कोरबा। मुर्गी पालन कर किसी तरह आजीविका की जुगत में जुटे उपभोक्ता को बिजली विभाग की मनमानी ने इतना थकाया कि बर्दाश्त की हद पार हो गई। अनाप शनाप बिजली बिल भेजे, जिसे सुधरवाने के नाम पर बिजली अफसरों ने विद्युत विभाग के दफ्तरों के अनगिनत चक्कर लगवाए। आज कल में समस्या हल करने की झूठी उम्मीद डेकर अधिक बिल दिया गया और ईमानदार उपभोक्ता होने के नाते वह रकम जमा करता रहा। यहां तक कि सर्दियों के मौसम में बिजली काट देने की धमकी दी गई और मुर्गियों के ठंड में मर जाने के डर से उसने फिर से बकाया जमा कर दिया। थक हार कर मुर्गी पालक ने उपभोक्ता आयोग की शरण ली। आयोग ने सुनवाई करते हुए पाया कि उपभोक्ता को बुरी तरह परेशान होने विवश किया गया। CSEB पर कार्यवाही का हथौड़ा चलाते हुए 20 मई 2024 को आयोग ने आदेश पारित किया गया कि विभाग द्वारा LV 04 की दर से दिए जाने वाले बिल जिसे LV 02 की दर से दिया गया है, उसकी पुनः गणना का LV 04 की दर से कर अंतर की राशि को समायोजित कर सही करे। बिल ज्यादा हो तो परिवादी को वापस करे। मुर्गी पालक को हुए नुकसान अनियमितता के सम्बंध में 10 हजार, मानसिक पीड़ा 5 हजार व वाद व्यय के 2000 समेत कुल 17 हजार व पुनः गणना कर भुगतान करने CSEB को आदेशित किया है।
धारा 35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अंतर्गत यह परिवाद पत्र CSEB के विरुद्ध शफीक शेख ने दायर किया था। शफीक ने वर्ष 2014 में भुलसीडीह में एक मुर्गी पालन केंद्र की स्थापना की थी। फार्म के लिए उन्होंने सीएसईबी पाड़ीमार जोन से बिजली कनेक्शन लिया। यह कनेक्शन LV 04 के तहत दिया गया। पर बिजली विभाग की लापरवाही के चलते शुरू से ही LV 02 के तहत बिल दिया जाने लगा।
अधिवक्ता अशोक पाल ने उपभोक्ता को दिलाया न्याय
परिवादी द्वारा बार बार विभाग के ऑफिस के चक्कर लगाता रहा, पर सुधार न हुआ। आखिर थक हार कर शफीक ने अपने अधिवक्ता अशोक पाल के माध्यम से विधिक सूचना भेजा गया। विद्युत विभाग के अगसरों ने उस पर भी कोई जवाब नहीं दिया। तब परिवादी द्वारा अपने अधिवक्ता अशोक पाल के माध्यम से विभाग के विरुद्ध सेवा में कमी का अभिकथन किया है। परिवादी शफीक को गलत विद्युत कनेक्शन दिए जाने तथा शिकायत के बाद भी उसके समस्याओं का निराकरण नहीं किए जाने के कारण क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की मांग रखी। इस तरह आयोग ने एक ईमानदार उपभोक्ता को विद्युत कंपनी द्वारा परेशान करने की मंशा को महसूस करते हुए आदेश जारी किए हैं। आदेशित रकम 30 दिन में भुगतान न कर पाने की स्थिति में विरोधी पक्षकार CSEB को 9 प्रतिशत ब्याज दर के साथ भुगतान करने आदेश दिए हैं।