न्यूज डेस्क। हैलो ! हम पुलिस कमिश्नरेट आगरा के फीड बैक ऑफिस से बोल रहे हैं। आपके पासपोर्ट वेरिफिकेशन में कोई दिक्कत तो नहीं आई। पुलिसकर्मी ने काम करने के एवज में रुपए तो नहीं लिए। बस इसी एक फोन कॉल पर पुलिसकर्मियों की शिकायत आईं। जांच के बाद ही आगरा में 24 घंटे में 56 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया।
प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है कि फीड बैक लेकर रिश्वतखोर पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई। आइए आपको बताते हैं आगरा पुलिस में कैसे फीड बैक सिस्टम की शुरुआत हुई।
4 महीने पहले पुलिस कमिश्नर ने की शुरुआत
6 महीने पहले जनवरी में पुलिस कमिश्नर जे रविंद्र गौड़ ने आगरा में चार्ज लिया था। उस समय आगरा पुलिस पर जमीन कांड में बेगुनाहों को जेल भेजने और जमीन पर कब्जा कराने के आरोप लगे थे। ऐसे में पुलिस की इमेज सुधारने के लिए उन्होंने सिटीजन चार्टर लागू किया।
4 महीने पहले पुलिस में बीट प्रणाली लागू की। उस समय पुलिस कमिश्नर ने कहा था, किसी भी काम के वेरिफिकेशन के लिए पुलिस कोई शुल्क नहीं लेती। अगर कोई शुल्क मांगता है, तो उसकी शिकायत पुलिस हेल्पलाइन पर कर सकते हैं।
वेरिफिकेशन के बाद पुलिस की ओर से लाभार्थी से फीड बैक भी लिया जाएगा। उनसे पुष्टि की जाएगी कि बीपीओ घर पर आए थे या नहीं। कोई सुविधा शुल्क तो नहीं लिया गया। 4 महीने से ये व्यवस्था चल रही थी। पुलिस की ओर से फीड बैक सेल लोगों से फीड बैक ले रहा था।
मगर, कुछ पुलिसकर्मी इस बात को भूल गए थे। वो वेरिफिकेशन के बदले लोगों से सुविधा शुल्क ले रहे थे। इसकी शिकायतें पुलिस कमिश्नर और जोन के DCP को मिल रही थीं। आचार संहिता के दौरान शिकायतों की संख्या बढ़ गई थी। ऐसे में आचार संहिता हटते ही भ्रष्टाचार और काम में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ एक्शन लिया गया।