रायपुर।प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि पुरानी झूठ को एक बार फिर से परोसा गया है कि 7 लाख तक आयकर में छूट रहेगी जबकि हकीकत यह है कि पिछले बजट में ही नए टैक्स रिजीम के तहत केवल 7 लाख के भीतर आय वालों को टैक्स में छूट दी गई ना की बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट बढ़ाया गया है। नए टैक्स रिजिम में किसी भी तरह की कटौती का प्रावधान नहीं है। असलियत यह है कि आयकर के लिए बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट आज भी ढाई लाख ही है पिछले 10 साल से 1 रूपए भी नहीं बढ़ाया गया है बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट और टैक्स रिबेट में अंतर है, टैक्स रिबेट का लाभ है लिमिट क्रॉस होने पर खत्म हो जाती है जबकि बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट बढ़ाये जाने का लाभ प्रत्येक करदाता को मिलता।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार में आम जनता का खून चूस कर 10 साल में टैक्स कलेक्शन 3 गुना बढ़ गया है। डीजल पर सेंट्रल एक्साइज 2014 में मात्र 3 रूपए 54 पैसा प्रति लीटर था, जो वर्तमान में 19 रुपए 90 पैसा है, अर्थात लगभग 6 गुना अधिक। केंद्र की मोदी सरकार ने केवल पेट्रोलियम उत्पाद से ही विगत 9 साल में 36 लाख करोड़ से अधिक की डकैती आम जनता के जेब पर की है, 30 बड़े सार्वजनिक उपक्रम बेच दिए फिर भी देश पर कुल कर्ज का भार 54 लाख करोड़ से बढ़कर 105 लाख करोड़ हो गया। इस बजट में डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस सिलेंडर पर कोई राहत देने का इरादा मोदी सरकार का नहीं है।
‘किसानों, नौजवानों, महिलाओं, करदाताओं और किसी के लिए भी कुछ नहीं’
पूर्व मंत्री मोहन मरकाम ने कहा कि कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है। अपने इस “विदाई बजट“ में भी मोदी सरकार ने देश के किसानों, नौजवानों, महिलाओं करदाताओं और मध्यमवर्ग सहित किसी को कुछ भी नहीं दिया। पीएम मोदी ने हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने की गारंटी दी थी। इसके हिसाब से 20 करोड़ युवाओं को रोजगार मिलना चहिये था, लेकिन देश के करोड़ो युवा जो बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। उनके लिए इस बजट में कुछ नहीं है। बेरोजगारी के हाहाकार में देश के युवा तो अब रोजगार की उम्मीद भी छोड़ चुके हैं। देश की कार्यशक्ति में महिलाओं की भागीदारी लगातार घटती जा रही है।
‘प्रमुख वेलफेयर स्कीमों के बजट में कटौती’
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि विगत वर्षों की तरह ही मोदी सरकार के इस बजट में भी जनकल्याणकारी योजनाओं के मद में कटौती की गई है, जिससे प्रमाणित होता है कि भारतीय जनता पार्टी के फोकस में आम जनता का कल्याण नहीं है। उर्वरक सब्सिडी 2022-23 में 251339 करोड़ था जो घटकर 2023-24 में 188894 कर दिया गया था और अब मात्र 164000 करोड़ कर दिया गया है। अर्थात प्रस्तुत बजट में उर्वरक सब्सिडी 2022-23 की तुलना में 87339 करोड़ और वर्ष 23-24 की तुलना में 24894 करोड़ की भारी भरकम कटौती करके किसानों के हक और अधिकार में डाका डाला गया है। इसी तरह खाद्य सब्सिडी 2022-23 की तुलना में 67552 करोड़ कम और 2023-24 की तुलना में 7082 करोड़ की कटौती कर दी गई है। पेट्रोलियम सब्सिडी विगत बजट 2023-24 में 12240 करोड़ थे जिसे इस बजट में 315 करोड़ की कटौती करते हुए मात्र 11925 करोड़ रखा गया है।
‘अंतरिम बजट में महिलाओं को झुनझुना पकड़ा दिया’
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि इस अंतरिम बजट भाजपा के अंतिम बजट होगा। इस बजट में महिलाओं के लिए कुछ खास नहीं, हर बार की तरह इस बार भी महिलाओं को सिर्फ निराशा हाथ लगी है। महंगाई से आज सभी वर्ग परेशान हैं लेकिन महंगाई को नियंत्रित करने के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं। बीजेपी बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का सिर्फ नारा लगाती है, ना ही बेटी की सुरक्षा के लिए और ना ही बेटियों के अध्ययन के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं। महिलाओं और बेटियों को हर बार की तरह इस बार भी हाथ में झुनझुना पकड़ा दिया गया है।