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Korba:अधिवक्ता पर शासकीय अभिभाषक बन छल का आरोप.. कार्यवाही की मांग.. SP लेंगे संज्ञान…

कोरबा। एक अधिवक्ता पर खुद को अभियोजन अधिकारी बन लोगों को छलने का आरोप लगाया गया है। उस पर फर्जी रूप से इस पदनाम का उपयोग कर आम लोगों समेत पक्षकारों और यहां तक कि सरकारी कर्मियों को भी धौंस दिखाकर अनुचित लाभ लेने की भी शिकायत की गई है। इस मामले में शासकीय अभिभाषक ने जिला पुलिस अधीक्षक से लिखित में शिकायत की गई है।

यह मामला बांकीमोगरा थाना क्षेत्र अंतर्गत रहने वाले अधिवक्ता राजीव कुमार श्रीवास के विरुद्ध सामने आया है। शासकीय अभिभाषक-अतिरिक्त लोक अभियोजक, जिला एवं सत्र न्यायालय कटघोरा विश्वजीत देवनाथ ने पुलिस अधीक्षक कोरबा को यह लिखित शिकायत की गई है कि अधिवक्ता राजीव कुमार श्रीवास द्वारा फर्जी लोक अभियोजन अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करता आ रहा है। श्रीवास द्वारा इसकी आड़ में कई प्रकार के फर्जी कार्य अंजाम दिए रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजीव कुमार श्रीवास द्वारा विगत 10 वर्षों से आम जनों, पक्षकारों, पुलिस विभाग सहित अन्य विभागों के पदाधिकारी एवं कर्मचारियों को अपनी पहचान अभियोजन अधिकारी शासकीय अधिवक्ता के रूप में देते हुए अभियोजन अधिकारी का प्रतिरूपम कर लगातार छल किया जा रहा है।

 

बाइक-कार में फर्जी पदनाम अंकित कर अफसरों को धौंस

 

श्रीवास के द्वारा स्वयं को अभियोजन अधिकारी प्रदर्शित करने के लिए अपने वाहन स्कूटी, मोटरसाइकिल एवं कार में यह पद नाम अवैध तरीके से अंकित कराया गया है। अपना रुतबा प्रदर्शित कर अधिकारियों को प्रभावित किया जाता है। जिसके कारण आम जन सहित अधिकारीगण भी उसे शासकीय अधिवक्ता समझ कर धोखे में रहते हैं। उसके द्वारा अधिकारी के रूप में अपनी पहचान देते हुए शासकीय गेस्ट हाउस में रहने तथा खाने-पीने सहित अन्य सुविधाएं मुक्त हासिल की जाती है।

 

खुदकुशी कर चुके पास्टर के नोट में भी प्रताड़ित करने का जिक्र

 

अधिवक्ता राजीव कुमार श्रीवास द्वारा लोगों से छल किया जाता है। अपने आप को अधिकारी होने का दिखावा करते हुए विभिन्न पक्षकारों को काम करा देने का झांसा देकर उनसे रुपए मांग कर उनके साथ ठगी की जाती है। विगत सप्ताह कुसमुंडा थाना अंतर्गत पास्टर द्वारा आत्महत्या कर लेने के मामले में भी मृतक रमाशंकर पाटले द्वारा अपने सुसाइड नोट में राजीव कुमार श्रीवास का नाम अंकित किया गया था, जिसमे श्रीवास द्वारा मृतक को प्रताड़ित करने का जिक्र मिला था।

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