
10,000 रुपए का शूटर! …कटघोरा गोलीकांड की थ्रिलर में सस्पेंस ही सस्पेंस
कोरबा पुलिस की कहानियां अक्सर रिकॉर्ड तोड़ देती हैं, लेकिन कसनिया गांव की फायरिंग ने तो क्राइम थ्रिलर का पूरा कॉकटेल परोस दिया है। फायरिंग को लेकर दावा किया जा रहा कि वारदात के लिए सुपारी महज 10,000 रुपए में दी गई और यूपी से शूटर बुलाया गया। अब इतने में तो शहर के शादी-ब्याह वाले डीजे नहीं आते, लेकिन यूपी का शूटर आ गया… वो भी गोली चलाने!
मुख्य आरोपी पकड़ लिए गए, फोटो भी सोशल मीडिया पर चमक गई, मगर सस्पेंस वही बना हुआ है गोली चली क्यों? और आखिर किसने चलाई? पुलिस की थ्योरी सुनकर जनता को लग रहा है जैसे सीआईडी का पुराना एपिसोड रिपीट हो रहा हो।
दस हजार में सुपारी और यूपी से शूटर मंगाने वाली थ्योरी तो मानो टीवी सीरियल का स्पेशल इफेक्ट लग रही है। गिरफ्तारी की स्टाइल भी ऐसी कि लगे स्क्रिप्ट राइटर ने नेटफ्लिक्स और सीआईडी दोनों का कॉम्बिनेशन लिख दिया हो। अब बस इंतजार है क्लाइमेक्स का जो बताएंगे वही अफसर, जो इन दिनों खुद को एसीपी प्रद्युमन और दया समझ बैठे हैं।
नेता के चमचे और चमचों की चांदी
नेतागिरी में चमचों की चांदी हो गई है। मंत्री-संतरी सुनते उन्हीं की हैं जिनकी जेब में गांधी विराजमान हैं। राजनीति की इस दुकानदारी में पुराने जमाने की दरबारी परंपरा पूरी शिद्दत से जीवित है। तब राजा के दरबार में भाट और चाटुकार होते थे, जो हर अच्छे-बुरे काम पर तालियां बजाकर राजा को देवता बना देते थे। वही चाटुकारिता आज नेतागिरी की असली पूंजी है।
ताज़ा मिसाल हरदीबाजार की है। यहां पहुंचे कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने मजाकिया अंदाज़ में पहले पेन मांगा और फिर ठहाका लगाते हुए पास खड़े नेता से “जेब से चमच निकालने” को कह दिया। इशारा समझते ही नेताजी का चेहरा देखने लायक हो गया।
पूर्व सीएम के इस नए अंदाज़ को संगठन के लोग “राजनीति का चाणक्य प्रयोग” बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह पार्टी में रचनात्मक बदलाव और नए चेहरों को जिम्मेदारी सौंपने का संकेत है। वहीं, कांग्रेसी खेमे में इसे नेताओं के बीच पुरानी परंपरा की “मजेदार याद” माना जा रहा है।लेकिन आम जनता का नजरिया साफ़ है। वे कहने लगे हैं। “सरकार किसी की भी हो, नेतागिरी में तो नेताओँ के चमचों और चमचों की ही चांदी है।”
एसपी और ठेकेदारों में ठनी, आईएएस की भृकुटि तनी..!
डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड से स्वीकृत कामों पर अब एसपी और ठेकेदार आमने-सामने हैं। सरपंच और ठेकेदारों के टकराव के बीच नेता “जय जय मनी” गाते हुए चेक जारी कराने का गुरूर दिखा रहे हैं।
इससे स्पष्ट हो गया है डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड से निकले विकास कायों की असली कहानी गांव की गलियों में नहीं, बल्कि एसपी ‘ओं और ठेकेदारों के ड्रॉइंग रूम में लिखी जा रही है, जहां सीसी रोड और बिल्डिंग निर्माण के काम के नक्शे की जगह 40 फीसदी कमीशन की रूपरेखा खींची जा रही है। चर्चा है कि कोरबा जनपद के मदनपुर और कोल्गा इलाके में तीन ठेकेदार 40 फीसदी हिस्सेदारी के लिए आपस में भिड़े हैं।
लताड़ से लाल ठेके की चाह रखने वाले सूत्रधार ठेकेदार का कहना है कि एक ठेकेदार सत्ता पार्टी का करीबी बनकर 84 लाख का चेक कटवा चुका है। वहीं जनपद की बागडोर जब से आईएएस के हाथों में आई है, तब से ठेकेदार और तकनीकी टीम के मन में डर हैं। कुशल प्रशासक के हाथों बागडोर का डर ये है कि अगर फाइलें खुलीं तो फायदा तो सारा ठेकेदार उठा ले गए लेकिन ठीकरा अधिकारियों पर फूटेगा।
कहा तो यह भी जा रहा है कि पंचायतों के एसपी (सरपंच पति) भी अब टेंशन में हैं। कारण साफ है, एडवांस की रकम का ऐसा जादू चला है कि विकास कार्य तो बाद में होंगे, लेकिन पंचायत घर में नोटों की गिनती करने वाली मशीन सबसे पहले पहुंचेगी।
मंत्री जी की महिला मित्र के चर्चे
इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते….फिर चाहे वो मंत्री हो संतरी…। छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार में पहली बार मंत्री बने एक माननीय की महिला मित्र के जलवे की जोरदार चर्चा है। अब भाजपा के नेता और कार्यकर्ता इनकी दोस्ती को लेकर चटखारे ले रहे हैं।
खबरीलाल की माने तो पहली बार मंत्री बने एक ओबीसी नेता अपनी महिला मित्र को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाना चाहते थे लेकिन, मंत्री जी गच्चा खा गए। कुल मिलाकर मंत्री जी अपनी महिला मित्र को भले ही जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं बनवा सके तो क्या हुआ बंगला दिला कर उसकी भरपाई कर दी है।
कुल मिलाकर मंत्री जी के इश्क के चक्कर में एक बिल्डर्स को जरूर फायदा हुआ। मंत्री जी ने अपनी महिला मित्र को राजधानी के जीई रोड स्थित एक पॉश कालोनी में तकरीबन तीन करोड़ रुपए मूल्य का शानदार बंगला खरीद कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस बंगले की ड्राइंग डिजाइन की चर्चा दिल्ली तक हो रही है।
मंत्रालय में फेरबदल
इस महीने के आखिर में सरकार को आईएएस विकासशील के रूप में नया प्रशासनिक मुखिया मिल जाएगा। इसी के साथ मंत्रालय में कई बड़े विभाग फेरबदल में प्रभावित हो सकते हैं। कई जिलों में कलेक्टर बदले जा सकते हैं।
मंत्रालय में 30 सितंबर को अमिताभ जैन के रिटायरमेंट से पहले आईएएस की एक ट्रांसफर लिस्ट निकलेगी। अभी मंत्रालय में एसीएस रेणु पिल्ले और सुब्रत साहू नए मुख्य सचिव विकास शील से सीनियर हैं, इसलिए दोनों को मंत्रालय से बाहर ठीकठाक पोस्टिंग दी जाएगी। इस फेरबदल में मंत्रालय में अफसरों के प्रभार प्रभावित होंगे।
वैसे भी राजनांदगांव कलेक्टर डॉ सर्वेश भूरे प्रतिनियुक्ति पर ज्वाइंट टेक्सटाइल कमिश्नर बनकर मुंबई जा रहे हैं। इसके अलावा 2006 बैच के एक आईएएस दिवाली के बाद दिल्ली जाएंगे। 2009 बैच की महिला आईएएस के प्रतिनियुक्ति पर जाने की चर्चा है।
कई जिलों में कलेक्टर की शिकायतें संगठन तक पहुंची हैं जिन्हें बदले जाने का दबाव सरकार पर ज्यादा है। कोरबा में ही पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर कोरबा कलेक्टर को हटाने के लिए सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है नहीं तो धरना पर बैठने की चेतावनी भी दे चुके हैं।