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Flowers are expensive: खाकी के टैंगो की बात, दादू की आ रही याद,टेंशन में जाबांज, लूट गया रेत घाट..डीजल के खेल में काला धुंवा किसकी आंखों में,यूं की…क्योंकि…इसलिए

🔶खाकी के टैंगो की बात, दादू की आ रही याद…

खाकी के टैंगो उच्च अफसर के आदेश पर बात करते हुए पूर्व प्रभारी रहे दादू को याद कर रहे है।

दरअसल खाकी के सफेद वर्दी धारियों के 4 टैंगो यानी सेनापतियो को राजेन्द्र कुमार के फ़िल्म की गीत ‘धीरे-धीरे बोल कोई सुन ना ले..” को सुनाते हुए साहब ने नया सिस्टम लागू करने का सुझाव रखा है। साहेब के आदेश के बाद सड़क में सिटी बजाने के साथ सांय सांय चलानी कार्रवाई करने वाले टैंगो पूर्व प्रभारी रहे दादू  की याद ताजा करते हुए कह रहे हैं “क्या करें भाई कड़क कार्रवाई की तो कप्तान के नजर में चढ़ जाएंगे और नही की तो प्रभारी को देने नजराना कहा से लाएंगे।”… मतलब सेनापति बने रहना है तो साहब का आदेश भी मानना पड़ेगा और शिकायत हुई तो लाइन अटैच। दुविधा में पड़े सेनापति दुखड़ा सुनाते हुए कह रहे अब क्या करें भाई एक तरफ कुंआ है दूसरे तरफ खाई..! कहा तो यह भी जा रहा है कि कड़क कप्तान के राज में प्रभारी की डिमांड भी जिगरा वाली बात है क्योंकि कप्तान ठहरे जीरो टॉलरेंस की विधि वाले और निचले अफसर की नीति विधि को निधि से बदलने की है। अब हाल की कार्रवाई पर गौर करें तो 6 पुलिसकर्मियों को इसलिए निलंबित किया गया क्योंकि उनके तार अवैध कारोबारियों से जुड़े थे। हालाकि कार्रवाई को लेकर महकमें में यह भी चर्चा है कि सेनापतियों को बचाने प्यादों को बलि की वेदी पर चढ़ाया गया है और यह कटु सत्य है कि गाड़ी सवार ही गाड़ी चलाता है स्टेयरिंग भी वही मोड़ता है सड़क पर घसीट रहे चक्के तो मात्र मूव होने के लिए होते हैं।

 

 

 

 

🔶टेंशन में जाबांज, लूट गया रेत घाट…

 

शहर से सटे एरिया के रेत घाट के वैध संचालन के समाचार से जाबांज टेंशन में आ गए है। उनके चिंता का कारण जानकर महकमे के लोग कहने लगे है क्या करें साहब जो लूट गया रेत घाट..!

बात गेवरा घाट पार्ट टू से शुरू हो रहे रेत उत्खनन की है। अब तक हसदेव नदी के सफेद सोने पर रेत तस्करो के साथ साथ वार्ड पार्षद और जाबांजो का हक था। जो जब चाहे रेत निकलवाते थे और नजराना न मिले तो बंद कराते थे। सूत्रधार की माने तो हसदेव नदी के रेत से निकलने वाले तेल पर कोतवाली,सीएसईबी और मानिकपुर चौकी के जाबांजो हिस्सा फिक्स था। जो अपने हिसाब से कम ज्यादा करते रहते थे। कहा तो यह भी जा रहा था यह घाट जिओ सीम की तरह उपयोग हो रहा था। अर्थात रेत निकालने के लिए हर दिन रिचार्ज करना पड़ता था। सालों से चले आ रहे इस अवैध रेत घाट के वैध होने के बाद खाकी के जांबाज और नेता टेंशन में आ गए है।

 

प्रशासन के निर्देश पर शहर में हो रही रेत की किल्लत को देखते हुए गेवरा घाट पार्ट 2 का नए साल से निगम संचालन करने वाला है। सो प्रशासन जब चलाएगा तो रिचार्ज तो करायेगा नही। अर्थात बंधा बंधाया हिसाब खत्म होने वाला है तो टेंशन होना स्वभाविक है। रेत घाट के वैध संचालन की बात वायरल होते ही रेत कारोबार से जुड़े कारोबारियों के बीच  चर्चा होने लगी है कि अवैध घाट बंद होते ही टेंशन में आ गए जांबाज क्या करें जो लूट गया रेत घाट..!

 

🔶डीजल के खेल में काला धुंवा किसकी आंखों में..!

 

 

 

तेल देखो और तेल की धार देखो की पंच लाइन को अफसर आगे बढ़ाते हुए कहने लगे डीजल की धार देखो और सरकारी सिस्टम का खेल देखो…!

उर्जाधानी में सिर्फ खदान से डीजल चोरी नही हो रहा है बल्कि सरकारी दफ्तर के गाड़ियों से डीजल का खूब खेल हो रहा है।

वैसे तो डीजल घोटाले के नाम पर कुख्यात तमगा फारेस्ट डिपार्टमेंट के पास है लेकिन घोटाले की यह ट्राफी अब निगम के साथ पुलिस डिपार्टमेंट में भी पहुंच गई है। सूत्रधार की माने तो निगम के वाहनों के डीजल आबंटन में बड़ा रैकेट काम कर रहा है। डीजल चोरी के खेल में अफसर से लेकर ठेकेदार की भूमिका संदिग्ध है।वैसे तो निगम के वाहनों में डीजल तो 30 लीटर भरा जाता है लेकिन पर्ची 40 लीटर की बनती है। स्पष्ट है कि निगम के पास सैकड़ों गाड़ियां है जिनमें कम खपत वाले वाहनों की भी डीजल की भारी भरकम पर्ची बनाकर उच्चाधिकारियों की आंखों में डीजल का काला धुंवा झोंका जा रहा है। अब बात पुलिस विभाग की जाए तो पुलिस लाइन से गाड़ियों को बंटने वाले डीजल में भी बड़ा बंटाधार हो रहा है। कहा तो यह भी जा रहा कि बंद पड़े वाहनो में डीजल डालकर करोड़ो रुपये का अब तक वारा न्यारा किया जा चुका है। जिसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से भी हुई है। यही हाल फारेस्ट डिवीजन कोरबा का भी है। सूत्र बताते है लगभग 4 लाख के डीजल घोटाले को लेकर एक कर्मचारी को साइड लाइन लगा दिया गया था। सरकारी डिपार्टमेंट में होने वाले डीजल चोरी को लेकर जनमानस में चर्चा है डीजल के खेल में साहेब खाकी ही नही फारेस्ट, नगर निगम के अफसर भी तेल का खेल कर रहे हैं। अब हम आप कहेंगे तो “तेली का तेल जले मशालची दिल जले..” वाली बात होगी।

 

🔶यूं की…क्योंकि…इसलिए

 

छत्तीसगढ़ में हजारों करोड़ रुपए के शराब घोटाला मामले में ईडी की जांच अब पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा तक पहुंच गई। यूं की शराब घोटाला में अब तक क्या क्या हुआ से बताने की जरुरत तो नहीं है मगर बताए देते हैं…क्योंकि जब ये घोटला हुआ उस वक्त कवासी लखमा प्रदेश में आबकारी मंत्री थे…तो इसलिए ईडी ने अपनी जांच में उनका नाम भी शामिल किया है।

लखमा का यह कहना कि अनपढ़ आदमी हूं जहां कहते थे वहां साइन कर देता था, मुझे त्रिपाठी जैसे अधिकारियों ने अंधेरे में रखा…ईडी से पल्ला छुड़ाने के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि मंत्री को समन देकर आज पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

ईडी का कहना है कि शराब घोटाला के एवज में मंत्री को हर महीने 50 लाख रुपए ​मिलते थे…ये पैसा कौन देता था और किस प्रकार पहुंचता था…ईडी को इसी पिन पाइंट की तलाश है। अगर सरकार के अनपढ़ मंत्री को अंधेरे में रखकर अफसर और उनका सिंडिकेट ने मिलकर यह घोटाला किया तब तो मामला और भी गंभीर है।

 

🔶रायपुर में फूल मंहगे..मंत्रालय में बहार

 

राजधानी रायपुर के फूलचौंक के फ्लावर मार्केट में फूल मंहगे हो गए हैं…ऐसा इसलिए है कि आज थोड़ी देर में सीएम आवास में कैबिनेट की बैठक होनी है..जिसमें नेताओं को लालबत्ती और अफसरों के प्रमोशन को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। इसी वजह से फूलचौंक के फ्लावर मार्केट में बुके की एडवांस बुकिंग हो चुकी है।

खबरीलाल को पता चला है कि अगर आज कुछ हाथ नहीं लगा तो भी नए साल में बंगले पहुंचकर बधाई देने का अवसर तो बनता है..इसलिए एडवांस बुकिंग कराई गई है। फ्लावर मार्केट में फूल बेचने वालों का कहना है कि साल के आखिरी में उन्हें कमाने का मौका मिला..इसको किसी की नजर न लगे।

इससे अच्छा तो कांग्रेस राज था जब उनके नेता आने पर पूरी सड़क पर फूलों के चादर बिछा दिए जाते थे…उनकी कमाई हो जाती है। मगर जब से बीजेपी सरकार आई है तब से केवल एक गुलाब देकर काम चलाया जा रहा है। ले देकर साल के आखिरी में भगवान ने उनकी सुनी तो कमाई का मौका वो कैसे गंवा सकते हैं।

फ्लावर मार्केट में मंत्रालय लिखी सरकारी गाड़ी में बड़े बड़े बुके बुक कराएं जा रहे है। मंत्रालय स्टाफ का कहना है कि अफसरों के प्रमोशन में उनकी भी लाटरी लग सकती है। फूल माला और बुके लेकर अपने बास को बधाई देने से अगर ठीकठाक पोस्टिंग मिल गई तो उनका साल भी मजे से गुजर जाएगा।

     ✍️अनिल द्विवेदी ईश्वर चन्द्रा

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