
नई दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी संभावित गिरफ्तारी के खतरे के बीच सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच और गिरफ्तारी की शक्तियों को संविधान के दायरे में चुनौती दी है। बघेल ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में अनुरोध किया है कि उन्हें 2161 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले के मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया जाए और उन्हें जांच में सहयोग का अवसर दिया जाए।
इस अहम याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ 4 अगस्त, सोमवार को सुनवाई करेगी।
पूर्व सीएम और उनके बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ CBI और ED की संयुक्त जांच चल रही है। हाल ही में ED ने चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया है, जिससे इस मामले की राजनीतिक और कानूनी गूंज और तेज हो गई है।
बघेल की याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि CBI और ED जैसे केंद्रीय एजेंसियों की असीमित शक्तियाँ संघीय ढांचे और नागरिक अधिकारों पर खतरा बन सकती हैं। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में ED की गिरफ्तारी संबंधी शक्तियों पर सवाल उठाए जा चुके हैं और इनकी वैधता को लेकर बहस चल रही है।
भूपेश बघेल की यह पहल न सिर्फ कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे केंद्र बनाम राज्य के टकराव और राजनीतिक प्रतिशोध की संभावनाओं से भी जोड़ा जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सर्वोच्च अदालत इस संवेदनशील मामले में क्या रुख अपनाती है।