
दंतेवाड़ा। नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के आदिवासी विकास विभाग में करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। विभाग में पदस्थ दो पूर्व सहायक आयुक्तों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पाँच सालों में 45 फर्जी टेंडर जारी कराए और चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुँचाया।
5 साल का खेल, 45 फर्जी टेंडर
जांच रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 से 2025 तक जिला खनिज न्यास निधि (DMF) के तहत जारी टेंडरों में भारी अनियमितताएँ मिलीं। पाँच वर्षों में 45 फर्जी टेंडर निकालकर मनचाहे ठेकेदारों को कार्य बांटे गए। कलेक्टर कुणाल दुदावत को लगातार शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद जांच करवाई गई और यह बड़ा घोटाला सामने आया।
आरोपी अफसर और कर्मचारी
डॉ. आनंदजी सिंह, पूर्व सहायक आयुक्त (वर्तमान में रायपुर पदस्थ)
के.एस. मसराम, पूर्व सहायक आयुक्त (अब रिटायर्ड)
संजय कोडोपी, क्लर्क (सस्पेंड)
क्लर्क संजय कोडोपी पर आरोप है कि उसने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर निविदा प्रक्रिया पूरी की। तीनों के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज हो चुकी है और जल्द ही सिटी कोतवाली में FIR दर्ज होने वाली है।
डॉ. आनंदजी सिंह पर गंभीर आरोप
डॉ. आनंदजी सिंह के खिलाफ गीदम थाने में पहले से ही बलात्कार का मामला दर्ज है। हालांकि फिलहाल उन्हें कोर्ट से राहत मिली हुई है। सूत्रों के अनुसार पीड़िता के पिता विभाग में ठेकेदारी करते रहे हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि सिंह ने अपनी महिला मित्र के परिवारजनों के खातों में भी विभाग का पैसा ट्रांसफर किया। यह मामला भी गीदम पुलिस की जांच में है।
टेंडर समिति पर भी सवाल
इस घोटाले में DMF के लिए गठित टेंडर समिति की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। पाँच सालों तक विभाग में इतना बड़ा फर्जीवाड़ा चलता रहा, लेकिन समिति ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई। अब समिति की कार्यप्रणाली की भी जांच की जा रही है।
अगला कदम
कलेक्टर दुदावत ने स्पष्ट किया है कि विभाग में हुई अनियमितताओं पर सख्त कार्रवाई होगी। पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है और आरोपियों पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी है।