Korba : हम विकास तो कर रहे हैं किन्तु इससे पर्यावरण का विनाश भी हो रहा है : जयदीप गर्ग
कोरबा। हम आवश्यकता से अधिक जमीन खरीद कर पेड़ पौधों का विनाश कर रहे हैं। कंक्रीट वाले बड़े-बड़े मकान बनाते हैं और फिर गर्मी लगने पर कूलर लगाते है। कूलर काम न करे तो एसी लगाते हैं। विद्युत प्रवाह अधिक होने से विद्युत की आवश्यकता के लिए भारत में कोयले से बिजली बनती है और पर्यावरण बहुत ज्यादा प्रदूषित हो रहा है। हम विकास तो कर रहे है किन्तु इससे पर्यावरण का विनाश भी हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण होने से हम स्वच्छ वायु, स्वच्छ पानी से वंचित होना पड़ रहा है। स्वच्छ वायु, स्वच्छ पानी का उपयोग करने के लिए संविधान ने हमें संवैधानिक अधिकार दिया है।
यह प्रेरक विचार विशेष न्यायाधीश, कोरबा जयदीप गर्ग ने विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के प्लान आफ एक्शन के अनुसार प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा सत्येन्द्र कुमार साहू के निर्देश में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जिला न्यायालय परिसर कोरबा के परिसर में पौध रोपण किया गया। पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक किए जाने के उद्देश्य से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा एवं कोरबा वनमण्डल के संयुक्त तत्वाधान में पौध रोपण के साथ विधिक जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय कोरबा ओंकार प्रसाद गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जयदीप गर्ग, विशेष न्यायाधीश, (एस्ट्रोसिटीज) एक्ट कोरबा ने उद्बोधन में कहा कि अपने आप से पूछिये कि हम विकास की अंधी दौड़ में शामिल हो चुके हैं।हमारे घर पहले 14 इंची मिट्टी की दीवार के होते है, जिसमें हम चूने की पोताई करते थे और एक दूसरे का घर आपस में जुड़ा रहता था। केवल एक ही मकान में धूप आती थी और बाकी मकानों में धूप कम आती थी। जिससे गर्मी कम लगती थी। वर्तमान में आज सभी का सिंगल मकान होता है, जिसमें चारों तरफ से खुला रहता है और उसकी छते भी सीमेंट के होने के कारण गर्मी अधिक लगती है। वर्तमान में हम आवश्यकता से अधिक जमीन खरीद कर पेड़ पौधों का विनाश कर रहे हैं। वर्तमान में हम जमीन खरीद कर बड़े-बड़े मकान बनाते हैं फिर गर्मी लगने पर कूलर लगाते हैं। कूलर काम नहीं करता तो एसी लगाते हैं। एसी में विद्युत प्रवाह अधिक होने से विद्युत की आवश्यकता के लिए कोयले से बिजली का निर्माण किया जाता है। जिससे पर्यावरण बहुत ज्यादा प्रदूषित हो रहा है। हम विकास तो कर रहे हैं किन्तु इससे पर्यावरण का विनाश भी हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण होने से हम स्वच्छ वायु, स्वच्छ पानी से वंचित होना पड़ रहा है। स्वच्छ वायु, स्वच्छ पानी का उपयोग करने के लिए संविधान ने हमें संवैधानिक अधिकार दिया है। मेरे विचार में यह स्वच्छ वायु एवं स्वच्छ पानी का उपयोग करना प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार होना चाहिए। प्रकृति ने जो जीवनचक्र स्थापित किया है, उसी के अनुसार हमें चलना चाहिये। चीन ने यह माना है कि गौरैया चिड़िया द्वारा उनके अन्न का खाने के कारण अन्न का उत्पादन कम हो रहा है, जिसके कारण वहाॅं गौरैया चिड़िया को मारने की मुहिम चलाई गई। जिससे सभी गौरैया प्रजाति ही वहाॅं समाप्त हो गई। गौरैया चिड़िया का आहार टिड्डा है, चिड़िया के समाप्त होने से फसल को टिड्डा खा गया। जिसके कारण 1961 में चीन में भीषण अकाल पड़ा। इसके साथ ही मधुमक्खी का छत्ता का महत्व एवं अन्य जीव जन्तु का प्रकृति में होने के महत्व के संबंध में सूक्ष्मता से जानकारी दी गई। इस अवसर पर श्रीमती ज्योति अग्रवाल, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, एफ.टी.सी. कोरबा, चन्द्र कुमार अग्रवाल, आई.एफ.एस. आफिसर, कोरबा, नूतन सिंह ठाकुर, सचिव, जिला अधिवक्ता संघ कोरबा, जितेन्द्र सारथी रेस्क्यू टीम के सदस्य, पी.के. देवांगन, प्रशासनिक अधिकारी, मानसिंह यादव, चीफ लीगल एड डिफेंस कौंसिल कोरबा, न्यायालय के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, पैरालीगल वॉलिंटियर उपस्थित थे। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा की सचिव कु. डिम्पल ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए उपस्थित सभी न्यायिक अधिकारीगण, कोरबा वनमण्डल के अधिकारी एवं समस्त कर्मचारी, पैरालीगल वॉलिंटियर द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाने में दिए गए योगदान के लिए आभार व्यक्त किया गया।
पर्यावरण एवं जीव जन्तु का रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य
उप वनमण्डलाधिकारी कोरबा आशीष खेलवार ने कहा कि पर्यावरण एवं जीव जन्तु का रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है, उनके द्वारा वनविभाग की जनकल्याकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा गया कि हमें अपने खाली पड़े जमीन पर पौध रोपण का कार्य करना चाहिये। इसके लिए वनविभाग में पौधा रोपण को प्रोत्साहित करने के लिये अनुदान भी देती है। उन्होंने वन्य प्राणी के सरंक्षण अधिनियम के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि कोरबा वनमण्डल में दुर्लभ प्रजाति के वन्य प्राणी है, जिसका संरक्षण करना हम सब की जवाबदारी है।