रायपुर। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की है. वहीं कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस की सरकार बनने के दावे किए जा रहे थे, वो सारे दावे ताश के पत्तों की तरह बिखर गए. छत्तीसगढ़ की हार को कांग्रेस पचा नहीं पा रही है. जिसको लेकर लगातार मंथन-चिंतन का दौर जारी है. पार्टी सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ की हार से खासा नाराज है. केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि छत्तीसगढ़ की असल हालत के बारे में उन्हें अंधेरे में रखा गया. जिसकी वजह से पार्टी जीता हुआ चुनाव भी हार गई.
नेताओं की आपसी गुटबाजी पर भी आलकमान ने जताई नाराजगी
आपको बता दें कि कांग्रेस सूत्रों ने भूपेश बघेल को सीएलपी लीडर नहीं बनाने पर जानकारी दी है. वहीं सूत्रों की मानें तो छतीसगढ़ में आपसी गुटबाजी को लेकर भी कांग्रेस आलाकमान नाराज है. उनको लगता है कि आपसी गुटबाजी में कांग्रेसी नेताओं ने एक-दूसरे को हरवाया है. कई विधायकों को भी खुद पर छोड़ दिया गया उनकी मदद नहीं की गई. इसके अलावा कांग्रेस नेतृत्व का मानना था कि नतीजे पर अधिकारित जिम्मेदारी तय करनी होगी. कांग्रेस आलाकमान का यह भी मानना था कि प्रदेश में पार्टी की वास्तविक स्थिति को लेकर उन्हें सही फीडबैक नहीं दिया गया.
नेता प्रतिपक्ष को लेकर लिया बड़ा फैसला
एक तरफ जहां बीजेपी ने प्रदेश में सरकार बनाई है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से छत्तीसगढ़ का नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत को बनाया है. वहीं दीपक बैज को अभी भी प्रदेश अध्यक्ष रखा गया है. आपको बता दें कि इस बार विधानसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस की उम्मीदों के बिल्कुल विपरीत रहे. कांग्रेस ना सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गई बल्कि उनके कई बड़े नेता भी चुनाव हार गए उनमें दीपक बैज और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव नाम भी शामिल है.