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कहानी एक निडर महिला अफसर की, कॉलेज में देखा अन्याय तो लिया वर्दी पहनने का फैसला; ऐसी रही DSP श्रेष्ठा ठाकुर की…

DSP Shrestha Thakur Story: कई बार एक घटना इंसान की पूरी जिंदगी की दिशा बदल देती है. ऐसा ही कुछ हुआ उत्तर प्रदेश के उन्नाव की रहने वालीं श्रेष्ठा ठाकुर के साथ. कॉलेज के दिनों में समाज की सच्चाई जब उनकी आंखों के सामने आई, तो उन्होंने तय कर लिया कि अब बस चुप नहीं बैठना है, बदलाव का हिस्सा बनना है. इससे बाद श्रेष्ठा ने कुछ ऐसा करने की ठानी कि जिससे वह अन्याय के खिलाफ न केवल अपनी आवाज बुलंद कर सके, बल्कि इतनी पावर भी मिले कि ऐसी सामाजिक बुराई को समाज से खत्म कर सके. पढ़िए श्रेष्ठा ठाकुर की सक्सेस स्टोरी…

शिक्षा से जुनून तक का सफर

12 अगस्त 1984 को जन्मी श्रेष्ठा ठाकुर ने कानपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद एमबीए किया. पढ़ाई के दौरान कॉलेज के बाहर लड़कियों को परेशान करते लड़कों को देख वह अंदर से हिल गईं. जब उन्होंने देखा कि पुलिस इस पर कोई एक्शन नहीं ले रही, तो उनके अंदर एक सवाल उठा कि अगर कोई कुछ नहीं कर रहा, तो क्यों न मैं ही कुछ करूं? बस यहीं से उनका सफर DSP बनने का शुरू हुआ.

सपने की राह में परिवार का साथ
श्रेष्ठा को उनके परिवार का भरपूर समर्थन मिला. खासकर उनके बड़े भाई मनीष प्रताप ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया. दिन-रात की मेहनत रंग लाई और उन्होंने 2012 में यूपी पीसीएस परीक्षा पास की. साल 2014 में उन्हें पहली पोस्टिंग मिली, लेकिन असली पहचान उन्हें 2017 में मिली.

बुलंदशहर से मिली पहचान
2017 में बुलंदशहर में तैनाती के दौरान श्रेष्ठा का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे एक राजनीतिक कार्यकर्ता के खिलाफ सख्त कार्रवाई करती नजर आईं. उस घटना ने उन्हें जनता की नजरों में एक ईमानदार और निडर अधिकारी के रूप में स्थापित कर दिया.

पर्सनल लाइफ में भी संघर्ष
2018 में उन्होंने रोहित नाम के युवक से शादी की, जिसने खुद को IRS अधिकारी बताया. बाद में यह सामने आया कि वह झूठ बोल रहा था. धोखाधड़ी सामने आने के बाद श्रेष्ठा ने तलाक ले लिया, उन्होंने केस दर्ज कराया, रोहित को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन जेल से छूटने के बाद उसने श्रेष्ठा पर झूठे आरोप लगाए. इन विवादों के बावजूद ऑफिसर डटी रहीं और अपनी ड्यूटी को सबस ऊपर रखा.

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