भिलाई। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में रसमड़ा स्थित सतबहिनिया मंदिर के पास छह महीने पहले हुई हत्या का रहस्य किसी फिल्म की तरह सुलझा। पुलिस ने जले हुए शव के पास मिले आधार कार्ड से मरने वाले की पहचान तय कर ली थी।
इधर, छह माह बाद आई डीएनए रिपोर्ट में यह शव किसी और का निकला। पुलिस ने नए सिरे से जांच शुरू कर आरोपित की पहचान कर उसे गिरफ्तार कर लिया है। बीते वर्ष 30 जुलाई की सुबह चबूतरे पर एक युवक की जली हुई लाश मिली थी।
लाश को जलाकर उसके समीप डाल दिया था खुद का आधार कार्ड
शव के समीप मिले आधार कार्ड में शक्ति नगर, दुर्ग निवासी रामचरण चंद्राकर का नाम और पता लिखा था। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने ये मान लिया कि मरने वाला रामचरण ही है। औपचारिक रूप से पहचान करने के लिए जब पुलिस ने उसके शव और रामचरण की मां का डीएनए टेस्ट कराया तो उसमें रिपोर्ट का मिलान नहीं हुआ।
पुलिस के अनुसार, आरोपित चोरी के सामान को बिकवाने का काम करता था। उसने पुलिस को बताया कि मरने वाला राजू था। रेलवे स्टेशन पर हुई मुलाकात के बाद दोनों साथ मिलकर चोरी करने लगे थे।
त्रिशूल घोंपकर की थी हत्या
इसी बीच एक वारदात की रात चोरी को लेकर विवाद के बाद राजू आक्रोश में आ गया और मंदिर की मूर्तियों को क्षति पहुंचाने लगा। इस बात से आक्रोशित होकर रामचरण ने राजू की त्रिशूल घोंपकर हत्या कर दी। फिर चबूतरे पर उसका शव रखकर जला दिया था।
जाते-जाते उसने अपना अआधार कार्ड वहीं पर फेंक दिया। पुलिस के अनुसार, आरोपित अपनी पत्नी की भी इसी तरह हत्या कर चुका है। पत्नी की हत्या के दोष में जेल से छूटने के बाद वह राजनांदगांव स्थिति छुरिया पहाड़ पर स्थित काली मंदिर में पूजा-पाठ करने लगा था।