
अदृश्य शक्ति और बंशी वाले कन्हैया..
भक्ति गीत “मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है!करते हो तुम कन्हैया ,मेरा नाम हो रहा है..!! सभापति चुनाव नतीजे के बाद शहर की राजनीति में गुंजायमान हो रहा है।
दरअसल सभापति चुनाव जीतने के बाद मधुर मुस्कान के साथ नवनिर्वाचित नेता का बयान मुझे चुनाव लड़ने किसी नेता ने नहीं कहा.. छत्तीसगढ़ महतारी की आवाज पर मैं लड़ा और जीता…! उनके इस बयान के बाद भाजपा संगठन में कोहराम मच गया। राजनीतिज्ञ चाणक्यो ने नेता जी के बयान का अर्थ तलाशना शुरू किया तो पाया मधुर मुस्कान के पीछे अदृश्य शक्ति का आशीर्वाद है। सो वे भी कहने लगे बंशी वाले कन्हैया जब साथ हो तो बंशी की सुरीली आवाज में गोपियां धिरकने से अपने आप को नही रोक पाई तो पार्षद क्या चीज है..! बाते भी सच है जब बिना किसी शक्ति के सभापति निर्वाचित होना दुष्कर नही बल्कि असंभव था।
भाजपा के लिए परिणाम विपरीत आने के बाद संगठन और सत्ता के लीडर उस अदृश्य शक्ति को खोज कर रहे है जिसकी कृपा से “दिलवाले” सभापति की कुर्सी लूट ले गए…!
यही नही हार पर रार को लेकर भाजपा सभापति प्रत्याशी के समर्थक “दिलवाले” फ़िल्म में सुपरहिट संवाद हमे तो अपनो ने लूटा गैरो में कहां दम था जहां कश्ती है डूबी वहां पानी कम था” की लय में अपने दर्द को बता रहे हैं।
खाकी के 10 दिन 10 रातें, औरत का चक्कर बाबू भैया…
कहते है लोगो की कुछ बातें नजरअंदाज कर देना चाहिए , सो पुलिस कप्तान ने भी अपनी एक्सपर्ट टीम के साथ लगातार 10 रातें जागकर जनमानस की 10 बातों को नजरअंदाज कर कड़क कप्तान के 25 एक्पर्ट टीम सरहदी इलाके के कल्कि अवतार की गुत्थी सुलझाने में लगे रहे। पुलिस ने हत्या के आरोपी को पकड़ने चल रही जांच के बीच शांत रहकर कप्तान को “तीर भी चलाने हैं और परिंदे भी बचाने हैं”, सो समय तो लगेगा का संदेश दिया। क्राइम थ्रिलर के मर्डर मिस्ट्री की गुत्थियां को सुलझाने में भले ही समय लगा लेकिन हत्यारे के पैंतरा को टीआई साहब पहले पढ़ लिए थे। हत्यारे के बारे में इन्वेस्टिगेशन से पता चला ये औरत का चक्कर है बाबू भैया…!
हत्या को लभगभ 10 दिन बीत चुकने पर पुलिस की कार्यशैली को लेकर 10 तरह की बातें भी जनमानस के बीच घूमती रही ! इन सबके बीच कप्तान की चुप्पी और एक्सपर्ट टीम की मेहनत कई संदेश देते रहे । कहा भी गया है ” मन का हो तो अच्छा है और जब मन का न हो तो और अच्छा है ” ठीक इस शब्द पर फोकस करते हुए पुलिस विभाग की टीम बिना थके बिना रुके रहस्यमयी हत्या को सुलझाने सफल हुई ।
विभागीय पंडितों की माने तो ऐसे हत्या के मामले में बहुत ही सूक्ष्मता से गहरे तक जांच करनी होती है क्योंकि “तीर भी चलाने हैं और परिंदे को भी बचाने हैं” जिससे सही आरोपियों की पहचान की जा सके। सरहदी इलाके में हुए इस चर्चित हत्याकांड पर जिलेवासियों की नजर टिकी रही और पुलिस की नजर आरोपियों पर ! आखिरकार पुलिस टीम को रहस्मयी मर्डर को सुलझाने में सफलता मिली और हत्या करने वाले कल्कि को गिरफ्तार भी…! ! कप्तान के काम करने का तरीका देखकर जनमानस में चाय पर चर्चा है हिम्मत उनके पास होती है जिसके दिल में सच्चाई हो ..!
ये तलवार है दोधारी,एक सटोरिया दूसरा जुआरी
कहते हैं पैसा पैसे को खींचता है ” ये बात बिल्कुल सच है.. जिले के सीमावर्ती जिले में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पैसा से पैसे खींच रहे हैं। उनके निर्वाचित होने के बाद पुलिस महकमा चर्चा करते हुए कह रहे ” ये तलवार है दोधारी, एक सटोरिया और दूसरा जुआरी..!
दरअसल राजनीति रंगे हुए सियारों के धंधे के लिए आग में घी का काम कर रही है। राजनेता पॉवर के लिए पैसे का इस्तेमाल करते है और पॉवर मिलने पर धन वर्षा कराते है।
हाल में हुए नगरी निकाय चुनाव में एक ऐसे अध्यक्ष और उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए है जिनके हाथ सट्टा और जुआ से रंगे है। सूत्रधार की माने तो माननीय अध्यक्ष महोदय की पहचान सट्टा किंग के नाम से है और उपाध्यक्ष जुआ फड़ के लिए मशहूर है। हम जिस जिले की बात कर रहे है वो सटोरियों का गढ़ कहा जाता है। कहा भी गया है जिस साम्राज्य का राजा औऱ मंत्री जुआरी हो तो उस राज्य की उन्नति या अवनति की परिकल्पना की जा सकती है। वैसे तो आईपीएल मैच का रोमांच शुरू हो जा रहा है तो सट्टा बाजार में भी जमकर पैसा बरसने की उम्मीद है। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के धंधे को धार देने वाले लक्ष्मीपुत्र कहने लगे है नेता जी ठहरे जुआरी सो दफ्तर में फड़ फड़ाहत की भी होगी तैयारी..
कमाल का विभाग, कमाल के अफसर
सरकारी खजाने को भरने वाले विभाग के अफसर से चपरासी तक बड़े कमाल के होते हैं। इतने होशियार कि इनकी होशियारी के आगे बड़े बड़े आईएएस भी पानी मांगते नजर आते हैं। और तो और इन विभागों पर नकेल कस पाना भी मुश्किल होता है। सरकार चाहे जितनी भी कोशिश कर लें इनका कुछ नहीं बिगड़ता।
ताजा मामला भारतमाला प्रोजेक्ट का है जहां राजस्व विभाग के सस्पेंड पटवारी निलंबन को ठेंगा दिखाकर कोर्ट के आदेश से बहाल हो गए..। इससे पहले इसी मामले में एक तहसीलदार भी बहाल हो चुके हैं। मंत्रालय में बैठे सचिवस्तर के अफसर समझ ही नहीं पा रहे हैं कि इनका इलाज क्या करें। बैठे ठाले उनकी किरकिरी हो रही है वो अलग।
कुछ महीना पहले राजस्व विभाग के कुछ तहसीलदारों का तबादला कर दिया था…जिस पर तहसीलदार संघ के एक पदाधिकारी ने इतना बवाल मचाचा कि मंत्रीजी पसीना पसीना हो गए, लेकिन इस मामले में भी तहसीलदार ही भारी पड़े आखिरकार आदेश पर रोक लग गई। जैसे तैसे मंत्रीजी की जान बची।
फिलहाल तहसीलदारों की तबादला सूची वहीं लटकी है जहां से जारी हुई थी और तहसीलों में सब कुछ उनके हिसाब से चल रहा है। मंत्रालय के अफसर, राजस्व विभाग के इन कमाल पर कमाल करने वाले अमले से पंगा लेने फिलहाल तो तैयार नहीं हैं… अगर पूरे होमवर्क के बाद आदेश होते तो बात अलग हो सकती है।
भर दें झोली मेरी खाली…
छत्तीसगढ़ में सरकार बने 14 महीने गुजर गए..जो मंत्री बने वो ठीक जो बाकी बचे वो बंगला लालबत्ती के लिए परेशान हैं। भगवा पार्टी के नेता बागेश्वरधाम से बैजनाथधाम तक चक्कर लगा चुके हैं और तो और कुंभ स्नान में बात नहीं बनी। ”ऊपरवाले” तक उनकी आवाज नहीं पहुंच पा रही है। असल में प्रदेश में भले ही चुनाव निपट गए मगर ”ऊपरवाले”अभी चुनाव में व्यस्त है..जब फुर्सत मिलेगी तभी तो बात सुनेंगे।
चकल्लस में खबरीलाल की होलाष्टक…लालबत्ती और लाल बुझक्कड़ वाली खबर सच साबित होने जा रही है। असल में 8 मार्च को नीतिन नबीन रायपुर आने वाले थे मगर बिहार में आने वाले राजनीति की बयार से पूरा मामला पेंडिंग हो गया। अब खबर है कि 23 मार्च के बाद ही लालबत्ती वालों की सुनवाई होना है..तब तक खाली झोली से ही काम चलाना पड़ेगा।
✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा