🔷कप्तान का कड़ा संदेश, छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं..
कंगना रनौत की फ़िल्म का एक फेमस संवाद है “छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं” इस संवाद को नए कप्तान भी दोहराते कहा है आदर्श आचार संहिता का पालन हर हाल में होना चाहिए और जो पुलिस के काम में अवरोध बनेगा उसे छोड़ेंगे नहीं..! दरसअल चुनाव आयोग ने नए कप्तान की पोस्टिंग की तो शहर के कुछ खद्दरधारी नेता इसलिए खुश हो रहे थे कि चलो कायदे की पाठ पढ़ाने वाले साहब चले गए, लेकिन हुआ उल्टा नए साहब के आते ही बेसिक पुलिस में धार देकर अपने थानेदारों को कड़ी चेतावनी देते हुए अनुशासन का पाठ पढ़ा दिया है।
दायरे रहकर किसी भी पार्टी लीडर को एक्स्ट्रा सर्विस दिया तो खैर नहीं। साहब ने एक मीटिंग और रात्रि निरीक्षण कर सबको दिखा दिया कि जैसा मैं बोलता हूं वैसा करता भी हूं… नए कप्तान के तेज तेवर से पुलिस प्रशासन बदला बदला सा नजर आने लगा है।
कड़े और बड़े निर्णय का ही नतीजा है जो हर रोज कैश और गोल्ड के ज्वेलरी पकड़े जा रहे हैं। सुस्त पड़े पुलिस डिपार्टमेंट में जान फूंककर चुनावी बिसात और मतदाताओं को प्रलोभन देने वाले खद्दरधारियों के चेहरे से रंगत उड़ा गई है।
कप्तान के तेवर से गुंडे बदमाशों के साथ साथ नेता भी सकते हैं। आचार संहिता में खाकी का डर खादी को होना ही चाहिए, क्योंकि सत्ता में आने के बाद खाकी के बहादुरों को प्रोटोकॉल मेंटेन करना पड़ता है। सो अभी समय है बदलाव का बिगड़ैल लीडरों को खाकी के असली रूप दिखाने का है। सो सख्त कप्तान की कप्तानी कुछ ऐसी है ” कहूँ से दोस्ती न कहूं से बैर.. अपनी अलग मंजिल अपनी अलग दौड़ ” जो पब्लिक में खाकी का विश्वास बढ़ा रही है।
🔷अपनो ने दिया है धोखा, गैरों से शिकायत क्या…
सीटिंग एमएलए की टिकट कटने के बाद नेताजी इस कदर टूट चुके है कि वे दर्द भरी गजल “अपनो ने दिया है धोखा गैरों से शिकायत क्या ,जब दोस्त ने खंजर मारा दुश्मन की जरूरत क्या” गुनगुना फिर रहे हैं। हुआ यूं कि विधायक जी दो ऐसे नेताओं पर भरोसा कर लिए जो आज तक कभी भी भरोसे मंद रहे ही नहीं। आखिरकार हुआ वही जिसका अंदाजा राजनीति का राज जानने वाले पहले से भांप चुके थे। अब नेताजी को समझ आया कि लोग सही थे जो कहते रहे विश्वास करो लेकिन अति आत्मविश्वास सही नहीं..!
टिकट कटने के पीछे चुनावी पंडितों का अलग तर्क है। उनकी माने तो विधायक बनते ही नेताजी भाव बढ़ने लगा था और ताव ऐसा कि मंत्री भी पिछड़ जाए। लिहाजा उनके दोस्त रहे महाराज ने पर कतरने की पटकथा लिखी और विधायक का किरदार निभाने वाले एक पिछलग्गू प्रत्याशी की तलाश की। जो वे बोले तो हंसे और बैठ बोले तो बैठे..! इस किरदार में फिट बैठने वाले प्रत्याशी को टिकट दिलाकर साबित कर दिया कि पाली तानाखार का असली किंग मेकर मैं ही हूँ..!
हालांकि यह सोच तब तक सही है जब तक केरकट्टा का साथ है। कहा तो यह भी जा रहा है कि विधायक जी शांत रहकर अपने लोगों शांति का पैगाम पहुंचा दिये तो कांग्रेस का गढ़ कहा जाने वाला पाली तनाखार भाजपा की झोली में चला जायेगा। कहा भी गया है कोई जबरन आकर छेड़े तो उसे छोड़ना भी नहीं चाहिए है और गुरुर करने वाले का गुरुर भी तोड़ना चाहिए।
खैर नेताजी के पाले से गेंद निकलकर फिर उन्हीं के पास वापस आने वाली है तो इंतजार कीजिए मतदान का और देखिए नेताजी की बल्लेबाजी..कांग्रेस के पक्ष में करेंगे बल्लेबाजी या भाजपा की करेंगे अंपायरिंग।
🔷ईडी की धमक, टेंशन में व्यापारी औऱ अधिकारी
अक्षय कुमार की फ़िल्म गब्बर इज बैक का संवाद “रिश्वत खोरों, अगर मन घबराने लगे और दिल में बेचैन हो तो समझ लेना गब्बर कहीं आस पास ही है” ऊर्जाधानी के अधिकारियों और कारोबारियों पर सटीक बैठ रहा है। नवम्बर 2022 से शुरू ईडी की धमक एक बार फिर तेज हो गई है। पिछली दिवाली अफसरों के लिए काली दिवाली हो गई थी और इस दिवाली कारोबारियों की दिवाली काली होने वाली है।
कोरबा के ऊर्जावान भाजपा नेता और राइस मिलर के घर पड़े ईडी के बाद कारोबारियों का टेंशन बढ़ गया है। कहा तो यह भी जा रहा है सेंट्रल एजेंसी की जांच का दायरा बढ़ने वाला है। चुनाव के समय हुए ईडी की एंट्री ने कारोबारियों के साथ साथ प्रत्याशियों की भी टेंशन को बढ़ा दिया है।
चुनाव लड़ रहे माननीयों को ये डर सताने लगा है कि कैश पकड़ा गया तो चुनाव खराब हो जाएगा। सो वे धीरे धीरे बोल कोई सुन न ले ..का तराना छेड़ते हुए मतदाता मैनेज के लिए विश्वसनीय लोगों से काम ले रहे हैं। चर्चा इस बात की भी है कि चुनाव में खपने वाले रकम की तलाश गोपनीय तरीके से अलग अलग एजेंसियां कर रही है। ये बात अलग है कि अभी तक जिले की पुलिस और खुफिया तंत्र को विशेष सफलता नहीं मिली है। इसके बाद भी चुनाव में बंटने वाले शराब और नोट पर एजेंसियों की सख्त नजर है। वैसे तो डिजिटल युग में वोट के बदले नोट बांटने के अनेक उपाय हैं।
कहा तो यह भी जा रहा मजूबती से चुनाव लड़ने वाले नेताओं ने लोगों से बार कोड का कलेक्शन करना शुरू कर दिया है। जिससे ठीक पहले दिवाली ऑफर की तरह डारेक्ट उनके अकाउंट में रकम ट्रांसफर किया जा सके। हालांकि ईडी की इंट्री के बाद रकम रखने वाले औऱ बांटने वाले हिलते दिख रहे हैं।
🔷योग..आयोग और कुर्सी योग
चुनावी मौसम में चुनाव आयोग की नजर किस पर पड़ जाए इसका अंदाजा नहीं लग पाता…ये तो बिल्कुल उसी तरह अचानक होता है जैसे पता नहीं आखिरी वक्त पर किसे पार्टी का टिकट मिल जाए और किसका पत्ता साफ हो जाए।
चुनाव आयोग ने अपनी दो लिस्ट में 5 साल से कुर्सी योग भोग रहे कुछ आईएएस और आईपीएस अफसरों का पत्ता साफ कर दिया। कुछ और अफसर भी आयोग की गाज की चपेट में आ गए। अब आयोग ने तीसरी लिस्ट जारी की है, जिसमें उन अफसरों पर गाज गिरी है जो 5 साल मैदान सत्ता की परिक्रम कर कुर्सी योग भोग रहे थे। तीसरी लिस्ट में 24 अधिकारी और कर्मचारी को आयोग ने हटाया है।
गौर से देखें तो हर लिस्ट में हटाए जाने वाले सरकारी अफसरों की लिस्ट लंबी होती जा रही है। अगली लिस्ट में कुछ लंबी होने वाली है। अभी तो केवल नामांकन का काम चल रहा है। लेकिन चुनाव आयोग में ऐसे कर्मचारियों की लिस्ट तैयार हो चुकी है जिनका कुर्सी योग खत्म होने वाला है। इन सबसे ज्यादा पुलिस और राजस्व विभाग के कर्मचारी पर आयोग की नजर में हैं।
अंदर की खबर है कि इस बार कुछ फारेस्ट विभाग, पुलिस और पटवारियों का कुर्सी योग खत्म होने वाला है, जो अब तक चुनाव आयोग की नजर से बचे हुए थे। अब देखना है कि चुनाव आयोग की आने वाली लिस्ट इस बार किनका नंबर लगने वाला है।