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Korba Breaking : ज़मीन रजिस्ट्री में बड़ा घोटाला! उप पंजीयक को कलेक्टर ने जारी किया सो काज नोटिस, हाईकोर्ट आदेश का गलत अनुवाद कर किया रजिस्ट्री…

कोरबा, 31 जुलाई 2025।छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में जमीन पंजीयन से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें शासन के स्पष्ट प्रतिबंध के बावजूद एक विवादास्पद भूमि की रजिस्ट्री कर दी गई। कलेक्टर अजीत वसंत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उप पंजीयक कोरबा श्रीमती पावरेम मिंज को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और 24 घंटे के भीतर जवाब तलब किया है।

क्या है मामला?

 

कटघोरा विकासखंड के अर्जित ग्राम रलिया की भूमि शासन द्वारा भू-अर्जन प्रक्रिया में अधिसूचित है। इस ग्राम में किसी भी प्रकार की भूमि खरीदी-बिक्री, अंतरण या प्रयोजन परिवर्तन पर रोक है। बावजूद इसके, ग्राम के निवासी सहसराम पिता दुलार साय ने हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका (WPC 764/2025) दायर कर भूमि विक्रय की अनुमति चाही।

हाईकोर्ट ने आदेश पारित करते हुए केवल यह कहा कि यदि याचिकाकर्ता व प्रतिवादी के बीच बिक्री विलेख निष्पादित हो गया है, और उस पर कोई कानूनी बाधा नहीं है, तो उप पंजीयक उस पर विधि सम्मत विचार करे।

लेकिन उप पंजीयक कोरबा ने इस आदेश का गलत अनुवाद करते हुए भूमि को रजिस्ट्री कर दिया — जो कि सीधे तौर पर शासन के निर्देशों और न्यायालय की मंशा का उल्लंघन है।

किस भूमि की हुई रजिस्ट्री?

उप पंजीयक ने तहसील दीपका के अर्जित ग्राम रलिया स्थित खसरा नंबर 149/2, 168, और 192/2 कुल 0.445 हेक्टेयर भूमि को नाबालिग क्रेता विशाल सिंह, पालक नवल कुमार मरावी के नाम पर 11 जुलाई 2025 को पंजीकृत कर दिया। दस्तावेज क्रमांकCG-2025-26-160-1-607 के माध्यम से यह रजिस्ट्री की गई।

कलेक्टर ने जताई सख्ती

कलेक्टर अजीत वसंत ने उप पंजीयक की इस कार्यवाही को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के उल्लंघन की श्रेणी में मानते हुए तुरंत नोटिस जारी किया है। निर्देश दिए गए हैं कि यदि 24 घंटे के भीतर संतोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ, तो एकपक्षीय कार्यवाही की जाएगी।

प्रशासनिक लापरवाही या साजिश?

इस पूरे प्रकरण से प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या यह एक सादा गलती है या किसी प्रभावशाली व्यक्ति के दबाव में की गई मिलीभगत? क्या अन्य अर्जित ग्रामों में भी ऐसे रजिस्ट्री हो रही हैं? अब इस जांच की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है।

क्या हो सकती है सजा?

यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो संबंधित अधिकारी के विरुद्ध निलंबन, विभागीय जांच, तथा अन्य कानूनी कार्यवाहियाँ हो सकती हैं। साथ ही इस रजिस्ट्री को निरस्त करने की प्रक्रिया भी संभव है।

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