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CM will go to Delhi; महिला थानेदारों का कम हुआ रुवाब,गए तो थे छब्बे बनने दुबे होकर लौटे..असरानी का “राजकुमार” .24 घंटे में बदल दिए 61 अफसर

महिला थानेदारों का कम हुआ रुवाब

कहावत है जब समय खराब हो तो ऊंट में बैठे आदमी को कुत्ता काट लेता है ये बातें जिला पुलिस महकमें की महिला थानेदारों पर फिट बैठती है। पहले जिले की पुलिसिंग में महिला थानेदारों का रूवाब था। अब महिला मंडल में उनके रुवाब कम होने की खुसुर- फुसुर हो रही है।

एक दौर था जब पॉवर सिटी कोरबा में महिला थानेदारों के पॉवर का दबदबा था। ये वो दौर था जब साधना सिंह, मंजुलता राठौर और श्रुति सिंह की तिकड़ी ने बड़े थाने में थानेदारी कर खाकी के मान को गिरने नहीं दिया , और एक आज का दौर है जब महिला निरीक्षकों को सिर्फ विवाद सुलझाने के लिए समय -समय पर उपयोग किया जा रहा है।

अब देखिए ना निरीक्षक मंजूषा पांडे, किरण गुप्ता, उषा सोंधिया की पोस्टिंग का बहीखाता। जब जब थाने विवाद में आए इन्हीं को संकट मोचक बनाया गया और हालत सामान्य होते ही लूप लाइन का रास्ता दिखा दिया।

हालांकि महिलाओं की थानेदारी भी साहब के नीति पर भारी रही है। तभी तो पोस्टिंग के बाद भी एक एक शिकायत पर बोल्ड आउट होकर लाइन लौट रहे हैं।

वैसे तो कहा जाता हैं कि सरकार के विभागों में महिलाओं की भागीदारी और नारी शक्ति से ही देश की तरक़्क़ी और भी..बहुत कुछ लेकिन कोरबा की हकीकत कुछ औऱ बंया कर रही है…!

 

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सचिव गए तो थे छब्बे बनने दुबे होकर लौटे..

 

चौबे गये छब्बे बनने दुबे होकर लौटे या फिर कहिए निकले थे हरि.भजन को ओटन लगे कपास“…। पंचायत चुनाव ठीकठाक निपटने के बाद सचिवों ने कभी सोचा भी नहीं था कि यह कहावत उन्हीं पर लागू हो जाएंगी। परमानेंट नौकरी के चक्कर में एक महीने से आंदोलन कर रहे सचिव की मांग तो पूरी नहीं हुई उल्टे पांच साल के कार्यों की जांच के आदेश जारी हो गए।

सूत्रधार की माने तो आंदोलन के लिए प्रदेश कमेटी को हर ब्लाक से 2 पेटी का नजराना पेश किया गया था। जिससे आंदोलन को बूस्टर डोज मिलता रहे। वैसे लोकतंत्र में अपनी बात रखने का सभी को अधिकार है, लेकिन चुनाव होते ही जिस कदर सारे सचिव आंदोलन में गए उससे पब्लिक भी नाराज है।

करीब एक महीने तक चले आंदोलन में न तुम जीते और न हम हारे वाले स्टाइल में खत्म हो गया। अब सचिव लौट आए हैं और पंचायत में पंचायती होने लगी है। गांव की चौपाल में अभिषेक बच्चन के आठवी पास फ़िल्म का डायलाग.. सरकारी कर्मचारी काम नहीं करने का तो सैलरी लेता है और काम करने का अलग से..बज रहा है..आगे की लाइन ​आप खुद समझ जाएं।

 

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असरानी का “राजकुमार”

 

मैं नतमस्तक हूं.. ये पुण्य का काम कर रहे है… आदि आदि… ये बातें असरानी ने आतिथ्यकर्ता राजकुमार के लिए कही और प्रश्न पूछने वालो की भी जमकर खबर ली है।

कहते है रोटी देने वाला ही भगवान होता है। इस बात को कॉमेडी किंग असरानी ने सच कर दिखाया है।

दरअसल शोले फ़िल्म जेलर से मशहूर हुए कॉमेडी किंग ने एक स्कूल के कार्यक्रम में वो कर दिखाया जिसकी कल्पना न आयोजकों को थी और न ही दर्शकों को! सूत्रधार की माने तो पहाड़ों की मां मड़वारानी की गोद मे हुए कार्यक्रम में असरानी ने अपने आतिथ्यकर्ता राजकुमार के लिए इतनी कसीदे पढ़े कि जनमानस में चर्चा होने लगी। कहा तो यह भी जा रहा कि गरिमामय कार्यक्रम में कॉमेडी किंग की कर्कश आवाज से पवित्र स्कूल की छवि धूमिल हो गई। सूत्रधार की माने तो कार्यक्रम में उपस्थित लोगो से जब उल जुलूल बाते होने लगी तो लोगो ने आपस मे खुसुर-फुसुर होने लगी – ” नशा धन का है या कुछ और..!” कॉमेडी किंग की स्वामी भक्ति को देखकर बुद्धजीवी भी चटखारे लेकर अलग अलग अंदाज में उपमा देते हुए सपनो के राजकुमार को राजदार बता रहे है।

 

सुशासन का समाधान, 24 घंटे में बदल दिए 61 अफसर

 

छत्तीसगढ़ की सुशासन वाली सरकार ने जिस तरह से छुट्टी वाले दिन शनिवार को 41 आईएएस अफसरों का तबादला आदेश जारी किया उसकी चर्चा मंत्रालय में पूरी नहीं हो पाई थी कि अगले 12 घंटे में 20 आईपीएस की सूची निकाल कर ब्यूरोक्रेसी को चौंका दिया। सब कुछ सांय सांय तरीके से हुआ… जब तक अफसर कुछ समझते उससे पहले फौरन री​लिविंग के आदेश निकाल दिए।

प्रशासनिक स्तर पर बड़े फेरबदल की अंदेशा तो अफसरों को भी था, मगर सब कुछ इतनी जल्दी होगा इसका अंदाजा नहीं था। हालांकि कटाक्ष के पिछले दो सप्ताह के कालम में ”समाधान पेटी का समाधान” और ”आईपीएल, कलेक्टर और सेंचूरी” वाली खबर में न्यूज पॉवर जोन ने पहले ही इस ओर इशारा कर दिया था। अब सरकार की ओर से इस खबर पर मुहर लग गई।

एक बात और, सरकार ने नए पुराने का काकटेल तैयार किया है। जिन 11 जिलों के कलेक्टर्स को हटाया गया है उन्हें किसी जिले में रिपिट नहीं किया..सभी को मंत्रालय में चैंबर अलाट हुए हैं। और जिन नए अफसरों को जिलों की कमान दी गई है, उनके पास अपने नंबर बढ़ाने का मौका है। ऐसा ही फार्मूला आईपीएस लॉबी के लिए तैयार है..। वैसे भी सांय सांय वाली सरकार, हाईटेक मोड पर है। ​रिजल्ट देने में गडबड़ी सामने आई तो नई लिस्ट जारी होने में देर नहीं लगेगी।

 

सीएम दिल्ली जाएंगे..वहां से लाल बत्ती लाएंगे

प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दिनभर के व्यस्त कार्यक्रम के बाद रविवार रात फ्लाइट से दि​ल्ली के लिए रवाना हो गए। सीएम के दिल्ली उड़ान भरते ही एक बार फिर कैबिनेट विस्तार और बाकी बचे निगम मंडलों में नियुक्ति होने के कयास शुरु गए..। बीजेपी के गलियारे में एक गाना फुल लाउड में बज रहा है सीएम दिल्ली जाएंगे..वहां से लाल बत्ती लाएंगे।

वैसे बीजेपी अभी वक्फ बिल,सुशासन तिहार में बिजी है..। देशभर में वक्फ कानून में हुए बदलाव को लेकर जनजागरण अभियान चलाने की तैयारी छत्तीसगढ़ में भी है। अब सीएम का दिल्ली प्रवास किस सिलसिले में है प्रोटोकाल में इसकी जानकारी नहीं दी गई है। खबरीलाल की माने तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक हो सकती है।

ऐसे में सीएम के अचानक दिल्ली जाने से एक बार फिर कैबिनेट विस्तार को हवा मिल रही है। साथ ही बाकी बचे निगम मंडलों में नियुक्ति को फाइनल टच मिल सकता है। त​ब तक सीएम दिल्ली जाएंगे..वहां से लाल बत्ती लाएंगे..से ही काम चलना होगा।

 

✍️ अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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