रायपुर/ कोरबा। कहते है जब दबदबा कायम हो और सरकार में जलवा रहे तो लोग उसूलों को छोड़कर हर वो काम कर जाते है जो अनलीगल होता है। ये बाते पूर्वर्तीय सरकार में पॉवर फूल कहे जाने वाले केके श्रीवास्तव पर सटीक बैठता है। जब राख ट्रांसपोर्ट से साख बढ़ते गया तो महादेव सट्टा ऐप में हाथ आजमाने लगे। अब जब समय का पहिया तो सारे काले कारनामे परत दर परत खुलने लगे है। 15 सौ करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में ईडी ने ईसीआईआर दर्ज किया है।
बता दें कि (ईडी-आरपीजेडओ) ने मनी लॉन्ड्रिंग लिंक की जांच की, फोरेंसिक ऑडिट से धोखाधड़ी का नेटवर्क उजागर हुआ है।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रायपुर ज़ोनल ऑफ़िस (ईडी-आरपीजेडओ) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए श्री के.के. श्रीवास्तव के खिलाफ धन शोधन निरोधक अधिनियम (PMLA) की धारा 3 के तहत प्रवर्तन केस सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है। यह कार्रवाई तेलीबांधा पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एक एफआईआर से जुड़ी है, जिसमें श्रीवास्तव पर रावत एसोसिएट्स नामक निर्माण कंपनी को 15 करोड़ रुपये का धोखा देने का आरोप है।
इस जांच के तहत प्रारंभिक फोरेंसिक ऑडिट और पुलिस जांच से कई संदिग्ध धन प्रवाह का पता चला है, जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का उल्लंघन कर रहे हैं। इसके साथ ही श्रीवास्तव के संबंध महादेव बेटिंग ऐप से जुड़े कई संदिग्ध लेन-देन से पाए गए हैं, जिनकी जांच ईडी द्वारा चल रही है।
एफआईआर के अनुसार, श्रीवास्तव ने रावत एसोसिएट्स को रायपुर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 500 करोड़ रुपये का ठेका देने का झांसा दिया था। 10 से 17 जुलाई, 2023 के बीच, कंपनी ने श्रीवास्तव द्वारा बताई गई विभिन्न खातों में 15 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। हालांकि, वादा किया गया ठेका कभी भी वास्तविकता में नहीं आया, जिसके बाद शिकायतकर्ता अरजुन रावत ने कानूनी कदम उठाए।
जांच में यह सामने आया कि श्रीवास्तव ने तीन चेक्स, प्रत्येक 3 करोड़ रुपये के, जारी किए थे, जिन्हें “स्टॉप पेमेंट” के कारण रद्द कर दिया गया। इसके अलावा, उन पर धोखाधड़ी के दस्तावेज तैयार करने का भी आरोप है, जिनमें ग्लोमैक्स इंडिया और छत्तीसगढ़ सरकार के नाम से फर्जी ज्ञापन शामिल थे।
ईडी के अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी अब यह जांच कर रही है कि धोखाधड़ी से प्राप्त धन को शेल कंपनियों के माध्यम से सफाया किया गया था या नहीं। “एरोजेट एंटरप्राइजेज” से जुड़े खातों में फंड ट्रांसफर हुआ था, जो बाद में कोलकाता स्थित “मजेस्टिक कॉमर्शियल्स” नामक कंपनी को भेजा गया, जो महादेव बेटिंग ऐप से जुड़ी हुई है। महादेव बेटिंग ऐप के निदेशक पहले से ही ईडी की जांच के दायरे में हैं, जिससे जांच की दिशा स्पष्ट होती है।
फोरेंसिक ऑडिट ने कई खातों और लेन-देन का पता लगाया है, जो सिस्टमेटिक मनी लॉन्ड्रिंग की ओर इशारा करते हैं। गवाहों के बयान से यह भी संकेत मिलता है कि श्रीवास्तव ने 15-16 सिम कार्ड खरीदे थे, जिनका उपयोग धोखाधड़ी गतिविधियों में किया गया था। एक गवाह अब्बास अली ने बताया कि ये सिम कार्ड श्रीवास्तव को प्रदान किए गए थे, जो एजेंसी की संदेहों को और मजबूती प्रदान करता है।
जांचकर्ताओं ने यह भी पाया कि श्रीवास्तव ने कथित रूप से प्रभावशाली राजनीतिक संपर्कों का लाभ उठाया था, ताकि रावत एसोसिएट्स को धोखा दिया जा सके। व्हाट्सएप चैट्स जो सबूत के तौर पर प्रस्तुत की गई थीं, उन्होंने श्रीवास्तव की यह पुष्टि की कि उन्होंने पूरा भुगतान प्राप्त कर लिया था, जो धोखाधड़ी के आरोपों को और प्रबल करता है।
इस मामले में लगे एक ईडी अधिकारी ने कहा, “वित्तीय लेन-देन स्पष्ट रूप से एक योजनाबद्ध मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का संकेत देता है। प्रारंभिक फोरेंसिक ऑडिट से यह पता चलता है कि यह मामला महादेव बेटिंग ऐप से जुड़ी कई अन्य जांचों से संबंधित है।”
एजेंसी अब यह भी जांच रही है कि क्या अन्य सहयोगियों की भूमिका रही है और क्या इन फंड्स का निवेश संपत्तियों में किया गया था या इसे विदेशों में भेजा गया था। मजेस्टिक कॉमर्शियल्स के साथ संबंध, जो कथित रूप से किसी अन्य संदिग्ध इकाई के साथ विलय कर चुका है, जांच के दायरे को और विस्तार देता है।