
कप्तान पदस्थ कर रहे थानेदार फिर लॉ एंड ऑर्डर क्यों हो रहे तार- तार
पिछली बार पुलिस हेडक्वार्टर में एसपी कांफ्रेंस में उठे एक सवाल की चर्चा महकमें में आज भी हो रही है। कप्तान सजा रहे फील्ड और बैठा रहे थानेदार फिर बार-बार लॉ एंड ऑर्डर ..! अब बात ऊर्जाधानी के ऊर्जावान थानेदारों की करें तो यहां भी थाना चलाने के लिए विभाग में थानेदार तबादला होने के बाद भी थानेदारी कर रहे हैं।
उच्च अधिकारियों के आदेश पर चल रहे इस प्रयोग की समझ न तो विभाग के अफसरों को आ रहा है और न इसके जानकारों को ! विभाग के इस प्रयोग पर फिल्म “हर दिल जो प्यार करेगा ” वाला गाना हर थाने में बज रहा है। हालांकि विभाग के जानकार इस प्रयोग को थानेदार पर भारी बता रहे हैं।
सूत्रधार की मानें पीएचक्यू से एल्यूमिनियम नगरी और कोयलांचल के थानेदार का तबादला आदेश जारी किया था। पुलिस मुख्यालय से तबादला आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया की तत्काल भारमुक्त होकर नई पोस्टिंग पर आमद दें। इस आदेश के बाद भी मुख्यालय के आदेश और को खुली चुनौती देकर थानेदारी कर रहे हैं। ट्रांसफर के बाद भी चल रहे थानेदारी पर पुलिस के पंडित कहने लगे फील्ड सजा रहे कप्तान तो लॉ एंड ऑर्डर तो होगा तार -तार..!
IPL सट्टे का खेल, पुलिस तंत्र फेल
कोरबा में IPL सट्टे का खेल ऐसा चल रहा है कि पुलिस का मुखबिर तंत्र फेल हो गया है। तभी तो आईपीएल के आधे से ज्यादा मैच हो चुके है लेकिन सट्टा का गढ़ कहने जाने वाले कोरबा में सटोरियों को पकड़ने कानून के हाथ बुकी तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
कहा तो यह भी जा रहा कि शहर के चर्चित बुकी के एक फ्लैट में रहकर खाकी के कुछ खिलाड़ियों और आईपीएल प्रेमियों को इंटरटेंट कर रहा है। ये वही बाजीगर है जिनकी पिछले सीजन में पुलिस को तलाश थी और उसे पकड़ने रायपुर ठिकाने दबिश दी थी।
सूत्रधार की माने तो कोरबा के कई बुकी सक्रिय हैं जो हाईटेक तरीके से सट्टा संचालित कर कर रहे है और कुछ पुलिस के जाबांजों को किस्सा सुनाकर चला रहे है। खैर जो भी इस सीजन आईपीएल में सटोरियों की गिरफ्तारी न होने से पुलिस का तंत्र फेल साबित हो रहा है। सट्टा खिलाने और सटोरिओं में खुसुर – फुसर हो रही है भाई कानून के हाथ लंबे नहीं बल्कि मजबूत होते हैं। वो तो अफसरों की….।
DMF के चित्रगुप्त महराज और यमराज
पूर्ववर्तीय सरकार में हुए डीएमएफ घोटाले में शाखा प्रभारी डिप्टी कलेक्टर और तीन सीईओ कृष्ण जन्मभूमि पहुंच चुके हैं अब बारी खनिक के चित्रगुप्त महराज और यमराज की है।
अब आप समझ तो गए होंगे हम किसे चित्रगुप्त की संज्ञा दे रहे हैं, नहीं समझे होंगे तो ऐसे समझे कौन है चित्रगुप्त..! ये वहीं चित्रगुप्त हैं जो मीठा बोल बड़ा अनमोल की नीति से काम करते हुए कलेक्ट्रेट की छोटी बिल्डिंग में राज करते रहे। जिस समय कोरोना काल चल रहा था उस समय उनके दफ्तर में सप्लायरों का तांता लगा रहता था। साब.. काम के प्रेशर में रोज टीपी नगर के आशीर्वाद का अन्न ग्रहण कर वापस घर लौटते थे। देर से ड्यूटी आना और देर रात वापस चांपा जाना उनका रूटीन वर्क था। साब करें भी तो क्या करें…!! आखिर डीएमएफ के चित्रगुप्त थे तो बही खाता भी संभालना था। लिहाजा सप्लायरों की सेवा करते हुए खूब मेवा-मिष्ठान्न ग्रहण करते रहे। चित्रगुप्त नीचे बैठते थे तो यमराज फर्स्ट फ्लोर में विराजमान थे। उस दौर में दफ्तर से ज्यादा बंगले में फाइल साइन होता था। सूत्रधार की माने तो साब तो डीएमएफ के काम में इतने रम गए थे कि सीएसईबी से एक और क्वार्टर हथिया लिया था और चंदे में उन्नयन कराकर अपने माता पिता को रखने की बात अधीनस्थ अफसरों को कहते थे। समय गुजरा साब का तबादला हुआ और चित्रगुप्त की बही खाता पर ब्रेक भी लग गया। अब जब डीएमएफ के चार सूत्रधारों पर ईओडब्ल्यू की मार पड़ी तो सप्लायर चित्रगुप्त और यमराज को याद कर रहे है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगला नंबर डीएमएफ के बही खाता को मैनेज और किस सप्लायर को देना है और किससे लेना है का आदेश देने वाले यमराम भी ईओडब्ल्यू के लपेटे में आ सकते है।
तीन 13 का चक्कर
साय कैबिनेट का विस्तार और बाकी बचे आधा दर्जन निगम मंडलों की नियुक्ति में तीन 13 का चक्कर ऐसा फंसा है कि वो सुलझने की जगह उलझता जा रहा है। सरकार में अभी 11 मंत्री हैं यानि दो पद खाली हैं, कुल मिलाकर 13.. और इस 13 के चक्कर में बीजेपी उलझ गई है। हालांकि 13 के चक्कर के बाहर निकलने के लिए पार्टी, हरियाणा सरकार का 14 वाला फार्मूला भी आजमा सकती है। लेकिन, इसके लिए दो की जगह 3 मंत्री बनाने पड़ेंगे। फिलहाल, इसके आसार कम हैं। निगम मंडलों का हाल भी यही है.. वहां भी सिर फुटव्वल हो रही है।
जब जब मंत्रिमंडल विस्तार की बात होती है तीन 13 का चक्कर चल पड़ता है। कभी चुनाव, कभी संगठन चुनाव, सब कुछ निपटा तो प्रदेश भाजपा की कार्यकारिणी का गठन का पेंच फंस गया। ये तो पार्टी की अंदरूनी बात है। लेकिन, पहलगाम घटना के बाद तो कैबिनेट विस्तार और बाकी निगम मंडलों में नियुक्ति का मामला फिर लटक गया है।
अब कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद इस पर चर्चा होगी। वैसे भी सरकार इस वक्त सुशासन तिहार में बिजी है। खबर है कि नेता बनने वाले लोग तीन और 13 नंबर से अपने जन्म कुंडली के मूलांक का मिलान कर रहे हैं..अब देखिए किसके सितारे कमाल दिखाते हैं।
नंबर के लिए नंबर…
छत्तीसगढ़ में वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना है अनिवार्य कर दिया गया है। सूबे में करीब 50 लाख वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगना है। अलग अलग जिलों में अफसरों को इसके लिए टारगेट दिए गए हैं। इसके लिए टाइम लिमिट तय कर दी गईं हैं। अफसर भी बहीखाता लेकर वाहनों की लिस्ट बना रहे हैं मगर, परेशानी ये है कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगने के लिए केवल 3 लाख आवेदन ही मिले हैं।
परिवहन सचिव ने ठेका कंपनी को कहा है कि वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने में 15 दिन से ज्यादा की वेटिंग नहीं होना चाहिए। ठेका कंपनी की परेशानी ये है कि पूरा जोर लगाने के बाद भी एक दिन में 300 से 400 से ज्यादा नंबर प्लेट तैयार हो पा रहे हैं, उस पर 15 दिन की वेटिंग लिमिट।
हालत ये है कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन करने वालों वाहन चालकों को भी नंबर प्लेट बनवाने के लिए लाइन में अपने नंबर का इंतजार करना पड़ा है। संडे मंडे में वीकेंड का मजा छोड़ कर लोग लाइन में लगे हैं…नंबर पर नंबर का ये खेल सभी जिलों के उन सेंटर पर खेला जा रहा है जहां ये हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट तैयार होना है। अब नंबर के इस खेल में परिवहन विभाग कितने नंबर जुटा पाता ये देखने वाली बात होगी।