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Ratan Tata: रतन टाटा को भावभीनी विदाई…अमित शाह, मुकेश अंबानी ने दी श्रद्धांजलि, थोड़ी देर में होगा अंतिम संस्कार

मुंबई। Ratan Tata: भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज और टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा को मुंबई के NCPA में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी,रिलायंस फाउंडेशन की संस्थापक-अध्यक्ष नीता अंबानी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास समेत कई नामी हस्तियों ने मुंबई नरीमन पॉइंट में रतन टाटा को अंतिम श्रद्धांजलि दी।

Ratan Tata अमित शाह, मुकेश अंबानी ने किए अंतिम दर्शन

रतन टाटा की पार्थिव देह मुंबई के नरीमन पॉइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक रखा गया, जहां लोग ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार वर्ली में किया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह अंतिम संस्कार में शामिल होंगे, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में भाग लेने के लिए लाओस गए हैं।

रतन टाटा के सम्मान में महाराष्ट्र में गुरुवार को एक दिन का शोक घोषित किया है और इस अवसर पर महाराष्ट्र में सभी सरकारी कार्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। साथ ही शिंदे कैबिनेट ने रतन टाटा को भारत रत्न दिए जाने की सिफारिश की है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भारत के उद्योग जगत के दिग्‍गज और वरिष्ठ उद्योगपति, पद्म विभूषण रतनटाटा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

 

महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को अंतिम श्रद्धांजलि दी।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन को पत्र लिखकर शोक संवेदनाएं प्रकट कीं।

सुपरस्टार रजनीकांत ने X पोस्ट में लिखा- “एक महान दिग्गज आइकन जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता और जुनून से भारत को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया। वह व्यक्ति जिसने हजारों उद्योगपतियों को प्रेरित किया। वह व्यक्ति जिसने कई पीढ़ियों के लिए लाखों-लाख नौकरियां पैदा कीं। वह व्यक्ति जिसे लोग प्यार करते थे और सम्मान देते थे। उन्हें नमन, इस महान आत्मा के साथ बिताए गए हर लम्हे को हमेशा याद रखूंगा। भारत का सच्चा सपूत अब नहीं रहा।”

नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “उन्होंने (रतन टाटा) न केवल भारत की कंपनी (टाटा) को आगे बढ़ाया, बल्कि इसे पूरी दुनिया में स्थापित किया… आज, हमने उन्हें खो दिया लेकिन हम लोगों के साथ हैं।” कंपनी के लिए यह एक बड़ी क्षति है, जिसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं। हमें फख्र है कि वे भारत का नाम दुनियाभर में ले गए।”

एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने उद्योगपति रतन टाटा के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

भारत रत्न और वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शोक संदेश में कहा- “रतन टाटा जी के साथ मेरी आखिरी बातचीत इस साल फरवरी में हुई थी, जब मुझे उनसे एक गर्मजोशी भरा पत्र मिला, जिसमें मुझे भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित होने पर बधाई दी गई थी। उनकी गर्मजोशी, उदारता और दयालुता हमेशा बहुत प्रिय रही है।”

महाराष्ट्र कैबिनेट ने गुरुवार को बैठक में उद्योगपति रतन टाटा का नाम भारत रत्न पुरस्कार के लिए प्रस्तावित करने का फैसला किया। साथ ही राजकीय एक शोक से जुड़ा एक प्रस्ताव भी पास किया।

इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने शोक संदेश में कहा- “टाटा नाम भारत के औद्योगिक विकास का पर्याय है। लगभग सभी क्षेत्रों में उन्होंने एक अहम भूमिका निभाई। नैतिक तरीके से काम करने की वह परंपरा। उन्होंने न केवल संस्थान बनाने को महत्व दिया बल्कि कर्मचारियों और लोगों की भागीदारी की संस्कृति बनाने को भी महत्व दिया, शिक्षा और परोपकार उनके व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।”

रतन टाटा ने जिया हमेशा सादगीपूर्ण जीवन

रतन टाटा के निधन से भारतीय व्यापार जगत में एक युग का अंत हो गया। उन्होंने न केवल टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया, बल्कि अपने सादगी भरे जीवन और उच्च नैतिक मूल्यों के लिए भी प्रसिद्ध थे। हालांकि वे 100 से अधिक देशों में 30 से अधिक कंपनियों का संचालन करते थे, रतन टाटा ने हमेशा एक साधारण और सादगीपूर्ण जीवन जिया। उन्होंने कभी अरबपतियों की सूची में जगह नहीं बनाई, लेकिन उनकी सच्चाई, विनम्रता और ईमानदारी ने उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाया।

28 दिसंबर 1937 को मुंबई में जन्मे थे रतन टाटा

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वे भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यावसायिक परिवारों में से एक से ताल्लुक रखते थे। उनके परदादा जमशेदजी टाटा ने 1868 में एक छोटी ट्रेडिंग कंपनी के रूप में टाटा समूह की नींव रखी थी, जो आगे चलकर स्टील, ऑटोमोबाइल, सॉफ्टवेयर और एयरलाइंस जैसे कई क्षेत्रों में फैल गई।

रतन टाटा का बचपन उनके परिवारिक विशेषाधिकार और कठिनाइयों के बीच बीता। उनके माता-पिता के अलग हो जाने के बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी लेडी नवाजबाई टाटा ने किया। उन्होंने मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से पढ़ाई की और फिर उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए। उन्होंने 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की।

रतन टाटा ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम भी पूरा किया, लेकिन आर्किटेक्ट बनने का सपना पीछे छूट गया जब वे 1960 के दशक की शुरुआत में फैमिली बिजनेस संभालने के लिए भारत लौटे। उनके करियर की शुरुआत टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट के शॉप फ्लोर से हुई थी, और यह जमीनी अनुभव उनके नेतृत्व के स्टाइल को हमेशा परिभाषित करता रहा।

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