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Politics : कोरबा सीट पर भाजपा-कांग्रेस की जीत-हार के गणित में मायने रखता है गोंगपा के वोटों का उतार-चढ़ाव

कोरबा। पिछले तीन चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो कोरबा ( korba )लोकसभा सीट पर हर बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की बिसात ने बड़े बड़े बदलाव की भूमिका निभाई है। यूं कहें तो गलत न होगा कि भाजपा-कांग्रेस की जीत-हार के गणित में गोंगपा के वोटों का उतार-चढ़ाव मायने रखता है।

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आंकड़े गवाह हैं कि जब कभी गिनती में गोंगपा के वोट कटे तो कांग्रेस को फायदा मिला और गोंगपा के गिरते वोटों ने कांग्रेस की जीत के ग्राफ को ही फाइनल टच दिया है। इसके ठीक उलट भाजपा की जीत और हार में गोंगपा के घटते-बढ़ते वोटों का असर दिखाई दिया। स्पष्ट है कि दो बड़ी पार्टियों की निकटतम भिडंत में गोंगपा ने तीसरी शक्ति का रुतबा हर बार कायम रखा है जो कोरबा लोकसभा के चुनावी समीकरण में निर्णायक दल की भूमिका निभाता चला आ रहा है।

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अब तक हुए लोकसभा कोरबा ( korba )सीट पर तीन चुनाव में जब-जब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को कम वोट मिले हैं, इसका फायदा कांग्रेस को मिला है। एक चुनाव में जब गोंगपा को 50 हजार से ज्यादा वोट मिले तो कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। दो चुनाव में 40 हजार से कम वोट गोंगपा को मिले थे। इन चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली थी। गोंगपा के वोटों से कोरबा ( korba )सीट पर हार जीत का समीकरण बदलता रहा है। इस सीट पर अब तक तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। जांजगीर सीट से परिसीमन में अलग होने के बाद पहला चुनाव वर्ष 2009 में हुए थे। इस चुनाव में कांग्रेस ने डॉ. चरणदास महंत और बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को उतारा था। चुनाव में हार जीत का आंकड़ा 20 हजार से ज्यादा रहा था। डॉ चरणदास महंत को 3 लाख 14 हजार 616 और करुणा शुक्ला को 2 लाख 93 हजार 879 वोट मिले थे।

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चरण ने कायम किया पहले सांसद बने का कीर्तिमान

इस तरह वर्ष 2009 में डॉ चरण दास महंत ने 20 हजार 737 वोटों के अंतर से चुनाव जीतकर कोरबा( korba ) के पहले सांसद चुने का जाने का कीर्तिमान स्थापित किया था। इस चुनाव में तीसरी ताकत गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी हीरासिंह मरकाम को 32 हजार 962 वोट मिले थे। उनके वोटों का आंकड़ा कुल मतदान का 2.58 फीसदी रहा था। गोंगपा को मिले कम वोटों का फायदा इस चुनाव में कांग्रेस को हुआ था।

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2014 में सबसे कम 4265 के मामूली अंतर से बीजेपी जीती

इसी तरह 2014 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बढ़े मतों की संख्या के कारण कांग्रेस लगातार जीत हासिल करने में नाकाम हो गई थी। इस चुनाव में कांग्रेस ने मौजूदा सांसद डॉ. चरणदास महंत को रिपीट किया था, जबकि बीजेपी ने डॉ. बंशीलाल महतो को टिकट दिया था। डॉ. बंशीलाल महतो को 4 लाख 39 हजार 2 और डॉ. चरणदास महंत को 4 लाख 34 हजार 737 वोट मिले थे। इस तरह बीजेपी प्रत्याशी डॉ. महतो ने नजदीकी मुकाबले में डॉ. महंत को 4 हजार 265 वोटों के मामूली अंतर से हरा दिया था। जिसका नुकसान कांग्रेस को हुआ। खास बात रही कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने इस चुनाव में 52 हजार 753 वोट हासिल किए थे और प्राप्त मत का आंकड़ा गत चुनाव से बढ़कर 3.71 फीसदी हो गया था। जिसका नुकसान कांग्रेस को हुआ। 2009 और 2014 के चुनाव में गोंगपा के वोट में लगभग 20 हजार की बढ़ोतरी हुई और कांग्रेस की गत चुनाव में 20 हजार से अधिक वोटों की जीत 4 हजार से ज्यादा वोटों की हार में तब्दील हो गई।

बदलते रहे हैं भाजपा के चेहरे, दो बार चरण, दूसरी बार ज्योत्सना

2019 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के वोट प्रतिशत में गिरावट आई तो कांग्रेस प्रत्याशी को एक बार फिर जनता ने संसद भवन तक पहुंचा दिया। इस चुनाव में कांग्रेस ने डॉ. चरण महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को टिकट दिया। वहीं बीजेपी ने चेहरे बदलने की परंपरा को जारी रखते हुए ज्योतिनंद दुबे को प्रत्याशी चुना। कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत ने 5 लाख 23 हजार 310 वोट हासिल किए। प्रतिद्वंदी ज्योतिनंद दुबे को 4 लाख 97 हजार 61 वोट मिले। इस तरह उन्हें 26 हजार 249 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।

वोटों में गोंगपा की गिरावट से कांग्रेस को फायदेमंद बढ़त

वोटों के लिहाज से कोरबा सीट पर यह किसी भी प्रत्याशी की सबसे बड़ी हार है। इस चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने हीरासिंह मरकाम के पुत्र तुलेश्वर सिंह मरकाम को चुनाव में उतारा था। उन्हें 37 हजार 417 वोट मिले थे। गत चुनाव से गोंगपा को मिले कम वोट का फायदा कांग्रेस को हुआ। इस तरह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के वोट जब जब कम हुए हैं कांग्रेस को जीत मिलती रही है। राजनीति के जानकारों की मानें तो गोंगपा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाती रही है। जिसके कारण गोंगपा के वोट इस सीट पर समीकरण बनाने व बिगाड़ने का काम करते रहे हैं।

तीन लोस चुनाव में बढ़कर लगभग दोगुने हुए वोट प्रतिशत

अब तक हुए तीन चुनाव में वोटिंग के साथ ही बीजेपी-कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी बढ़ता गया है। 2009 के चुनाव में कांग्रेस को कुल वोटिंग का 24.65 व बीजेपी को 23.02 फीसदी वोट मिले थे। 2014 में बीजेपी का वोट प्रतिशत 30.84 जबकि कांग्रेस का 30.54 रहा था। वहीं 2019 के चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत लगभग 15 फीसदी बढ़कर 46.01 फीसदी रहा। इसी तरह बीजेपी का वोट प्रतिशत 43.7 था।

विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासी वोटों का बड़ा जनाधार

इस बार कोरबा सीट पर गोंगपा ने श्याम सिंह मरकाम को टिकट दिया है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी हर चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय बनाने की कोशिश करती रही है। कोरबा लोकसभा अंतर्गत स्थित पाली तानाखार, भरतपुर सोनहत, मरवाही और बैकुंठपुर जैसी सीटों पर गोंगपा का बड़ा जनाधार है। बीते वर्ष के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवारों ने लोकसभा अंतर्गत स्थित विधानसभा सीटों पर लगभग डेढ़ लाख से अधिक मत प्राप्त किया है। वहीं पाली तानाखार में गोंगपा सुप्रीमो तुलेश्वर सिंह मरकाम विधायक भी चुने गए हैं।

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