Painful Death of Elephant : कोरबा में करंट से हाथी की दर्दनाक मौत…! बिजली विभाग की लापरवाही सामने
शिकायत के बाद भी नहीं ली सुध
कोरबा, 01 अगस्त। Painful Death of Elephant : कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत कुदमुरा/पनगवां (बैगापारा) रेंज में एक वयस्क जंगली हाथी की मौत का मामला सामने आया है। वन विभाग के अनुसार, यह दर्दनाक हादसा 11 KV बिजली लाइन की चपेट में आने के कारण हुआ है। स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक, हाथी झुंड से अलग होकर जंगल के रास्ते से गुज़र रहा था तभी करंट की चपेट में आ गया।

करंट लगने का कारण दुर्घटना घटी
बताया जा रहा है कि बिजली विभाग द्वारा स्थापित 11 KV का विद्युत तार, जमीन से लगभग 10 फुट की ऊंचाई पर लटक रहा था, जिससे यह दुर्घटना घटी। वन विभाग की पहले से ही शिकायत की गई थी कि तार खतरनाक रूप से नीचे है, लेकिन बिजली विभाग द्वारा कोई सुधार नहीं किया गया।
वन विभाग की कार्रवाई
घटना के बाद वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुँचे और पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा पोस्टमार्टम कराया गया। शव का अंतिम संस्कार उसी स्थल पर किया गया। हाथी के दोनों दांत को चोरी से बचाने के लिए सुरक्षित रूप से वन मंडल कार्यालय में रखा गया।विभाग ने वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 9 एवं 39 के तहत बिजली विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इसके साथ ही 30-35 जोखिमपूर्ण क्षेत्रों में तारों की ऊँचाई बढ़ाने का सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया है।
पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ में बाघ के अलावा करंट से हाथियों की मौत की घटनाएँ लगातार बढ़ी हैं; कई मामले विद्युत विभाग की लापरवाही के कारण सामने आ चुके हैं। इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए वन एवं ऊर्जा विभाग के बीच समन्वित कदम और समय पर निरीक्षण अत्यंत आवश्यक है।

| घटक | विवरण |
|---|---|
| स्थान | कोरबा जिला, कटघोरा वन मंडल — कुदमुरा/पनगवां रेंज |
| कारण | 11 KV लो-हैंगिंग बिजली तार की चपेट |
| हाथी का विवरण | वयस्क लोनर (झुंड से अलग) |
| वन विभाग की कार्रवाई | पोस्टमार्टम, अंतिम संस्कार, दांतों की सुरक्षा, केस दर्ज एवं सर्वेक्षण |
| बिजली विभाग की भूमिका | पूर्व में चेतावनी के बावजूद सुधार न करना, अधिकारियों पर निलंबन–जाघक |
| भ्रष्टाचार एवं जोखिम | लापरवाही से मानव और वन्यजीवों की जान को खतरा |
यह घटना वन जीवन संरक्षण और मानव–वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करने में प्रभावी उपायों की आवश्यकता पर जोर देती है।



