कटाक्ष

The one whom I kept in my heart broke my heart:ईडी के बाद भूकंप और कार्यालयों में सन्नाटा,छा गए गुरु ,किस्मत या..तीन सीईओ और पांच पंचायत,कुर्सी…अंगूठी और चमत्कार…

ईडी के बाद भूकंप और कार्यालयों में सन्नाटा

ईडी की लगातार कार्रवाई के बाद लोगों को शोले का संवाद “इतना सन्नाटा क्यों है भाई..” याद आने लगा है। कहते है सुनामी से पहले भूकंप आता है और सन्नाटा छा जाता है। सो प्रशासनिक दफ्तरों में पसरे सन्नाटे से किसी बड़ी अनहोनी की ओर इशारा कर रहा है।  वैसे तो जिले में सेंट्रल एजेंसी की आंधी अगस्त के फर्स्ट वीक में चलने वाली थी जो अब भूकंप और फिर सुनामी के रूप में सामने आ रही है।

सूत्र बताते हैं जिले में पदस्थ रहे कुछ अफसरों पर बड़ी कार्रवाई होने की उम्मीद है। कहा तो यह भी जा रहा है कि पूर्व कार्यकाल में उन तमाम अवैध कार्यों की जांच गोनपनीय तरीके से की जा रही है जिसमें धन शोधन बेतरतीब हुआ है। खबरीलाल की माने तो ईडी का भूकंप कोरबा की मिनरल्स को भेदते हुए मुंगेली में केंद्र बिंदु बना रहा है।

क्योंकि वहाँ भूकंप को सुनामी में तब्दील करने वाले तीन रिएक्टर मौजूद हैं, जो फायदे के लिए कायदे को बदलकर प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर लोगो को अनुचित लाभ दिलाया। सरकारी डिपार्टमेंट से गलत तरीके से धन शोधन करने वाले अधिकारियों और सप्लायरों पर ईडी ने नजर टेढ़ी कर ली है।

सूत्र बताते हैं आने वाले दिनों में अधिकारियों के साथ साथ सप्लायर ट्रांसपोर्टर और लैंड ब्रोकर का भी सफाया होने वाला है। बहरहाल दिल थामकर बैठिए ईडी की सुनामी आने वाली है।

छा गए गुरु…किस्मत या…

क्रिकेटर,कॉमेडियन और पॉलिटिशियन का डायलॉग छा गए गुरु…पुलिस डिपार्टमेंट के एक अफसर पर बखूबी जंच रहा है। साहब किस्मत के धनी हैं या उनमें काबिलियत ये तो लोगो की समझ से परे है पर उनकी पोस्टिंग देखकर डिपार्टमेंट के अफसर कहने लगे है आप तो छा गए गुरु…!

बात कोरबा में पदस्थ रहे एक राजपत्रित अफसर की है। वैसे तो पुलिस डिपार्टमेंट का प्रोविजनल पीरियड बड़ा कठिन रहता है। क्योंकि, ज्यादातर लोगों को बीहड़ जंगल में ड्यूटी करनी पड़ती है। लेकिन, साहब बड़े खुदक़िस्मत निकले वे प्रोविजनल पीरियड में भी बिलासपुर जैसे बड़े जिले में पदस्थ रहे। उसके बाद रायगढ़ रायपुर औऱ फिर कोरबा अब भिलाई में बुलंदियों का परचम लहरा रहे हैं।

वैसे तो कोरबा पुलिस अफसरों के लिए पसंदीदा जगह है। इसके बाद भी साहब ब मुश्किल 10 महीने ही शहर के पिच पर खेल पाए जो लोगों की समझ से परे है। कई तीन स्टार अधिकारी तो ऐसे हैं जो बार बार कोरबा में पोस्टिंग कराना चाहते हैं। कहा जाता है कोरबा की माटी बहुत ही शांत है और हर कोई यहां लंबी पारी खेलना चाहता है। इसके बाद भी साहब का अल्प कार्यकाल लोगों को कसक रहा है।

इसके बाउजूद लोग विश्व पटल पर दीपक की तरह जलने और लोगों को रौशन करने बेताब हैं। साहब के ड्यूटी पीरियड को देखकर हर अफसर उनकी किस्मत औऱ काबिलियत की तारीफ करते नहीं थक रहा और सोच सोचकर कह रहा काश..हमारी भी किस्मत…!

तीन सीईओ और पांच पंचायत

जिले में तीन सीईओ के भरोसे पांच पंचायतें चल रही हैं। दरअसल सेंट्रल एजेंसी की लगातर कार्यवाही से जिले में अफसरों का टोटा पड़ गया है। इसके कारण दो जनपदों में सीईओ को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। पंचायत के पंचनामा वाले पंडितों की माने तो पहले जो नजराना देकर कोरबा पोस्टिंग कराना चाहते थे वे अब जिला छोड़ने के लिए मिन्नतें कर रहे है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि पोड़ी और पाली जैसे मालदार जनपद के अफसरों कार्यवाही के भय से बाउंड्रीलाइन से बाहर चले गए हैं और उनके ट्रांसफर के बाद कोरबा सीईओ को पोड़ी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। पाली सीईओ जिन्हें कुछ समय पहले इंजर्ड बताते हुए एक्सट्रा प्लेयर के रूप में बैठा दिया गया था। उनको भी पाली और कटघोरा जनपद का कप्तान बनाकर फील्ड में उतारा गया है।

बहरहाल तीन सीईओ के भरोसे पांच जनपदों का काम काज चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि अकेले पाली जनपद पंचायत में 148 करोड़ की राशि डीएमएफ से भेजा गया था। अगर बात पोड़ी उपरोड़ा की जाए तो वे भी डीएमएफ से रकम लेने में पीछे नहीं है। पोड़ी जनपद में भी 90 करोड़ की रकम खर्च की गई है।

अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि इतने बड़े जनपदों की कुर्सी खाली होने का अर्थ साफ है विकास के साथ साथ इन जनपदों में बड़ा स्व-विनाश भी है। सो तत्कालीन सीईओ ने अपना अपना कुर्सी छोड़ना उचित समझा और “जान बची लाखो पाये”.. कहते हुए अपना बोरिया बिस्तर उठाकर बाउण्ड्रीवाल लाइन पर चले गए है ,ताकि मौका पाते ही फिर कोरबा में इंट्री की जा सके।

 

 

कुर्सी…अंगूठी और चमत्कार

छत्तीसगढ़ के पिछले विधानसभा चुनाव में जो बात सबसे ज्यादा चर्चा में रही वो  एक सीडी थी जो ऐन चुनाव के वक्त कथित रूप से जारी की गई थी। इसे लेकर खासा हल्ला भी मचा था। मगर इस बार सबसे ज्यादा चर्चा उस चमत्कारी अंगूठी की हो रही है जो इस वक्त प्रदेश के डिप्टी सीएम के अंगुलियों पर फब रही है।

छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव खुद इस बात का जिक्र कर चुके हैं। सिंहदेव खुद भी मान रहे हैं कि इस अंगूठी पहनने के बाद ही वो डिप्टी सीएम बने, आगे हो सकता है कुछ बेहतर हो जाए इस बात की भी उम्मीद बनी हुई है। यानि चुनाव के पहले या बाद में अंगूठी के कुछ और चमत्कार सामने आने बाकी हैं।

वैसे भी नेता बिरादरी में चमत्कार को नमस्कार करने का चलन रहा है। इसे अंगूठी का चमत्कार कहे या डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के बढ़ते कद का असर अब ​उनके बंगले में कांग्रेस का टिकट चाहने वालों लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है।

जिनकी टिकट इस बार खतरे दिखाई पड़ रही है वो इस चमत्कारी अंगूठी के दर्शन करने से ही खुद को धन्य मान रहे हैं। और बाबा मुस्कुरा रहे हैं। कुर्सी और अंगूठी का ये घालमेल और क्या चमत्कार दिखाता है इसे जानने के लिए तीन महीने का इंतजार करना होगा। जब ये अंगूठी अपना नया चमत्कार दिखाएगी।

 

जिसे दिल में बसाया वही दिल तोड़ बैठे

जेसीसी के दबंग नेता और लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह आखिरकार कल बीजेपी में शामिल हो गए। भाजपा प्रवेश के साथ ही उन्होंने विधानसभा और लोकसभा जीतने का दावा भी कर डाला। स्वाभाविक है इससे कांग्रेस का दिल दुखा होगा और टूटा भी होगा। क्योंकि इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत सभी मौकों पर कहते रहे हैं कि धर्मजीत तो उनके दिल में रहते हैं।

कांग्रेस का उम्मीद थी कि धर्मजीत कांग्रेस के साथ ही आएंगे। मगर दिल और दिल्लगी अंदर से फील होती है। तभी तो प्रदेश के मुख्यमंत्री ये कहने से खुद को रोक नहीं पाए कि वो अपना बुढ़ापा खराब करने गए बीजेपी के साथ गए हैं। नवंबर में ईडी, सीडी की सरकार खत्म हो जाएगी।

जो भी हो जब दिल में बसने वाले ही दिल तोड़ जाए तो जुबा से आह निकल ही जाती है। मगर विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत अभी तक चुप है लगता है सबसे ज्यादा दिल उनका ही टूटा है। अब वो दिल टूटने का इलाज करने वाली दवा तलाश कर रहे हैं।

    🖋️ अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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