कोरबा, 16 अगस्त। Hostel Repair Scam : कोरबा में छात्रावास मरम्मत को लेकर विभागीय भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के मद्देनज़र FIR दर्ज कर दी गई है। यह FIR छात्रावास मरम्मत में करोड़ों रुपए के कथित भ्रष्टाचार के लिए आदिवासी विकास विभाग की कोरबा इकाई की तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वारियर, विभागीय SDO, उप अभियंता, डाटा एंट्री ऑपरेटर और चार फर्मों के खिलाफ यह दर्ज की गई है।
ठेका कंपनियों को जमकर फायदा पहुंचाया
इस कार्रवाई की अनुमति कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर दी गई, और यह FIR आदिवासी विकास विभाग में हुई जांच के आधार पर दर्ज हुई है। कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर हुए जांच में पाया गया कि छात्रावास मरम्मत और नवीनीकरण के नाम पर ठेका कंपनियों को जमकर फायदा पहुंचाया गया है।
करीब 3 करोड़ 83 लाख 28 हजार रूपये के 34 निविदा कार्यो को आबंटन सिर्फ 4 ठेका कंपनियों को दिया गया। इनमें मेसर्स श्री साई ट्रेडर्स को 73.28 लाख रूपये के 9 कार्य, मेसर्स श्री साई कृपा बिल्डर्स को एक करोड़ 14 लाख रूपये के 9 कार्य, मेसर्स एस.एस.ए.कंस्ट्रक्शन को 49 लाख रूपये के 6 कार्य और मेसर्स बालाजी इंफ्रास्ट्रक्टर कटघोरा को 1 करोड़ 47 लाख रूपये के 10 कार्य आबंटित किये गये।
लेकिन जांच में इन सारे 34 निविदा और भुगतान से संबंधित एक भी दस्तावेज कार्यालय में नही मिल सके। वहीं भौतिक सत्यापन में करीब 80 लाख रूपये के ऐसे कार्य मिले, जिनका कार्य कराये बगैर ही कागज में कार्य पूर्ण बताकर ठेका कंपनियों को बोगस पेमेंट कर दिया गया।
माया वारियर, रानी साहू (पूर्व कलेक्टर) के कार्यकाल के दौरान सहायक आयुक्त थीं। उस अवधि में जिला खनिज निधि (DMF) से छात्रावासों में मरम्मत, आश्रमों के नवीनीकरण आदि के लिए करोड़ों रुपये का फंड था, जिसमें जिले को केंद्र सरकार की सहायता के तहत फंड प्रदान किया गया।
सारे दस्तावेज कार्यायल से गायब
सीएजी की रिपोर्ट में 126 छात्रावासों और आश्रमों के नवीनीकरण के लिए स्वीकृत राशि के एक बड़े हिस्से का भुगतान बिना टेंडर और कार्य के धरातल पर पूरा किए गया पाया गया। विभागीय रिकॉर्ड जैसे निविदा अभिलेख, कैश-बुक, कार्य आदेश, मापक पुस्तिका, देयक वाउचर कार्यालय से गायब पाए गए। भौतिक सत्यापन में ऐसे कार्य मिले जो आधे-अधूरे थे, फिर भी उन्हें पूरी तरह पूरा बताया गया और भुगतान कर दिया गया, लगभग ₹80 लाख बोगस पेमेंट मिले, जबकि ₹48 लाख के चार कार्य आज तक शुरू ही नहीं किए गए।
DMF घोटाले में माया वारियर को ED ने गिरफ्तार कर अदालत से 7 दिनों की रिमांड ली, यह गिरफ्तारियाँ अक्टूबर 2024 के आसपास हुई थीं। आरोपों के संदर्भ में तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू, माया वारियर और अन्य अधिकारियों के विरुद्ध भी बड़ी कार्रवाई हुई है, जिसमें ED और EOW दोनों की जांच शामिल हैं। इस मामले में अब FIR की कार्रवाई ने तात्कालिक सामाजिक और प्रशासनिक गहमागहमी उत्पन्न कर दी है।