कोरबा। पूर्व कांग्रेस सरकार के दौर जिले में डीएमएफ फंड मद से स्मार्ट स्कूलों के लिए खरीदी गई सामग्री बिना उपयोग कबाड़ हो चुके हैं। अब शिक्षा विभाग के घाघ अफसरों की नजर केंद्र प्रवर्तित योजनाओं की राशि में खेल करने पर है। ताजा मामला पीएमश्री विद्यालयों में वाद्य यंत्रों की सप्लाई को लेकर सामने आया है।
बता दें कि पीएमश्री विद्यालयों में तीन गुना दाम पर वाद्य यंत्रों की सप्लाई की जानकारी कलेक्टर अजीत वंसत के संज्ञान में आई थी। जिसके बाद कलेक्टर ने जांच समिति बना कर मामले पड़ताल करने के निर्देश टीम को दिए थे।
समिति में जिला शिक्षा अधिकारी टीपी उपाध्याय, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग श्रीकांत कसेर, वरिष्ठ कोषालय अधिकारी पीआर महादेवा को जांच की जिम्मेदारी दी गई थी। जांच समिति ने पीएमश्री विद्यालयों में वाद्य यंत्रों की सप्लाई में गड़बड़ी पाई।
जांच में शिकायत सही पाए जाने पर सामग्री की गुणवत्ता उचित नहीं होने पर वेण्डर को जो तीन गुना ज्यादा कीमत का भुगतान किया जा रहा था, उस राशि को रिकवरी के निर्देश दिए गए। वेण्डर ने सम्पूर्ण राशि जमा कर दी है। राशि जमा होने के पश्चात् पीएम श्री विद्यालयों में नियमानुसार गुणवत्ता युक्त वाद्य यंत्रों की आपूर्ति की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
खास बात ये है कि जांच में शिकायत सही पाए बाद न तो सप्लायर को ब्लैकलिस्ट किया गया और न ही वाद्य यंत्रों की खरीदी में शामिल शिक्षा विभाग के अफसरों को। बता दें कि जिन पीएमश्री विद्यालयों में वाद्य यंत्रों की सप्लाई होनी है उनमें से कई स्कूलों संगीत शिक्षक ही नहीं है। ऐसे में इन वाद्य यंत्रों के सुर में भ्रष्ट्राचार की थाप सुनाई दे रही है।