Admission in MBBS : फर्जी सर्टिफिकेट से MBBS में दाखिला…! बिलासपुर में 3 छात्राओं ने धोखाधड़ी कर सीटें हथियाईं…जांच शुरू
फर्जी EWS से एमबीबीएस की सीट हथियाई

बिलासपुर, 31 अगस्त। Admission in MBBS : बिलासपुर से आई इस चौंकाने वाली खबर ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि हमारे शैक्षणिक और प्रशासनिक सिस्टम में ईमानदारी की कितनी जगह बची है। मामला सिर्फ तीन छात्राओं का नहीं है, यह एक बड़ी सच्चाई की ओर इशारा करता है, जो बताता है कि कैसे फर्जी दस्तावेज़ बनाकर कुछ लोग न केवल सिस्टम को ठग रहे हैं, बल्कि उन लाखों मेहनती छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, जो दिन-रात मेहनत करके मेडिकल कॉलेज में सीट पाने का सपना देखते हैं।
क्या है पूरा मामला?
बिलासपुर मेडिकल कॉलेज (सिम्स) में एमबीबीएस में दाखिला लेने वाली तीन छात्राओं, सुहानी सिंह, श्रेयांशी गुप्ता, और भाव्या मिश्रा ने फर्जी EWS (Economically Weaker Section) प्रमाण पत्र के ज़रिए NEET परीक्षा की मेरिट में खुद को आरक्षित कोटे में दर्शाया और दाखिला पा लिया।
लेकिन तहसील कार्यालय द्वारा की गई जांच में यह सामने आया कि इन तीनों के नाम से कोई भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। यानी EWS सर्टिफिकेट पूरी तरह फर्जी थे। तहसीलदार गरिमा सिंह और एसडीएम मनीष साहू ने भी इस गड़बड़ी की पुष्टि की है।
अब क्या होगा?
सिम्स अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने साफ कहा है कि, तीनों छात्राओं का एडमिशन रद्द किया जाएगा। कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी। आगे यह भी जांच की जा रही है कि इन फर्जी सर्टिफिकेट्स को बनाने में कौन-कौन शामिल है।
गंभीर सवाल
क्या यह सिर्फ तीन छात्राओं तक सीमित है? या फिर ऐसे और भी “मुन्ना भाई” सिस्टम में छिपे बैठे हैं? क्या EWS सर्टिफिकेट्स का वेरिफिकेशन एडमिशन से पहले नहीं किया जाता? अगर नहीं, तो यह एक बड़ी लापरवाही है।कौन लोग इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे हैं? क्या इसमें कोई बिचौलिया या सरकारी कर्मचारी भी शामिल है?
यह घटना सिर्फ एक मेडिकल कॉलेज की साख पर धब्बा नहीं है, बल्कि पूरे प्रतियोगी परीक्षा सिस्टम की पारदर्शिता पर एक गंभीर सवाल है। अब जरूरत है कि, सभी दाखिलों की दोबारा जांच हो। प्रमाण पत्रों के डिजिटल सत्यापन की सख्त प्रक्रिया बने। और दोषियों को ऐसे सख्त सज़ा दी जाए, जिससे यह मिसाल बन सके।