Npz News Network: लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद पहली बार संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की ओर से किसी तरह की टिप्पणी सामने आई है। आरएसएस प्रमुख ने सोमवार को कहा कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता और वह दूसरों को नुकसान पहुंचाए बिना काम करता है। हाल ही में हुए चुनाव के दौरान प्रचार-प्रसार का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस दौरान ‘मर्यादा का ख्याल नहीं रखा गया’।
आरएसएस कार्यकर्ताओं के लिए जारी एक ट्रेनिंग कैंप के समापन के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने ‘आम सहमति’ की ज़रूरत पर भी ज़ोर डाला।
इस दौरान मोहन भागवत ने कहा,”जो वास्तविक सेवक है, जिसको वास्तविक सेवा कहा जा सकता है वो मर्यादा से चलती है। उस मर्यादा का पालन करके जो चलता है वो कर्म करता है लेकिन कर्मों में लिप्त नहीं होता,उसमें अहंकार नहीं आता कि ये मैंने किया है और वही सेवक कहलाने का अधिकारी भी रहता है।”
क्यों चर्चा में है RSS प्रमुख का बयान
आरएसएस प्रमुख ने ये टिप्पणी ऐसे वक़्त में आई है जब बीजेपी नए मंत्रिमंडल की घोषणा कर चुका है और RSS परिणामों के बाद की स्थिति पर विचार-विमर्श में जुटा है। मोहन भागवत ने कहा कि चुनावों को युद्ध के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “जिस तरह की बातें कही गईं, जिस तरह से दोनों पक्षों ने (चुनावों के दौरान) एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। जिस तरह से किसी को इस बात की परवाह नहीं थी कि जो कुछ किया जा रहा है, उसके कारण सामाजिक विभाजन पैदा हो रहा है और बिना किसी कारण के संघ को इसमें घसीटा गया, झूठ फैलाया गया।”
मणिपुर पर जताई चिंता
मोहन भागवत ने मणिपुर मुद्दे पर चिंता जताई और पूछा कि जमीनी स्तर पर इस समस्या पर कौन ध्यान देगा? उन्होंने कहा कि इस समस्या से प्राथमिकता के आधार पर निपटना होगा।
भागवत ने कहा,”पिछले एक साल से मणिपुर शांति का इंतजार कर रहा है। पिछले एक दशक से यह शांतिपूर्ण था। ऐसा लग रहा था कि पुराने जमाने की बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है। लेकिन ये फिरसे शुरू हो गया। मणिपुर अभी भी जल रहा है। इस पर कौन ध्यान देगा? इसे प्राथमिकता के आधार पर निपटाना हमारा कर्तव्य है।”