कोरबा : औद्योगिक नगरी कोरबा में राखड़ की समस्या गंभीर पायदान पर पहुंच चुकी है। एनटीपीसी कोरबा के धनरास राखड़ डेम अचानक रात को फूट गया। सैकड़ों टन राखयुक्त पानी आसपास के किसानों के खेतों तक जा पहुंचा। हवा में घुली राख इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के फेफड़े तक तो पहले से ही पहुंच रहा है और अब फसल चौपट हो गई है। करीब 40 एकड़ खेत में किसान बुआई कर चुके थे, जो पूरी तरह राख की परत से ढंक गया।
कोरबा के जमनीपाली में एनटीपीसी की 2600 मेगावाट क्षमता की विद्युत संयंत्र संचालित है। यहां प्रतिदिन औसतन 40 हजार टन कोयले की खपत होती है। इससे उत्सर्जित होने वाली राख की शत प्रतिशत उपयोगिता सुनिश्चित नहीं हो पाने की वजह से अभी भी राखड़ डैम में पाइप लाइन के माध्यम से राख भेजा जा रहा। किसानों की मानें तो धनरास राखड़ डैम में क्षमता से अधिक राख भरा चुका है और अब डैम की रेजिंग (ऊंचाई) बढ़ा कर राख डंप किया जा रहा। क्षमता से अधिक राख होने की वजह से वर्षा का पानी का दबाव तटबंध झेल नहीं सका और उसका एक हिस्सा शनिवार की रात को टूट गया। इसकी जानकारी मिलने पर कुछ ग्रामीण मौके पर पहुंचे। टूटे हुए तटबंध से राख बहते हुए का वीडियो भी ग्रामीणों ने बनाया और कुछ फोटोग्राफ्स भी लिए।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार डैम के फूटने की वजह से राख का सैलाब पानी के साथ बह कर निकल रहा था। देखते ही देखते आसपास के खेतों के मेढ़ तक राख पट गए। अभी कुछ दिनों पहले ही किसानों ने काफी मेहनत कर बोआई किया था। सुबह उस वक्त नाराजगी फैल गई, जब किसानों ने अपनी खेतों पर राख की मोटी परत देखी। नाराज किसान मुआवजा और एनटीपीसी प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग को लेकर राखड़ डैम में ही धरने पर बैठ गए। प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार दर्री जानकी काटले, हल्का पटवारी बाबूलाल कोरवा और जितेन्द्र कुमार क्षतिग्रस्त डैम स्थल पहुंच कर नुकसान हुए खेतों का जायजा लिया। टीम ने सर्वे किया।
इस दौरान 45 से 50 किसानों का खेत राखड़ से प्रभावित होना पाया गया। क्षेत्र के लोगों को अधिकारियों ने आश्वासन दिया है। यदि प्रबंधन की लापरवाही से यह घटना हुई है, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई अवश्य की जाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि एनटीपीसी से सभी प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिलाया जाएगा। तब कहीं जाकर नाराज किसान शांत हुए और आंदोलन समाप्त हुआ।