रायपुर, 18 सितंबर। Quarterly Exam : राजधानी रायपुर के जिला शिक्षा विभाग ने कक्षा 1 से 11वीं तक के छात्रों के लिए तिमाही परीक्षाओं की तारीखों का ऐलान कर दिया है। विभाग ने 17 सितंबर को समय-सारणी जारी करते हुए परीक्षा की शुरुआत 22 सितंबर से करने के निर्देश दिए हैं।
विभाग ने 17 सितंबर को आदेश जारी करते हुए, मात्र 5 दिन के भीतर यानी 22 सितंबर से परीक्षाएं शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं। इससे छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच असंतोष की स्थिति बन गई है। जिसमें कक्षा 1 से 11 तक के सभी विद्यार्थी भाग लेंगे। प्रश्नपत्र स्कूल स्तर पर तैयार करने के निर्देश। नवरात्रि के दौरान परीक्षा को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
परीक्षा का आदेश आया अचानक, तैयारी अधूरी
शिक्षा विभाग के इस त्वरित निर्णय ने छात्रों की तैयारी पर सीधा असर डाला है। सिर्फ पांच दिन पहले परीक्षा की घोषणा से न सिर्फ विद्यार्थी बल्कि शिक्षक भी असमंजस में हैं, क्योंकि प्रश्न पत्र स्कूल स्तर पर ही तैयार करने को कहा गया है, जिससे एकरूपता और गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। नवरात्रि व्रत और उपवास में शामिल होने वाले कई छात्र शारीरिक और मानसिक रूप से परीक्षा देने की स्थिति में नहीं होंगे।
अभिभावकों की चिंता
इस आदेश के बाद से छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग तैयारी के लिए समय कम होने की बात कह रहे हैं, तो कुछ ने नवरात्रि जैसे धार्मिक पर्व के बीच परीक्षा करवाने पर नाराज़गी जताई है। नवरात्रि के दौरान कई छात्र उपवास रखते हैं, पूजा-पाठ में शामिल होते हैं, ऐसे में इस समय परीक्षा कराना उनके लिए मानसिक और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
निजी स्कूल पहले से तैयार
राजधानी के कई निजी स्कूल पहले ही नवरात्रि को ध्यान में रखते हुए तिमाही परीक्षाएं शुरू कर चुके हैं, जिससे बच्चों की तैयारी और धार्मिक गतिविधियों के बीच संतुलन बना रहे।
सनातनी परंपराओं से टकराव का सवाल
नवरात्रि का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व किसी से छुपा नहीं है। कई छात्र उपवास रखते हैं, मंदिरों में सेवा करते हैं या घर के धार्मिक आयोजनों में भाग लेते हैं। ऐसे में अभिभावकों का सवाल है कि, क्या बच्चों को परीक्षाओं की आड़ में त्योहारों से दूर करना ठीक है? वहीं दूसरी ओर, राजधानी और प्रदेश के कई निजी स्कूल पहले ही त्योहार को देखते हुए अपनी परीक्षाएं शेड्यूल कर चुके हैं, ताकि बच्चों की आस्था और तैयारी दोनों पर आंच न आए।