🔶एसपी का संदेश से शराबियों के उड़े होश
शहर में बढ़ रही दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने कप्तान के संदेश “शराब पीकर वाहन चलाने वालो पर फटाफट बनाओ केस” से शराबियों के होश उड़े हुए हैं।
वस्तुतः निहारिका क्षेत्र में हुए हिट एंड रन प्रकरण के बाद कप्तान ने सभी थानेदारो को सख्त संदेश देते हुए कहा कि शराब पीकर और तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने वालों पर चेकिंग पॉइंट में केस बनाये। जिससे असमय हो रही अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं पर अंकुश लगे। साहब के संदेश को एक टीआई ने तो हवा में उड़ाते हुए कह दिया कि सांप निकलने के बाद लाठी पिटने का क्या फायदा..!!
उनका कहना भी सोलह आने सच है। शहर की यातायात व्यवस्था और सहजता से उपलब्ध नशे का सामान बढ़ते अपराध और दुर्घटना के मुख्य कारक हैं। निहारिका क्षेत्र में हुए हृदय विदारक घटना के बाद तो शहर के सभ्य लोग पूर्व एसपी संतोष सिंह की याद ताजा करते हुए कहने लगे है नशे के खिलाफ उनका अभियान सबके लिए अनुकरणीय है। वे जब तक कोरबा में रहे नशे के कारोबार पर अंकुश लगा रहा और रात में शराब पीकर वाहन चलाने वाले भी अपनी हद में थे। शहर के भीतर हुई घटना को देखते हुए जनमानस में सुगबुगाहट है कि फिर से एक बार नशे से मुक्ति का अभियान चलाने की आवश्यकता है। एसपी के संदेश के बाद पुलिसिंग में कसावट तो आई है लेकिन आउटर के थानेदार चेकिंग के बहाने पब्लिक को चूसने में लगे हैं।
🔶सरकारी जमीन पर निजी “मालिक” की तलाश
सिंचाई विभाग की बेशकीमती जमीन पर नेता और जमीन दलालों की नजर पड़ गई है। निगम के कुछ पुराने अफसर सरकारी जमीन में निजी मालिक की तलाश कर रहे हैं।
असल में दर्री के भवानी मंदिर रोड से सटे 30 एकड़ काली मिट्टी वाली जमीन को दर्री डेम निर्माण के लिए अधिग्रहित किया गया था। मिट्टी खनन कर डेम में उपयोग के बाद गड्ढा नुमा जमीन को पहले तो राखड़ ठेकेदारों ने राखड़ फिलिंग कर समतल किया। अब उस पर जमीन दलाल अपना कमाल दिखा रहे है।
हालांकि वर्तमान कलेक्टर के तेवर जमीन दलालों के फेवर में कतई नहीं हैं लेकिन सत्ता में जमीन के जमींदारों का दमखम भी ज्यादा होता है। लिहाजा पीपी मॉडल की तर्ज पर नेता अफसर साथ मिलकर खसरा नम्बर को लेकर सिंचाई विभाग की जमीन पर फिट करने के लिए मौके की तलाश में हैं।
हालांकि जमीन के खेल में पंजीयन विभाग के तीन रजिस्ट्रार को सरकार ने पहले ही हटा दिया। कोरबा मेंं भी जमीन का बड़ा खेल खेला गया है। अब पीपी मॉडल की तर्ज पर भवानी मंदिर रोड से सटे बेशकीमती जमीन को हथियाने के खेल की पिच तैयार हो रही है। जिसकी शहर में जोरदार चर्चा है। भूमाफियाओं का सपना “जो जमीन सरकारी है वो हमारी है” कब तक पूरा होगा, यह भविष्य के गर्भ में है।
🔶किस्सा कुर्सी का! सत्ता की जीत या सत्य की…
पूर्ववर्ती सरकार में महापौर की कुर्सी में आसीन राज किशोर के ओबीसी जाति प्रमाण पत्र को छानबीन समिति ने फर्जी करार देते हुए निरस्त किया। फिर क्या था जाति के दंगल में भाजपाइयों का एक से बढ़कर एक बयानों की बयार चल पड़ी। किसी ने सत्य की जीत कहा तो किसी ने सत्ता का असर।
लेकिन, भाजपाइयों के महापौर की कुर्सी गिराने की खुशी ज्यादा दिन टिक नहीं सकी और मेयर की जाति प्रमाणपत्र के मामले को हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया। स्टे मिलते ही निगम में नेतागिरी करने वालों की स्थिति माया मिला न राम वाली हो गई। अब खुशी के इजहार करने की बारी कांग्रेसियों की थी पार्टी के सुलझे नेताओं ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा पहले जो जीत हुई वह सत्य की नहीं बल्कि सत्ता की थी। अब जो कोर्ट से जीत मिली वह सत्य की है।
बात भी सच है क्योंकि सरकार बदलते ही जाति के मामले फटाफट निर्णय मतलब कहीं न कहीं सत्ता का दबाव तो था। इन सबके बीच क्रास वोटिंग और शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉ महंत का ” एक जगह जब जमा हो तीनो – अमर अकबर अन्थोनी..” वाले बयान बार बार राजनीति के दरबार मे रिप्ले हो रहा है और भाजपा के शीर्ष नेता पार्टी भीतर के अमर अकबर एंथोनी की तलाश कर रहे हैं।
फिलहाल सत्ता और सत्य की ये लड़ाई तीन महीने और चलेगी…। तीन महीने बाद निगम के चुनाव होने हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस बार जनता सीधे अपना मेयर चुनेगी और कोरबा का मेयर कौन होगा..इसपर जनता अपना फैसला सुनाएगी। तब तक बयानों से ही काम चलना होगा।
🔶युक्तियुक्तकरण के गणित में टीचर पास
नए शिक्षा सत्र के शुरु हुए तीन महीने पूरे हो गए। इन तीन महिनों में दो महीने शाला प्रवेश उत्सव में गुजरा गया जबकि तीसरा महीना युक्तियुक्तकरण में उलझ गया। आखिरकार सरकार का स्कूलों में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का फैसला कुछ समय के लिए टल गया।
युक्तियुक्तकरण एकल शिक्षक वाले स्कूलों और अतिशेष संख्या वाले स्कूलों में की जानी थी। दरअसल बीजेपी की रमन सरकार में टीचर्स की कमी दूर करने युक्तियुक्तकरण अपनाई गई थी। लेकिन शिक्षक संगठनों के नेता युक्तियुक्तकरण के विरोध में एक हो गए। इस बार शिक्षक संगठनों ने ऐसी गणित बैठाई कि सरकार को अपना फैसला टालना पड़ा।