नई दिल्ली। Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्त्रीधन पर महिला का पूरा अधिकार है। यह किसी भी महिला की विशेष संपत्ति है। ऐसी संपत्ति पर महिला के पति या ससुराल वालों का हक नहीं बनता। मामला केरल की एक महिला से जुड़ा था।
Supreme Court: महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति और सास ने उसकी शादी के समय स्त्रीधन के रूप में मिले सोने के गहनों का दुरुपयोग किया। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पति को निर्देश दिया कि महिला के खाेए हुए गहने के बदले 25 लाख रुपए का मुआवजा दे।
Supreme Court: बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि स्त्रीधन में एक महिला को शादी से पहले, शादी के दौरान या बाद में मिली सभी संपत्तियां शामिल हैं। इस स्त्रीधन में माता-पिता, ससुराल वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिले उपहार भी शामिल हैं।
Supreme Court: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्त्रीधन साझा संपत्ति नहीं है। किसी भी महिला के स्त्रीधन को पति या उसके परिवार के सदस्यों ना तो कंट्रोल कर सकते हैं और ना ही उनके द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
Supreme Court: महिला के स्त्रीधन से जुड़ा यह विवाद फैमिली कोर्ट तक पहुंच गया। फैमिली कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया। महिला के पति और ससुराल पक्ष को स्त्रीधन के गलत इस्तेमाल की बात को जायजा ठहराया। साथ ही पति और ससुराल पक्ष को महिला को मुआवजा देने का निर्देश दिया।
Supreme Court: हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने फैसले को पलट दिया। जिसके बाद महिला ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक लाइव कोर्ट रूम सेशन में स्त्रीधन पर महिलाओं के अधिकार से जुड़े मामले पर सुनवाई की।