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र विराजमान हैं. इस मंदिर में 12वीं सदी का खजाना आज भी मौजूद है, इस खजाने को उस समय के राजाओं ने मंदिर को दान में दिया था. इसी तहखाने यानी रत्न भंडार को 46 साल बाद 14 जुलाई को खोला गया. सवाल है कि आखिर ये खजाना इतने सालों तक क्यों नहीं खोला जा सका?

4 अप्रैल 2018 को हाईकोर्ट के आदेश पर 16 सदस्यों की एक टीम पुरी जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करती है. इस टीम में मंदिर के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर पीके जेना, पुरी के महराज दिव्यदेव सिंह, जिले के कुछ अधिकारी, पुलिस और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सदस्य शामिल थे, लेकिन जैसे ही ये टीम मंदिर के नीचे स्थित चैंबर में जांच करने के लिए पहुंचती है तो टीम से कहा जाता है कि रत्न भंडार की चाबियां गुम हो गई हैं.

इसके बाद टीम बाहर से ही उन चैंबरों की जांच कर वापस लौट जाती है. इसके बाद टीम बाहर से ही उन चैंबरों की जांच कर वापस लौट जाती है. इसके बाद चीफ एडमिनिस्ट्रेटर पीके जेना ने मीडिया के सामने कहा कि टीम ने बाहर से ही रत्न भंडार की जांच कर ली है. उसी शाम मंदिर की कमेटी की बैठक बुलाई जाती है, जिसमें गुम हुईं चाबियों को लेकर चर्चा होती है. इसी मीटिंग का ब्योरा दो महीने बाद मीडिया में लीक हो जाता है, जिसके बाद दुनिया के सामने मंदिर के रत्न भंडार की चाबियां गुम होने की बात सामने आती है.

ये पूरा वाकया अपने पीछे कई सवाल छोड़ जाता है. मसलन वो रत्न भंडार जिसमें भगवान जगन्नाथ के करोड़ों रुपयों के हीरे जवाहरात रखे गए हैं, उसकी चाबियां आखिर कहां गुम हो गईं? मंदिर प्रशासन को जब पहले ही उन चाबियों के गुम होने का पता चल चुका था तो टीम को पहले की क्यों नहीं बता दिया गया? यह जानकारी लोगों के सामने तुरंत क्यों नहीं आई?

 

भगवान जगन्नाथ के इस खजाने को आखिरी बार साल 1985 में खोला गया था. इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के आभूषण रखे हुए हैं, इसी के साथ सोने-चांदी के बर्तन भी हैं. इस खजाने को खोलने के लिए ओडिशा सरकार से अनुमति लेनी होती है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button